महान गरिमा

महान गरिमा

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बहुत शीघ्र ही अपने क्षेत्र में यश कीर्ति का परचम लहराने वाली गरिमा फूली नहीं समा रही थी। नए वृद्धाश्रम एवं अनाथालय के उद्घाटन समारोह से अभी वो घर पहुँची ही थी कि मोहल्ले के कई परिचित जन उसे बधाई देने घर आ पहुँचे, गरिमा ने बड़े प्यार सम्मान से सबको बिठाया।

गरिमा की माँ चाय-नाश्ता लेकर आती है। सब बधाई देकर जाने लगते हैं तो, मृदुभाषी गरिमा की तल्ख़ आवाज़ जाते हुए पड़ोसियों के कानों में पड़ती है"माँ बाहर से अभी तक कपड़ें नहीं उतारे गए तुमसे ! और हाँ कल की मीटिंग के लिए जो साड़ी प्रेस करने के लिए मैंने कहा था तुमने किया कि नहीं, पता नहीं सारा दिन क्या करती रहती हो !


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