बारिश और तुम
बारिश और तुम
बारिश हमेशा से ही मेरे लिए बहुत ख़ास रही है और इसका एकमात्र कारण हो तुम। तुम्हारे मेरे जीवन में आने से पहले जब भी बारिश होती थी, मैं बारिश में ख़ूब भीगा करती थी, कुछ पुराने यादों को याद कर रो लेती थी, इतना की आंँसू और बारिश के पानी में कोई फ़र्क नहीं रहता था। लेकिन तुम्हारे आने के बाद बारिश मेरे लिए हमेशा ख़ुशी का पैग़ाम लेकर आयी।
जब पहली बार बारिश में भीगते हुए तुमसे मिलने आयी थी, मानो जैसे उस दिन मेरे जीवन के सारे दुःख, सारी तकलीफ़ें, सारी पुरानी यादें धुल गए थे और अब जब भी बारिश को देखती हूंँ मुस्कुराती हूंँ। अब जब बारिश में आंँखें नम होती है तो सिर्फ़ तुम्हें याद करके ही होती है।
कितना अजीब रिश्ता है ना मेरा बारिश से, जब बारिश होती है तब तक दिल की गहराईयों में छिपा हुआ दर्द बाहर आंँसू बन बह जाता है। दिल के किसी कोने में छिपा हुआ बच्चा अब बारिश को देख वो बाहर आ कर नहीं खिल खिलता है। ना ही वो रोता है, ना ही मुस्कुराता है बस ख़ामोश बैठ कर बारिश के गिरते हुए बूंँदों को देखता रहता है।

