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प्रीति प्रभा

Tragedy

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प्रीति प्रभा

Tragedy

वो डरावनी रात

वो डरावनी रात

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कुछ साल पहले की बात हैं मुझे आज भी अच्छे से याद हैं। वो डरावनी रात आज भी भूले भुलाई नहीं जाती हैं। कितना खुश थी मैं उस दिन क्या बताऊंँ ?

मैंने सुबह से ही सारी तैयारी कर ली थी। तुम्हारे आने का सुनकर ही खुश थी और मैंने कितना कुछ तुम्हारे पसंद की खाने की चीजें बनाई थी। तुम आए भी थे उस दिन पर हम किसी कारण मिल ना सके थे। कोई बात नहीं शाम को मुलाकात होगी ये सोचकर शाम की तैयारियों में जुट गई थी। उस शाम को जब तुम लौट रहे थे अपनी बहन के घर से तो एक मैसेज भेज कर बता दिया था।

सोचती हूँ काश तुम ना आते, उस दिन तो इतना दुःख ना होता आज।

आधी रात हो गई पर तुम घर नहीं आए तो कॉल किया। दूसरे तरफ से किसी ओर ने उठाया और बताया कि अस्पताल जल्दी से पहुँच जाऊँ मैं, एक पल में सारी खुशियाँ आँसुओं में बदल गयी। मेरे जीवन के सारे रंग बेरंग हो गए पल भर में।

वो रात सिर्फ़ रात नहीं थी डरावनी सी, उस रात ने सब कुछ तबाह कर दिया मेरे जीवन से। कभी नहीं भूल सकती हूँ उस डरावनी रात को, आज भी डर जाती हूँ रातों को मैं। सोने नहीं देती है अब मुझे ये रातें।


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