अंधा धुंध लुटाना
अंधा धुंध लुटाना
राजेश और रोशन दोनों बहुत पक्के दोस्त होते है साथ ही दोनों पड़ोसी भी होते है। बचपन से साथ में खेलें और साथ ही अपनी पढ़ाई भी पूरी की। दोनों को ही बहुत अच्छी कम्पनी में नौकरी मिल जाती है।
धीरे धीरे समय बीतता जाता है उन दोनों का विवाह हो जाता है।
राजेश की पत्नी बहुत सुंदर और समझदार होती है। और रोशन की पत्नी घमंडी और ईर्ष्यालु होती है। दोनों ही अपने अपने जीवन में बहुत खुश होते है।
एक दिन राजेश की तरक्की हो जाती है। वो बहुत ख़ुश होता है क्यों कि उसने अपने जीवन में बहुत दुःख देखे होते है। उसकी पत्नी उसके कमाई के पैसों में से कुछ पैसे बचा लिया करती थी। ताकि ज़रूरत के समय काम आ सके। बाकी पैसों से वो अपने घर के खर्चो में उपयोग किया करती थी।
रोशन की पत्नी उससे बहुत ज्यादा ईर्ष्या करती थी क्यों की उसे लगता था वो बहुत दिखावा करती है। वो हमेशा रोशन से कहा करती थी कि राजेश के घर में आज नया टीवी लगवाया, तो कभी नया सोफ़ा लगवाया। उसे भी अपने घर में ये सारा सामान चाहिए चाहे जैसे भी लेकर आए।
धीरे धीरे उसका लालच ऐसे बढ़ने लगा कि वो अपने पति के बचाई हुई पैसे भी खर्च करने लग जाती है। एक दिन रोशन अपनी पत्नी से कहता भी है कि अंधाधुंध लुटाना बंद कर दो ये बेफिजूल की खर्चे एक दिन बहुत मुश्किल पड़ सकती है हमें। मगर उसकी पत्नी इस बात को हर बार नज़र अंदाज कर दिया करती थी।
अचानक किसी कारण वश उन दोनों की नौकरी चली जाती है। दोनों बहुत परेशान हो जाते है क्यों कि जब तक कोई नौकरी नहीं मिल जाती उनका गुज़ारा कैसे चलेगा।
राजेश की पत्नी ने जो बचत की होती है उसी से अपना गुजारा करती रहती है इस मुश्किल हालात में, मगर वहीं रोशन और उसकी घर के हालात दिन पर दिन बुरा होता जाता है क्यों कि उसकी पत्नी ने कभी एक भी रुपए नहीं बचाए होते है। उसे आज अपने पर बहुत गुस्सा आता है कि उसने अपने लालच में सारे पैसे अंधाधुंध लूटा दिया।
