औरत कमजोर नही
औरत कमजोर नही
"एक औरत सब कुछ सह सकती है नमन।पर एक माँ नही अब तक एक औरत एक पत्नी ने सब बर्दाश्त किया पर अब बात मेरी बच्ची की है । इसलिए जा रही हूँ मैं यहाँ से अपनी बच्ची को ले !" तृप्ति गुस्से मे बोली।
" अरे जाओ जाओ। देखता हूँ मेरे बिना तुम्हारा वजूद क्या है। चार दिन मे ना वापिस आ गई तो मेरा नाम बदल देना। रही तमन्ना की बात इसको जन्म देने का फैसला तुम्हारा था मेरा नही। मैं बच्चों के पचड़े मे पड़ना ही नही चाहता था!" नमन अकड़ मे बोला।
" हाँ फैसला मेरा था पर खून वो तुम्हारा है। वैसे भी किसी अजन्मे बच्चे की हत्या करवाना मेरे संस्कार नही। मुझे लगा था वक़्त के साथ बदल जाओगे तुम पर नही ये मेरी भूल थी। तुमने शादी मुझसे नही मेरी नौकरी से आते पैसे से की थी। पैसे आने बंद तो प्यार खत्म।!" तृप्ति बोली।
" मुझे लेक्चर नही सुनना। तुम्हे जाना है तुम जा सकती हो पर ये मत सोचना मैं तुम्हे मनाने आऊँगा!" ये बोल नमन कमरे मे जा सो गया।
तमन्ना सामान पैक करती सोच रही थी शादी से पहले नमन कितना अलग था । प्यार के बड़े बड़े वादे करना वो सब झूठ था। तृप्ति के पापा ने कितना समझाया था नमन सही लड़का नही पर उस पर तो जैसे भूत सवार था। शादी के बाद भी सब कितना अच्छा था। पर जैसे ही नमन को पता लगा तृप्ति माँ बनने वाली है उसका व्यवहार धीरे धीरे बदलने लगा। तृप्ति ने नौकरी क्या छोड़ी नमन वो नमन रहा ही नही जिससे तृप्ति ने प्यार किया था। । बेटी तमन्ना के होने के बाद नमन ने एक बार भी उसे गोद मे नही उठाया। उसके रोने पर रोज़ चिल्लाता। तृप्ति चुपचाप सब बर्दाश्त कर रही थी पर आज तो नमन ने हद ही कर दी दो साल की नन्ही बच्ची के जरा शैतानी करने पर ना केवल उसे थप्पड़ मारा बल्कि उसे मनहुस और जाने क्या क्या कहा साथ ही तृप्ति से भी लड़ पड़ा। अब तृप्ति के सब्र का बांध टूट गया।
सुबह नमन के उठने से पहले ही तृप्ति ने घर छोड़ दिया एक दोस्त से वो पहले ही बात कर चुकी थी तो उसके घर पहुँच गई। !
" आओ तृप्ति इसे अपना ही घर समझो और जब तक चाहो यहाँ रह सकती हो। रही नौकरी की बात तुम नमन से ज्यादा पढ़ी लिखी हो पहले भी नौकरी करती थी अब भी मिल जायेगी हौसला रखो!" तृप्ति की दोस्त रिया बोली।
" शुक्रिया रिया मुझे यहाँ सहारा देने के लिए वरना।!" तृप्ति रो दी।
" बड़ी आई शुक्रिया करने वाली। पागल मैं भी तो अकेली हूँ तुझे पता ही है मेरे पति फौज मे हैं बच्चा अभी है नही तेरे आने से मुझे सहारा हो गया। साथ ही तमन्ना से घर मे रौनक!" रिया बोली।
" एक बार नौकरी छोड़ दुबारा मिलना मुश्किल् है पर नामुमकिन नही मैं आज से ही कोशिश शुरू कर देती हूँ!" तृप्ति बोली।
उसने अपने पुराने बॉस से बात की उसके पिछले कामों को देखते हुए बॉस ने अगले हफ्ते इंटरव्यू को बुलाया। तृप्ति ने रात दिन एक कर दिया इंटरव्यू की तैयारी और अपना खोया आत्मविश्वास वापिस लाने मे। !
" देखो तृप्ति तुम्हारे पिछले रेकॉर्ड के आधार पर और आज भी जो तुम आत्मविश्वास से भरपूर हो उसके आधार पर मैं तुम्हे नौकरी तो दे सकता हूँ पर पहले जैसी सेलरी नही दे पाऊंगा अभी!" इंटरव्यू लेने के बाद तृप्ति के बॉस अरुण बोले।
" सर मुझे मंजूर है। इस वक़्त मुझे कैसी भी जॉब चाहिए बस। !" तृप्ति एक दम से बोली।
" ठीक है तो तुम कल से आ सकती हो!" अरुण बोला।
" रिया। मुझे नौकरी मिल गई!" घर आ तृप्ति रिया के गले लगती हुई बोली।
" बहुत बधाई तुझे। !" रिया बोली।
" पर रिया तमन्ना का क्या करूँ। यहाँ किसके पास रहेगी!" तृप्ति चिंतित हो बोली।
" उसकी फिकर मत कर यहाँ एक क्रेच है उसमे तमन्ना को 2 बजे तक छोड़ा जा सकता मैं ऑफिस से 6 बजे तक आ जाती इस बीच कमला काकी ( रिया की काम वाली) तमन्ना को संभाल लेंगी मैने उनसे बात कर ली है!" रिया बोली।
" पर ऐसे किसी के भरोसे तमन्ना को छोड़ना सही है!" तृप्ति बोली।
" तू फिक्र मत कर कमला काकी भी अपनों की सताई हैं वो तेरा दर्द समझती हैं तमन्ना के साथ उनका अकेलापन भी दूर हो जायेगा तू देख तो रही कितना हिल गई तमन्ना उनसे। फिर वो यहीं तो रहती हैं। " रिया बोली।
तृप्ति तमन्ना को क्रेच छोड़ जॉब पर जाने लगी। धीरे धीरे गाड़ी पटरी पर आने लगी। उधर नमन ने जब सुना तृप्ति नौकरी करने लगी है तो उससे माफ़ी मांगने और उसे ले जाने आया पर तृप्ति ने जाने से मना कर दिया। और तलाक का केस डाल दिया। उसने रिया के घर के पास ही एक घर किराये पर ले लिया है। कमला काकी ही उसके घर भी काम करती हैं साथ ही बच्ची की देखभाल भी। तमन्ना उन्हे दादी बोलती है!
तृप्ति की लगन के कारण धीरे धीरे उसे तरक्की मिलने लगी। आज तमन्ना पांच साल की हो गई। स्कूल जाने लगी है ।!
तृप्ति के हौसलों ने उसे एक ऐसे रिश्ते से बाहर निकाल दिया और उसका साथ दिया उसकी दोस्त रिया और कमला काकी ने। ये तीनों औरते मुश्किल् वक़्त मे एक दूसरे का सहारा बनी और दिखा दिया कि औरत कभी कमजोर नहीं होती।
