Akanksha Gupta

Drama

4.0  

Akanksha Gupta

Drama

बच्चों की समझदारी

बच्चों की समझदारी

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"सुबह से दिमाग खराब कर रखा है। पता नहीं क्या चाहिए था तुम्हें जो पूरा घर सिर पर उठा लिया” प्रकाश घर में घुसते ही बोला।


"तुम्हें समझ में क्यो नहीं आ रहा, मुझे अपने लिए थोड़ा सा वक्त चाहिए” करुणा लगभग चीखते हुए बोली।


"तो यह बात अब भी तो हो सकती थी। इसके लिए मुझे मीटिंग में डिस्टर्ब किया। थोड़ा बहुत इंतजार भी कर लिया करो” प्रकाश भी तेज आवाज में बोला।


करूणा और प्रकाश आपस में लड़ रहे थे। उन्हें इतना भी ध्यान नहीं रहा कि घर में उनके अलावा दो बच्चे भी है जो यह सब देख रहे थे। करुणा और प्रकाश के दो बच्चे राघव और लक्ष। दोनों जुड़वाँ थे सात साल के। वह दोनों यह सब सुनकर अपने कमरे में आ कर बैठ गए। दोनों जानते थे कि यह सब कुछ रोज होता है। सुबह तक सब ठीक हो जाएगा।


करुणा और प्रकाश दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में नॉकरी करते थे। दोनों ने प्रेम विवाह किया था। करुणा को बच्चों के जन्म के कारण नॉकरी छोड़नी पड़ी थी। उसका पूरा समय बच्चों के साथ गुजरने लगा। इस तरह उसकी जिंदगी के सात साल निकल गए। अब वह अपनी जिंदगी के पुराने समय में लौटना चाहती थी।


दोनों बच्चे अपने कमरे में बैठे हुए थे। उन्हें भूख लगी हुई थी लेकिन वह खुद से खाना भी नहीं ले सकते थे क्योंकि घर पर कुछ भी नहीं बना हुआ था।


लक्ष “क्या आज भी खाना नहीं बनेगा भाई?”


राघव “अगर मम्मी-पापा की फाइट खत्म हो जायेगी तो मम्मी खाना बना सकती है”


लक्ष “हमारे पेरेंट्स इतना फाइट क्यो करते है? हमारे क्लास के बच्चों के मम्मी पापा तो उनके साथ प्यार से रहते है”


राघव “पता नहीं। उन दोनों को तो यह भी याद नहीं कि आज हम दोनों स्कूल से जल्दी घर आ गए थे और हमें घर के बाहर खड़ा रहना पड़ा”


लक्ष “तो उन्हें क्या पता था कि आज हम लोग जल्दी घर आ जायेंगे। इसमें उनकी कोई मिस्टेक नहीं है। दोनों परेशान रहते है। उन्हें तो हमारी तरह कोई खेलने भी नहीं देता”


राघव “अगर हम स्कूल से फिर कभी जल्दी वापस आ गए और घर पर कोई नहीं मिला तो?”


लक्ष “तो हम भी अपने लिए एक एक्सट्रा की(चाबी) बनवा लेते है। इससे हमें बाहर नहीं खड़ा होना पड़ेगा”


राघव “और अगर कभी खाना नहीं बना तो?”


लक्ष “तो क्या हो गया?सीख लेंगें यूट्यूब पर देख कर। अपनी फ़ेवरेट चीज बनाकर खाया करेंगे”


राघव “यह अच्छा आइडिया है लेकिन अभी तो बहुत भूख लग रही है। क्या करूँ?”


लक्ष “चलो अभी तो दूध ही पी लेते है”


राघव “ओके भाई”


राघव और लक्ष फ्रिज में से दूध निकाल कर पी लेते है। अगली सुबह सब कुछ सामान्य हो गया था। दोनों बच्चे भी अपने अपने आइडिया के बारे में सोचने लगे थे।



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