बड़े घर की
बड़े घर की
"वो देखने मे ठीक घर की लगती थी, आँखे खूबसूरत होते हुए भी निष्प्राण थी, बहुत सुघड़ तरीके से काम करने वाली,सलीके से रहने वाली मेरी बच्ची की आया 'रमा',
सबसे खास था उसका बोलने और चलने का तरीका, जब वो बोलती थी "माम् हम सुबह 7'0clock तक आ जाएंगे" तो हमेशा 'मेमसाब' और 'बीबी जी' सुनने वाले कान हैरान रहजाते,
"सूनो आयशा कल, कल लड़के वाले रेणु को देखने आ रहे है, मैं आफिस से जल्दी आ जाऊंगा तुम देख लेना, थोड़ा पहले तैयारी कर लेना, "
रेणु मेरी ननद 28 की उम्र हो गई है रिश्ते आते हैं पर स्थिति पता चलते ही मना कर देते है, रमा से काफी हिली मिली है, बेटी के सोने में बाद दोनो घण्टो मोबाइल में जाने क्या देखती रहती है,
"तुमने सब बता दिया लड़के वालों को ?"
"हाँ बता दिया, लड़क राजनीति में अच्छा दखल रखता है, सुलझे हुए लगे लोग मुझे, "
"फिर इस रिश्ते को कैसे हाँ ?"
"तुम यार इतना दिमाग मत लगाओ अभी, क्या पता नसीब अच्छा हो मेरी बहन का"
मैंने बात आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा, तभी रमा आ गई,
"गुड़ मॉर्निंग माम्"हमेशा की तरह मिश्री घोलती आवाज़
"गुड़ मॉर्निंग, सुनो रमा कल कुछ मेहमान आ रहे है, रेणु को देखने, थोड़ा शाम को मेरी हेल्प करा देना, "
उसने मुझे हैरानी से देखा शायद वो भी यही सोच रही थी कि कौन लोग है जिन्होंने हाँ कर दी देखने आने के लिए,
अगले दिन तय वक्त पर वो लोग आए, लड़का, उसका भाई, और माँ,
आशीष को उनके पास बैठा मैं किचन का जायज़ा लेने गई, रमा केवल आया का काम सम्भालती थी क्योंकि मेरा एक बहुत बड़ा बुटीक था होल सेल का, आज पहली बार किचन में हेल्प कर रही थी,
किचन में घुसते ही खाने की महक से मुँह में पानी आ गया,
अंदर वो बहुत तन्मयता से बन चुके खाने की सजावट कर रही थी आधा खाना पकने को तैयार था,
"अरे वाह रमा छुपी हुई मास्टरशेफ निकली तुम तो, "
वो मुस्कुराई और बोली"चलिए आपको छुपी हुईं मेकअप आर्टिस्ट से मिलवाते है'"
वो मुझे रेणु के कमरे में ले गई,लगा मैं किसी और के कमरे में आ गई ये कौन हैं ?रेणु बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही थी,
मेरे मुह से निकला"वाओ ये सब कैसे ?कब ? कमाल का मेकअप है रेणु, ओहो तो आज, "
"नहीं भाभी,ये अपनी खुशी के लिए किया है, मेकअप से क्या होता है, उन्हें इनकार ही करना है"
"ऊटपटांग सोचना बंद करो,बाहर चलो"
रेणु की व्हीलचेयर पकड़ मैंने बाहर की तरफ घूमा दी, जी रेणु अपाहिज़ है, जन्मजात, काफी पढ़ी लिखी है, पर,
काफी इलाज करवाया केवल इतना फायदा हुआ कि आर्टिफीसियल लिंब और बैसाखी के सहारे थोड़ा बहुत चल लेती है,
आज चूंकि घर पर बहुत काम था और वो थक चुकी थी इसलिए व्हील चेयर का सहारा लिया।।
हम बाहर बैठे ही थे की बाहर आकर रमा अचानक लड़खड़ाई औऱ बोली"माम् आप लोग बात करिये ,मुझे लगता हैं पैर में मोच आई है"
इतना कह वो लंगड़ाते हुए अंदर चली गई, सब बातचीत हुई ,लड़का बहुत ही सभ्य लगा मुझे, महिलाओं को लेकर उसके विचार काफी अच्छे थे,
अगले महीने की 4 तारीख को रिंग सेरेमनी तय हुई, हम खुश थे पर हैरान भी थे,
यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो गया था, वाकई आज भी ऐसे इंसान है
उनके जाने के बाद मैं रमा के पास गई"क्या रमा तू तो झांकी ही नहींं बाहर आकर"
"माम् वो बेबी रो रही थी"
"ये क्या खिला रही हो बेबी को ?"
"माम्,दही है,oats के साथ, बहुत हैल्थी रहेगा"
"जानती हो रिश्ता तय हो गया"
"जानती थी ये रिश्ता हो ही जायेगा"
"इतना भरोसा था रेणु की सादगी पर तुम्हे" ?
"नहीं उस इंसान के कमीनेपन पर भरोसा था"
"क्या कहना चाहती हो,साफ साफ कहो ?कौन कमीना" ?
"वही मिस्टर आयुष,जो आए थे अपनी शादी के लिए"
"तुम उन्हें कैसे जानती हो ?"
"मुझसे ज्यादा उस इंसान को कौन जानेगा, 2साल नरक भोगा है उसके साथ, उसकी पहली पत्नी हूं मैं, "
मैं धम्म से बिस्तर पर बैठ गई
"क्या बोल रही हो तुम ?तुम उसकी पत्नी ? फिर यहाँ आया का काम ? "
"जी"
"तुम इतने अच्छे से बिलोंग करती हो ?"
"हहहहहह अच्छा घर!!क्या अर्थ हैं आपकी नजरो में अच्छे घर का माम् ?एक mnc कंपनी में लड़के की अच्छी पोस्ट, एक बड़ा राजनेता होना, एक बड़ा सा घर, बस यहीं ना" ?
"साफ साफ कहो रमा ,क्या बात है ?"
"माम् वो इंसान नहीं जानवर है,
"आप जानती है मैंने BA किया हुआ है, मुझे बचपन से ही मेकअप का सामान बहुत आकर्षित करता था,एक नशा सा था, लिपस्टिक औऱ नेलपॉलिश का रंग, ब्यूटी प्रोडक्ट की खुशबू से रिचार्ज हो जाती थी मैं,
मम्मी से बहुत डांट पड़ती,पढ़ने में ठीक ही थी, सपना था एक बहुत बड़ा ब्यूटी सैलून खोलने का
'पॉकेट मनी से यही सब खरीदती,मम्मी पापा को सब फालतू खर्चा लगता,क्योंकि उस सामान के हिसाब से मेरी उम्र बहुत कम थी, "
"आप जानते हो माम् मिडिल क्लास फैमिली में अगर लड़की कम उम्र में मेकअप की तरफ आकर्षित हो तो उसे बिगड़ैल और चरित्रहीन मान लेते है"
"बस मेरे घरवालो को शादी ही एकमात्र हल दिखा इस सबका, B A कम्पलीट ही हुआ था की घरवाले चट मंगनी पट ब्याह के चक्कर मे लग गए"
",उसी दौरान आयुष से मुलाकात हुई,मेरे सपनों को हवा दी इस इंसान ने, मुझे मेरे भविष्य को लेकर इतने सपने दिखाए की मैं बिना कुछ सोचे समझे इसके साथ शादी कर इसके घर चली गई, "
"शादी के दो महीने बाद ही पता चल गया कि इस इंसान को शादी केवल सामाजिक दिखावे के लिए करनी थी, असल मे उसे अलग अलग महिलाओं से सम्बन्द्ध बनाने की बीमारी है"
"अब लाल बत्ती में घूमने वाले इतने बड़े घर का बेटा, ये सब खुलेआम तो नहीं कर सकता था, इसलिए जानबूझकर उसने मिडिल क्लास फैमिली की लड़की चुनी, "
"2 महीने बाद ही अलग अलग औरतो को घर लाने लगा, शुरू के 6 महीने मुझे घरवालो से बात तक नहीं करने दी, मार पिटाई की जाती, इसका भाई बाहर रहता है केवल रिश्ता करवाने आता है, माँ पुत्र मोह में पागल हो चुकी है क्योंकि पति के बाद उन्हें कोई सहारा नहीं दिखता, "
"कई महीनों बाद जैसे तैसे घर बात की तो उनका जवाब था तुम्हारे लक्षण तो पहले ही ठीक नहीं थे, अब इतने बड़े घर जाकर भी नहीं सुधरना तुम्हे, इस सबमे हम क्या कर सकते है, गलती की है तो भुगतो"
"लेकिन वो अंदर ही अंदर घुट रहे थे, दो भाई की जिम्मेदारी फिर उन्ही भाईओ के घर का मुखिया बनने से वो हमेशा लाचार ही रहे, इसी लाचारी में दम तोड़ दिया उन्होंने, भाईओ ने मुझे खबर भी नहीं की, "
'शादी के डेढ़ साल बाद मुझे कहीं से पता चला इस जानवर इंसान ने अपनी सगी बहन से भी बदतमीजी की थी, तबसे वो किसी N G O में रहती है, मैं किसी तरह वहाँ पहुँची, उनसे मदद मांगी, "
"तब जाकर मुझे मुक्ति मिली,ना मेरी पढ़ाई के आधार पर कोई जॉब मिली ना मैं अपना सपना छोड़ना चाहती थी, "
"इसलिए सबसे पहला काम आपके यहाँ मिला और इसी पैसे से मैं ब्यूटिशियन का कोर्स कर रही हूं, मुझे एडवांस कोर्स करने है माम् मेकअप के, वो चल रहे है ना आजकल 3D,4D वो वाले, '
"यहाँ आई तो अपने जैसा एक और नमूना मिला ,रेणु दी, हम दोनों फ़ोन में नई नई मेकअप तकनीक देखते और सीखते रहते है, पर पता नहीं था कि दोनों के जीवन मे ये इंसान भी आएगा, "
"देख लेना माम् उसने दीदी को भी इसीलिए चुना है ताकि अपाहिज बीवी को जिंदगी भर दबा कर रख सके"
"अब मैं क्या करूँ रमा,कैसे बता सकूंगी ये सब आशीष को" ?
"बताना पड़ेगा माम्"
शाम को मैंने एक सांस में सारी कहानी आशीष को बताई, वो गहरी सोच में पड़ गए एक आया कि बात का यकीन करें या नहीं ?
तभी उनका फोन बजा"जी मैं आयुष बोल रहा हूं, मैं चाहता था रिंग सेरेमनी और शादी बहुत ही सादे ढंग से हो जाए, "
आशीष ने अचानक पूछा"रमा को जानते हो ?"
उधर कुछ देर चुप्पी छाई रही"ज, ज, जी वो , वो, मेरी पहली पत, "
इतना सुनते ही आशीष ने कहा"माफ करियेगा हम ये रिश्ता नहीं कर सकते, हमारी बहन हम पर बोझ नहीं है, "
इतना कह आशीष ने फोन काट दिया और बोले"रमा और रेणु दोनो को बोलना घर के नीचे वाले हिस्से से किरायेदार अगले महीने चले जायेंगे, उसके तुरंत बाद सैलून का काम शुरू हो जाएगा, मेहनत के लिए तैयार हो जाए दोनो, "
मेरे चेहरे पर असीम सुकून था और यही सुकून सुबह रमा के आने पर उसके चेहरे पर देखना चाहती थी मैं।