Prabodh Govil

Action

3  

Prabodh Govil

Action

बैंगन- 6

बैंगन- 6

3 mins
218


मैंने घबरा कर जल्दी से दरवाज़ा खोला और मैं फुर्ती से बाहर आया।

लेकिन बाहर का दृश्य देखते ही मेरे होश उड़ गए।

जो सायरन अभी मुझे भीतर सुनाई दिया था वो पुलिस की गाड़ी का ही था और गाड़ी को हमारे ही घर के पोर्च में खड़ी करके तीन पुलिस वाले मुस्तैदी से भीतर आ घुसे थे।

मुझे देखते ही एक पुलिस अधिकारी ने तत्काल कमरे का दरवाजा इस तरह घेर लिया मानो मैं पुलिस को देखते ही कहीं भाग जाऊंगा और उसे किसी तरह मुझे रोकना है।

पर मैं तो ख़ुद हैरान था कि ये सब क्या है।

उस पुलिस अधिकारी से ही मुझे पता चला कि हाल ही में विदेश से लौटे मेरे भाई के नाम गिरफ़्तारी का वारंट है और वो शायद पुलिस की भनक लगते ही अपने पूरे परिवार के साथ तत्काल फरार हो गया है।

उसे इतना समय भी नहीं मिल पाया कि वो मुझे पूरी बात बता पाता और मुझे आने वाली स्थिति से सचेत करता।

मैं बड़ी मुश्किल से पुलिस को ये समझा पाने में सफल हुआ कि मुझे अपने भाई के कारनामों और ठिकाने के बारे में कुछ भी पता नहीं है और मैं तो खुद यहां एक मेहमान के तौर पर आज ही आया हूं।

वो लोग मुझे आगाह करके चले गए कि जैसे ही मुझे भाई और उसके परिवार के लोगों के बारे में कोई जानकारी मिलेगी मैं पुलिस को सूचित करूंगा।

मुझे बाकायदा ये धमकी दी गई थी कि अगर मैंने उन लोगों को बचाने या खुद भागने की कोई कोशिश की तो मुझे भी उनके साथ अपराध में शामिल मान लिया जाएगा।

जबकि मैं अभी तक ये भी नहीं जानता था कि मेरे भाई का अपराध क्या है, ये अपराध उसने कब और कहां अंजाम दिया है और अब वो सब लोग कहां हैं।

मैं अपने आप को सुबह से ही किसी गोरख धंधे में घिरा हुआ पा रहा था और पछता रहा था कि मैं यहां आया ही क्यों।

और अब तो मुझे ज़ोर से भूख भी लग आई थी।

पुलिस के जाते ही मैंने पहले तो जल्दी से बंगले के मुख्य द्वार को भीतर से बंद किया और फिर मैं किचन में आया।

जाहिर है कि जब डायनिंग टेबल पर बर्तन सजाए जा रहे थे तो भीतर किचन में कुछ भोजन भी बना हुआ ही होगा।

लेकिन वहां जाने पर मुझे बाज़ार से खाना पैक करवा कर मंगवाने के संकेत दिखाई दिए।

खाना रखा था और कुछ चीज़ें गर्म करने के लिए निकाल कर ओवन में रखी हुई थीं।

मैंने झटपट खाने के पैकेट टटोल कर अपने लिए एक प्लेट में कुछ निकाला और मैं जल्दी से डायनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगा।

अभी मैंने खाना शुरू किया ही था कि दरवाजे की बेल बजी।

मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने देख कर अवाक रह गया। सामने भाभी और दोनों बच्चे खड़े थे। भाभी मुझे देखते ही बोलीं- अरे आप फ्रेश होकर आ गए भैया? चलिए अब खाना लगाते हैं।

भाभी इस तरह इत्मीनान से बोलीं जैसे कुछ हुआ ही न हो।

मैंने थोड़ी सख़्त आवाज़ में पूछा - भाई कहां है?

भाभी ने मेरे हाथ की प्लेट की ओर देखते हुए कहा- भीतर ही होंगे, शायद अंदर वाले बाथरूम में ही तो नहा रहे थे।

मैं ये देख कर चौंक गया कि भैया सचमुच अंदर से गीले तौलिए से बाल पोंछते हुए पीछे- पीछे चले आ रहे थे।

- अरे, भैया? आप यहीं थे? तो तब निकले क्यों नहीं, जब पुलिस आई थी?

- पुलिस, कैसी पुलिस? क्या बोल रहा है। पुलिस क्यों आएगी यहां?

अब चौंकने की बारी मेरी थी। भाभी बोलीं- भैया बाहर बंगले के लॉन में तो बच्चे खेल रहे थे, मैं भी पास ही बैठी थी, आपको कौन सी पुलिस दिख गई, और कहां?

बच्चे भी हंसने लगे थे!

बेटा बोला- चाचू, वाशरूम में कोई टीवी शो देख रहे थे क्या?

मैं हक्का बक्का रह गया।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action