बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान.. मनोविज्ञान की एक शाखा है।
जिसमें बालक के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है। जहाँ सामान्य मनोविज्ञान प्रौढ़ व्यक्तियों की मानसिक क्रियाओं का वर्णन करता है तथा उनको वैज्ञानिक ढंग से समझने की चेष्टा करता है, वहीं बाल मनोविज्ञान बालकों की मानसिक क्रियाओं का वर्णन करता और उन्हें समझाने का प्रयत्न करता है। बाल मनोविज्ञान बालक को समझकर उसके विकास की क्रिया में सहायक होता है। यदि शिक्षक और माता-पिता को बाल मनोविज्ञान की सही जानकारी हो, तो वे बच्चे का उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं। शिक्षकों के लिए इसका अध्ययन अति आवश्यक है।
बच्चों के पालन पोषण में अनेक चीजें महत्वपूर्ण भूमिका रखती हैं। अब सामाजिक माहौल को ही लें। यूं तो समाज की हर इकाई बच्चे के विकास के लिए जिम्मेदार होती है,जैसे उसकी मित्र मंडली, रिश्तेदार, आस-पड़ोस और परिवेश जिनका उस पर बहुत प्रभाव पड़ता है। बात करें, अगर आर्थिक परिवेश की तो वह भी काफी हद तक बच्चे के बनने या बिगड़ने के पीछे जिम्मेदार होता है। बालक का विकास सामाजिक ,भावनात्मक ,शारीरिक, सांस्कृतिक और मानसिक सभी प्रभावों से गुजरकर होता है।
परिवार एक आधारभूत संस्था है। बालक का भावनात्मक विकास परिवार से मिले सौहार्दपूर्ण माहौल से प्रभावित होता है। वहीं बालक में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उसके विकास की प्रक्रिया को मुखर बनाता है।इसे कैसे विकसित किया जाए? बालक को जिज्ञासु बना कर।जी हां, बालक को प्रोत्साहित करें की वह ,' क्या और कैसे ' जानने की उत्सुकता रखे।
बालक के विकास के समय उसके संवेगात्मक विकास पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। जैसे सामाजिक समायोजन की दक्षता, उसे एक सामाजिक प्राणी बनाती है वहीं अत्यधिक ईर्ष्यालु, संस्कार हीन बालक समाज में उचित सम्मान नहीं पाते।
बालक में सांस्कृतिक विकास करना हमारा अहम कर्तव्य है, इसके लिए बालक की बौद्धिक क्षमता को पहचानना और उसकी रचनात्मकता को बढ़ावा देना बहुत आवश्यक होता है।
माता-पिता इस बात का ध्यान रखें कि अपनी महत्वाकांक्षा और इच्छा बालक पर न लादें। उसकी बाल सुलभ क्रीड़ाओं पर अंकुश न लगाएं।
हम वंशानुक्रम और परिवेश को भी अनदेखा नहीं कर सकते यह भी बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार वंशानुक्रम प्रभाव इतना अधिक होता है कि बालक कई समस्याओं का शिकार हो जाता है।
बाल मनोविज्ञान पर आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभाव भी अछूता नहीं रहा। बढ़ती हिंसा, अपराध ,अश्लीलता ने सांस्कृतिक अवमूल्यन तो किया ही है बालक के मन मस्तिष्क को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
विकासात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत यह पाया गया है कि बच्चे विचारों से कहीं ज्यादा आचार से प्रभावित होते हैं इसलिए अभिभावकों को रोल मॉडल बनने के लिए कहा जाता है।हम बालक को जैसा बनाना चाहते हैं, हमें स्वंय वैसा बनना होगा।
बाल मनोविज्ञान समझकर बालकों के स्वभाव एवं विकास को समझने में और उनको शिक्षित करने में सरलता हो जाती है | बाल मनोविज्ञान बालकों के व्यक्तित्व-विकास को समझने में मदद करता है। इसकी सहायता से हम बालक का उसकी रुचियों के अनुरूप कौशल विकास कर सकते हैं। बालक के बेहतर भविष्य के लिए बालक का लालन-पालन करने वालों को बाल मनोविज्ञान की समझ होनी चाहिए।