और गेहूँ ?
और गेहूँ ?
गाँव घूमने के लिए नीला दादी के पास आई हुई थीI आज खेलते हुए उसे प्यास लगी तो हैंडपम्प की तरफ़ बढ़ गई, वहाँ पर रखे गिलास में पानी भरने की कोशिश करने लगीI तभी उसके घर में काम-काज करने वाली कमला का बेटा निहाल भी पानी पीने आता है और बोलता है - " तुम गिलास पकड़ो मैं नल चलाता हूँI"
अच्छा! बोलकर नीला पानी भरकर पीने ही वाली थी कि उसकी दादी वहाँ आ गई, बोली-"नीला ये पानी फेंक दो मैं देती हूँ तुम्हें भरकर पानी वो पिओ "
क्यों?
जो कहा वो करो बस!-दादी ने गुस्से से कहा।
बरामदे में कमला धोए -सुखाए गेहूँ को बीन रही थीI चक्की पर भिजवाना था आजI नीला की दादी के घर आटा ख़त्म होने वाला था। निहाल को उसकी माँ बुलाती है- "लाला इत्तै आव, ई बोरी पकड़ लैई गेहूँ डारि देंय हम्म"
निहाल बढ़ गया बरामदे की ओर और दादी माँ ने नीला को समझाया कि वो अछूत है, उसका छुआ पानी नहीं पीना चाहिए !
"और गेहूँ ? "नीला ने सहजता से पूछा दादी से और उसकी दादी एकटक नीला को देखती रही।