खट्टे मीठे रिश्ते
खट्टे मीठे रिश्ते
घर के आँगन में सब फटाके फोड़ रहे थे, सब बाहर थे लेकिन पल्लवी घर के अंदर बैठी थी। सब ने आकर उसे बहुत समझाया बाहर जाकर फटाके जलाने को लेकिन वह किसी की बात ही नहीं सुन रही थी। हाँ, उसका गुस्सा भी जायज था क्योंकि इस दीवाली में सारे घरवाले मौजूद थे लेकिन उसका सबसे चहेता भाई मौजूद नहीं था इस लिए उसके ऊपर गुस्सा हो कर बाहर आ ही नहीं रही थी। उसके काका ने समझाया शायद उसे छुट्टी नहीं मिली होगी इस लिए नहीं आ पाया अगले साल आ जाएगा । जी हाँ, पल्लवी की भाई अर्जुन जो army में था इस बार दीवाली में घर नहीं आ पाया इसी वजह से उसकी प्यारी बहना उस से रूठी हुई थी। पल्लवी के 5 भाई और 1 बहन थी। पल्लवी और उसकी बहन शैफाली दोनों सबसे छोटी थी और सबकी प्यारी। कहने को तो दोनों सबसे छोटे थे लेकिन घर की हर फैसले पर पहला हक इन दोनों का था, घर में कौन सा कॉलर लगेगा यह भी यही दोनों तय करते थे । Joint family था इनका मतलब पापा, मम्मा, दादा, दादी, काका, काकी, बुआ सब एक साथ रहते थे । परिवार जैसे बड़ा था वैसे लोगों के दिल भी बहुत बड़े थे। पल्लवी के काका उनके बड़े भैया यानी पल्लवी के पापा को बहुत मानते थे । उसके काका के कोई बच्चा नहीं था इस लिए बड़े भैया के सारे बच्चों को अपने बच्चे की तरह पालते थे।
हाँ तो हम कहाँ थे ? आखिर में पल्लवी मान गई फटाके जलाने को । उस से पहले उसने अपने भाई को कॉल किया और अपना गुस्सा निकाल दिया और फटाके जलाया और बहुत मज़े किए। पल्लवी और शैफाली बहने कम दोस्त की तरह ज्यादा लग रहे थे। दोनों के पेट में कोई भी बात नहीं टिकती थी । कुछ भी कहीं से पता चले तो एक दूसरे को जाके बोल देते थे। इसी वजह से बहुत बारी काकी जी से मार भी पड़ चुकी है । पर मार खाने के बाद दोनों ऐसे रूठा करते थे पूरा घर इनको समझाने और इनकी फरमाइशें पूरी करने में लग जाता । लेकिन दादी को यह सब पसंद नहीं था वह पल्लवी और शैफाली से उतना प्यार नहीं करती थी जितना अर्जुन और बाकी सब भाइयों से । उनका बस यही कहना था लड़की है शादी करके जब ससुराल जाएगी वहाँ इनके नखरे कौन झेलेगा ? दादी पुरानी ज़माने की थी यह सब बोलना बनता था। उनके बातों को कोई बुरा मतलब नहीं निकालते थे, सब में बहुत प्यार था।
पल्लवी और शैफाली कॉलेज गए हुए थे । पल्लवी 20 साल की और शैफाली 18 की थी। दोनों जब घर पहुँचे तो देखा सब चुप चाप बैठे हैं । यह देख कर पल्लवी थोड़ी घबरा गई पर शैफाली थोड़ी शैतान थी दादी कहीं दिखी नहीं तो उसने धीरे से पल्लवी के कान में बोला " कहीं दादी गुजर तो नहीं गई ?" इतने में पल्लवी ने उसके गाल में एक थप्पड़ लगा दिया । और दोनों आगे बढ़ते चले गए । पल्लवी ने पूछा " पापा, क्या हुआ सब ठीक है ना ? ऐसे सब उदास क्यों बैठे हैं?" पापा ने कुछ नहीं बोला बस डांँट कर अन्दर जाने को बोल दिया। फिर दोनों बहने अपने कमरे में चली गई। घर में सब एक दूसरे से जितना प्यार करते थे उतने ही डरते भी थे अगर कोई बड़ा कुछ बोल रहा है तो छोटे उसके आदर करते थे और बात मानते थे। बात क्या है जानने के लिए रात को पल्लवी खाना खाते समय अपने बुआ वैशाली को पूछ लिया लेकिन वह कुछ बोली नहीं पर सारे घरवाले उनके तरफ तीखी नजर कर दिया तो पल्लवी समझ गई बुआ के वजह से कुछ हुआ है। बुआ खाना छोड़ कर चली गई। उसके बाद पता चला बुआ के लिए रिश्ता आया था लेकिन उन्हें अभी शादी नहीं करनी थी तो उन्होंने मना कर दिया इसी वजह घर पे सब नाराज़ थे। शैफाली ने जाकर बुआ को शादी ना करने का वजह पूछा तो उन्होंने बोला उन्हें एक लड़का पसन्द था जिसकी शादी हो चुकी है बस इस लिए वह शादी नहीं करना चाहती है। ये सुनकर शैतान शैफाली हसने लगी पर वैशाली दुःखी थी इतने में पल्लवी ने आकर बुआ को समझाया कि उसकी शादी तो हो चुकी है अब उसके बारे में सोच कर कोई फायदा नहीं और शादी के लिए उसे मना लिया। पल्लवी झट से सबको मनाना जानती थी। इधर बुआ शादी के लिए राज़ी हो गई तो शेफाली ने घर पे सबको बताया ।सब बहुत खुश हुए। अगले दिन लड़के वाले देखने आने वाले थे। पल्लवी और शैफाली बड़े खुश लग रहे थे क्योंकि शादी जो होने वाली थी बुआ की। धीरे धीरे समय बीतता रहा शादी तय हो चुकी थी।
शादी से पहले की सारी रस्में हो चुकी थी शादी को बस कुछ ही दिन बच गए थे। पल्लवी के बड़े भैया और भाभी शादी का पूरा देख रेख कर रहे थे। शादी हो रही थी इस लिए घर में मेहमानों का आना जाना लगा रहता था । शैफाली की सबसे बड़ी चिंता मेहंदी, संगीत, हल्दी, शादी में क्या पहनेगी। और इधर पल्लवी घर के सारे लोग के लिए कौन से कपड़े सही रहेंगे वह सब तय कर रही थी। शादी के सारे रस्में अच्छी तरह से संपूर्ण हो गए थे। विदाई के वक़्त सब फुट फुट कर रोए। बेटी घर से विदा जो रही थी। शादी करके वैशाली अपने ससुराल चली गई। लेकिन पल्लवी के दिमाग़ में एक बात चल रहा था। घर वाले सब खाना खा रहे थे पल्लवी ने बोला - "शादी करके लड़की ही क्यों लड़के के घर जाते हैं लड़के भी तो लड़की के घर आके रह सकते हैं?" इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। वैसे पल्लवी थी तो समझदार पर बुआ के शादी के बाद उसके मन में तरह तरह के सवाल उठने शुरू हो गए। जो लड़की बच्चों की तरह कूदती खेलती थी वह अभी थोड़ी चुप सी हो गई थी। उस दिन से पल्लवी अपने आप को हर सवाल पूछती रहती थी कुछ का जवाब मिल जाता था तो कुछ का नहीं। घर पे तो पल्लवी सबसे अच्छे से बात करती थी खेलती थी मुस्कुराती थी, सबकी प्यारी थी पर वह अब से खोई खोई रहती थी। वह अंधविश्वास जैसे चीज़ों में कभी यकीन नहीं करती लेकिन जब बात अपने परिवार पर आए तो वह अंध विश्वासी बन जाती थी। परिवार उसके लिए सब कुछ था। और शैफाली से उसका रिश्ता सिर्फ एक बहन की तरह नहीं बल्कि एक दोस्त जैसा था। उसकी ढेर सारी तमन्ना थी। जिसे वह पूरा करना चाहती थी। उसके सामने होते हुए हर एक घटना से कुछ ना कुछ उसके ऊपर प्रभाव पड़ रहा था । इसी वजह से शैफाली उस से थोड़ी चिड़ चिड़ होने लगी क्योंकि वह हर बात का कुछ ना कुछ मतलब निकालती रहती थी। कुछ दिनों से वह बहुत सी चीजें भूल रही थी जो कि वह कभी नहीं करती थी । घर पे सबको अजीब लगा जो लड़की अपना काम हमेशा टाइम पर करती थी वह ऐसे कैसे कुछ भूल सकती थी अगर यही बात शैफाली के साथ होती तो समझ आता है क्योंकि वह है ही थोड़ी शैतान लेकिन पल्लवी से किसी को ऐसी उम्मीद नहीं थी। एक बार जब दोनों कॉलेज से लौट रहे थे बस में जब कंडक्टर ने कहाँ उतारने के लिए पूछा तो पल्लवी कुछ बोल ही नहीं पाई बस शैफाली की तरफ देख रही थी। घर पर आके जब शैफाली ने पल्लवी से पूछा कि उसने क्यों नहीं बताया के कहांँ उतारना है तो पल्लवी ने जवाब दिया मुझे याद नहीं आ रहा था । शैफाली को लग रहा था पल्लवी जान बूझ कर ऐसी कर रही है। वैसे भी वह कुछ दिनों से उस से चिढ़ रही थी अभी और भी ज्यादा चीढ़ने लगी। पल्लवी को कुछ समझ नहीं आ रहा था । एक बार तो उसने शैफाली को भी नहीं पहचाना । पल्लवी को अपने अन्दर बदलाव नजर आ रहा था । वह अपना घर का एड्रेस, लोगो के नाम भी भूलने लगी थी। यह सब याद रखने के लिए वह अपने मोबाइल पे notes लिख लिया करती थी। दिन भर फोन पे इंटरनेट पर इस बीमारी के बारे देखती रहती थी । यह सब देखकर शैफाली को लगा पल्लवी का कहीं किसी के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा। इस लिए जब वह इंटरनेट पे कुछ सर्च कर रही थी शैफाली ने उस से फोन छीन लिया यह देखने के लिए कि वह किसके साथ बात कर रही है। इतने में ही पल्लवी ने उसके हाथ से अपना फोन वापस ले लिए और उसे एक थप्पड़ लगा दिया। फिर शैफाली को गुस्सा आया और उसने गुस्से में बोला" मैं अर्जुन भैया से बोल दूंगी कि तुम्हारा किसी के साथ चक्कर चल रहा है"। पल्लवी हैरान हो गई यह सब सुन के वह उसे समझाने लगी कि ऐसा कुछ नहीं है मगर उसने उसकी एक ना सुनी और चली गई। इधर पल्लवी अन्दर ही अन्दर जूज रही थी यह भूलने की बीमारी के बारे में किसीको पता भी नहीं था। अगले दिन वह घर से कॉलेज जाने के लिए निकली लेकिन वहाँ ना जाकर हॉस्पिटल पहुँची। यहाँ शैफाली को उस पर संदेह था कहीं ये प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं। उसे लगा वह ज़रूर घूमने चली गई होगी। हॉस्पिटल से चैकअप करवा के वह कॉलेज गई और वहाँ से दोनों बहनें साथ साथ घर गए।
शैफाली को पता था पल्लवी आज कॉलेज में नहीं थी कहीं और गई हुई थी। इसके बारे में उसने जब पूछा तो फिर से दोनों में बेहेस हो गई। और पल्लवी गुस्से में आकर बोल दिया "हाँ, मैं बाहर गई थी अपने दोस्तों के साथ घूमने अब खुश।" 2 दिन बाद पल्लवी को रिपोर्ट लेने हॉस्पिटल जाना था, इस लिए उसने रात को डॉक्टर को कॉल करके अपने रिपोर्ट के बारे में बात कर रही थी, इसी समय शैफाली जब सामने आ गई उसने हड़बड़ाहट में फोन रख दिया । लेकिन रिपोर्ट आने से पहले उनकी परीक्षा की रिजल्ट आए गई थी। घर में सब पल्लवी को डाँट रहे थे क्योंकि जो लड़की हमेशा टॉप करती थी वह इस बार फैल हो गई थी। लेकिन पल्लवी ने कुछ नहीं बोला चुपचाप सब सुनती रही। वह अपनी सफाई में कुछ बोलती उस से पहले शैफाली ने सब बता दिया। उसने घरवालों के सामने बोल दिया कि पल्लवी कॉलेज के बहाने किसी से मिलने जाती थी,और फोन पे किसी से चैटिंग कर रही थी और कल रात को वह किसी से बात कर रही थी मुझे देखकर फोन रख दिया। घरवालों ने पहले तो विश्वास नहीं किया । लेकिन घटना की सच्चाई जान ने के लिए जब उसके पापा ने पल्लवी के दोस्त को कॉल किया और पूछा तो उसने बोला कि 2 दिन से पल्लवी क्लास नहीं कर रही है। यह सुनते ही पापा को यकीन हो गया शैफाली जो बोल रही है वह सच है । उसके पापा उस से बहुत प्यार करते थे लेकिन यह सब सुनने के बाद 2 थप्पड़ जड़ दिए और वहांँ से चले गए। सिर्फ इतना नहीं घर के बाकी लोग भी बहुत सुनाया दादी तो वैसे भी कुछ ना कुछ बोलती रहती थी यह सब के बाद उसको और खोरी खोटी सुनाई। अब पल्लवी का घर से बाहर जाना भी बन्द हो गया था और ना ही उसके साथ कोई बात कर रहा था। अगले दिन वह छुप के हॉस्पिटल चली गई रिपोर्ट लाने। रिपोर्ट में देखा तो उसे Alzheimer's था । मतलब भूलने की बीमारी । सिर्फ इतना नहीं उसके ब्रेन में ट्यूमर था। शायद वह ज्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहने वाली थी। वह ये बात जान कर घर आने के लिए हॉस्पिटल से निकली। रास्ते में सोचती रही उसके पास वक़्त बहुत कम है कभी भी कुछ भी हो सकता है। वह घर में बताए या नहीं इसी बात में उलझी रही अगर सबको बताया तो उन पर क्या गुजरेगी यही सोच कर उसने तय किया वह किसीको कुछ नहीं बताएगी । पर उसके पास टाइम भी नहीं था वह बस अपने परिवार के साथ अपना आखिरी वक्त बिताना चाहती थी। घर पहुँची तो सामने शैफाली खड़ी थी और पूछताछ करने लगी कहाँ गई थी किसके साथ गई थी। पल्लवी के हाथ में रिपोर्ट देख कर पूछने लगी यह क्या है ? लेकिन उसने वह उसको ना दिखा कर दौड़ कर कमरे में चली गई और अन्दर से दरवाज़ा बन्द कर दिया । यह देख के शैफाली चिल्लाने लगी और घर वालों को बुला लिया । बाहर से जोर जोर से सब दरवाज़ा खट खटाते रहे और अन्दर पल्लवी रोए जा रही थी अपने रिपोर्ट को देख कर उसने आँसू पोंछ कर रिपोर्ट को बेड के नीचे रख दिया और दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा खोलते ही वह बेहोश हो गई। सब परेशान हो कर उसे हॉस्पिटल ले गए । और वहाँ होश आने के बाद पल्लवी उसी डॉक्टर से मिली जिनके पास वह पहले गई थी। और उनसे बोला कि घर वालों को कुछ ना बताए क्योंकि अगर बता भी देते तो कोई फायदा नहीं होता पल्लवी अब बस कुछ दिनों की मेहमान थी। जब पल्लवी के पापा डॉक्टर से पूछे तो उन्होंने बीमारी के बारे में नहीं बताया और बस कमजोरी का नाम दे दिया। फिर सब घर वापस गए। पल्लवी अपने कमरे में आराम कर रही थी उसने अपने डायरी निकाल कर उस में सब कुछ लिखा कॉलेज ना जाने के वजह, अपने बीमारी के बारे में भी। उसे पता नहीं था उसकी साँसे कब तक चलेंगे। वह अपने भाइयों से बात करने लगी और शैफाली को भी समझाने लगी सब का ध्यान रखने को भी बोल रही थी । पर उसे ये सब बकवास लगा उसे लगा इसकी तबीयत ठीक नहीं है इस लिए बेवजह कुछ भी बोल रही है। पल्लवी की बहुत सारी इच्छाएंँ थी जो वह पूरा नहीं कर पाई है और वह सब पूरा करने का समय भी नहीं था । उसे पता था वह मरने वाली है, इस लिए उसकी इच्छा थी कि वह अपने ऑर्गन डोनेट करे, ताकि उसकी वजह से किसी और की ज़िन्दगी बच जाए। 2 दिन बाद वह सुबह जब उठी पहले से उसकी तबीयत और बिगड़ी हुई थी। घर में किसी को समझ नहीं आ रहा था ऐसे क्यूंँ हो रहा है। समय के साथ उसकी हालत खराब होती जा रही थी। उसने हॉस्पिटल जाने को भी मना कर दिया। सारे घर वालों को अपने पास बुलाया और सबको पुरानी बातें याद दिलाने लगी, जितना उसे याद था वह सब बोल दिया। सब रोए जा रहे थे । अपने भाई अर्जुन से वह सबसे ज्यादा प्यार करती थी। उनको बस इतना बोला हर साल मैं रहूँ या ना रहूँ दीवाली में घर आना सबको अच्छा लगेगा। दादी जो बात बात पर डाँटती थी आज उनके आँखों में वह पल्लवी के लिए जो प्यार था आँसुओं के रूप में बेह रहे थे। सब के बाद शैफाली को वह बस इतना बोली तुम गलत थी और उस से कहा मेरे जाने के बाद बेड के नीचे मेरी डायरी है उसे पढ़ लेना। आखिर में उसने बोल दिया उसे भूल ने कि बीमारी थी और ब्रेन में ट्यूमर है। उसने यह भी बताया उसकी आखरी इच्छा यह है कि उसके मरने के बाद उसकी ऑर्गन डोनेट किया जाए। घर में किसी को कुछ समझ आता उस से पहले पल्लवी इस दुनिया में सो गई किसी और दुनिया में जागने के लिए। कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा था यह सब कैसे हो गया। पल्लवी की अंतिम संस्कार के बाद सब उसके रूम में गए और वह डायरी और रिपोर्ट देखा उस डायरी में सब कुछ लिखा था उसकी बीमारी, वह कॉलेज से कहाँ गई थी, उसकी भूलने की वजह से कैसे वह मोबाइल में नोट्स लिख कर याद करती थी और उस रात डॉक्टर से बात करना सब कुछ। शैफाली यह सब पढ़ने के बाद रोने लगी वह अपने आप को गुनेहगार मान रही थी । जो कुछ हुआ इस में किसी की गलती नहीं थी । बस एक अनहोनी ही थी। घर के दीवार में पल्लवी की वह हँसती हुई फोटो टंगी हुई थी। उसकी वह मुस्कुराहट आज सिर्फ उसी फोटो फ्रेम में ही नजर आती है।
