अवार्ड
अवार्ड
अवार्ड के लिए नाम पुकारे जाने पर कोमल को कानों पर विश्वास नहीं हुआ। खुशी के आँसुओं के बीच अवार्ड लेकर कुर्सी पर आ बैठी। घटनाएँ चलचित्र की भाँति आँखों के आगे तैरने लगीं।
रेलवे स्टेशन पर बैठी कोमल घंटेभर से रोहित का इंतजार करती थी। रुपयों गहनों से भरा बैग कसकर पकड़े थी। कपड़े रोहित लेकर आने वाला था। घर से कपड़े लाती तो मम्मी पापा को शक हो जाता। वह सलोनी के जन्मदिन की पार्टी का बहाना करके निकली थी।
रोहित से दोस्ती किसी समारोह में हुई थी। एक म्यूजिकल ग्रुप का हिस्सा था रोहित। मंच पर मधुर गीत संगीत और नृत्य से धूम मचा दी थी उसने।
कोमल ने पास जाकर उसकी प्रशंसा की तो उसने कोमल के सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए पहली ही मुलाकात में उसे मुंबई जाकर अभिनेत्री बनने की सलाह दे डाली।यही सपना तो उसकी आँखों में भी तैरता था।
उसकी बेबाकी पर मंत्रमुग्ध हो गई कोमल। फोन नम्बर का आदान प्रदान हुआ, दोस्ती घनिष्ठता में बदली और अब कोमल उसके साथ मुंबई जा रही थी। गुपचुप भागने की बात केवल सलोनी जानती थी। समझाया भी था उसने, परंतु फिल्मी स्टाइल से भाग रही कोमल अभी से स्वयं को हीरोइन समझने लगी थी।
अचानक मोबाइल फोन की घंटी बजी। मम्मी का फोन था। न चाहते भी फोन उठाना पड़ा कोमल को।
"हैलो मम्मी, क्या हुआ? बताया तो था कि आने में देर हो जाएगी। फिर फोन क्यों किया ?"
"बेटा, घर में चोरी हो गई है। सारे गहने और घर में रखे डेढ़ लाख रुपए गायब हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा , कोई आया न गया। मैंने सुबह ही अल्मारी में सब सलामत देखा था। जल्दी घर आ जा, तेरे पापा का ब्लडप्रेशर बहुत बढ़ गया है। कुछ हो न जाए उन्हें।"
"घबराओ नहीं माँ, मैं आती हूँ।"
कहकर फोन रख दिया कोमल ने। पर अब करे क्या? पापा को कुछ हो गया तो? मम्मी अकेले परिस्थितियों का सामना कैसे करेंगी?कितना बड़ा धोखा कर आई है अपने जन्मदाताओं के साथ।
पर बताती कैसे, पापा अभिनेत्री बनने के सख्त खिलाफ थे।तभी रोहित सामने आकर खड़ा हो गया। उसके साथ दो लोग थे। एक बैग देता हुआ बोला
"ये तुम्हारे लिए कपड़े हैं। एक जरूरी परफॉर्मेंस है मेरी। तुम इनके साथ निकलो, मैं परसों मिलता हूँ मुंबई में तुमसे।"
कोमल ने उन दोनों को गहरी दृष्टि से देखा। दोनों कोमल को ही घूर रहे थे। उनकी निगाहें ठीक नहीं लगीं उसे। अपनी ओर देखते पाकर उनमें से एक बोला
"हैलो कोमल। बहुत खूबसूरत हैं आप, इंडस्ट्री में अपनी बड़ी पहचान है। कल ही आपको मिलवाते हैं किसी से।"
बात का जवाब दिए बिना कोमल ने रोहित से कहा"परफॉर्मेंस थी तो पहले पता नहीं था? उसके बाद जाते। अंजान लोगों के साथ मैं कैसे चली जाऊँ?"
"अरे जिन्हें अंजान कह रही हो, ये दरअसल बड़े लोग हैं। तुम्हारी किस्मत है कि ये शहर में आए हुए थे और आज मुंबई वापस जा रहे हैं। और मैं पहुँच रहा हूँ न परसों।"
दूसरा आदमी नाराजगी से बोला "हमारे ऊपर भरोसा नहीं है तो हम भी इन्हें साथ लेजाने वाले नहीं। काम दिलवाने के लिए इनके जैसों की लाइन लगी रहती है हमारे आगे। ये तुम्हारी मित्र हैं इसलिए हमने मदद के लिए हाँ कहा।"
"अरे नाराज मत हो भाई, लड़की है, अंजान लोगों पर भरोसे में समय लगेगा। मैं समझाता हूँ।"
रोहित बोला।
कोमल की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। एक धोखा वह मम्मी पापा को देकर आई थी, दूसरे धोखे का शिकार खुद तो नहीं होने जा रही? आखिर जानती ही कितना है रोहित को ? खुद साथ तक नहीं चल रहा।
"चलूँगी आपके साथ, लेकिन लेडीज कूपे में जाऊँगी। रात भर अजनबियों के साथ नहीं रहूँगी।"
" ये कैसी जिद है? पहले से रिजर्वेशन है तुम्हारा इनके साथ।" रोहित चिढ़ कर बोला
"ये तुम्हें आज मिले तो इनके साथ रिजर्वेशन पहले से कैसे है? रिजर्वेशन तो तुम्हारे साथ था। वैसे भी अपने लिए लेडीज कूपे का इंतजाम मैं खुद कर लूँगी।
रोहित को जवाब नहीं सूझा तो उनमें से एक बोला"ठीक है, कर लो। पर मुंबई बड़ा स्टेशन है। अपने कूपे में हमारी प्रतीक्षा करना। इधर उधर मत जाना।"
कोमल ने हाँ में सिर हिलाया और एक ओर बढ़ गई। रोहित ने साथ आने का प्रयत्न किया तो उसने मना कर दिया।
एक बार सोचा कि रेलवे पुलिस से सहायता माँगे, पर ठीक से पता ही नहीं था कि वह लोग सचमुच धोखेबाज हैं या कोमल ही डर गई है।मोबाइल फिर बजा। इस बार सलोनी थी।
"कहाँ है तू? अंकल की हालत बहुत खराब है। अस्पताल लेकर गईं हैं आंटी पड़ोसियों की मदद से। तेरी भी फिक्र हो रही है उन्हें। कब तक झूठ बोलूँगी? वापस लौट आ। ठीक नहीं कर रही तू।"
" मुझे भी लग रहा है मैं बहुत गलत करने जा रही थी। अभी पहुँचती हूँ।"
फोन काटा तो रोहित खड़ा घूर रहा था "तुम वापस नहीं जा सकतीं, जरा सोचो तुम्हारे सपनों का क्या होगा।"
" सपने मेरे माता पिता से महत्वपूर्ण नहीं हैं। मैं अभी जा रही हूँ। ये सपना अब मैं उनके आशीर्वाद से पूरा करूँगी, नहीं तो न सही।"
"और मेरा क्या? मैं प्यार करता हूँ तुमसे"
"तुम्हारा प्यार तो देख लिया मैंने। धोखा खाने से बाल बाल बची हूँ। तुम ट्रेन के सफर में साथ नहीं दे सकते तो ज़िन्दगी के सफर में क्या दोगे?"
रोहित ने कोमल के हाथों से बैग छीनने की कोशिश की तो कोमल ने शोर मचाया। रोहित घबरा कर भागा लेकिन रेलवे पुलिस की गिरफ्त से बच न सका। कोमल घर लौट आई।
मम्मी पापा के पैरों में गिर कर फूट फूट कर रोई। पापा शीघ्र ही स्वस्थ होकर घर आ गए। उन्होंने कोमल की इच्छाओं का सम्मान करते हुए अभिनेत्री बनने की अनुमति दे दी। और आज पहली ही फिल्म के लिए अवार्ड मिला था।