उसूल अपने अपने
उसूल अपने अपने
ऑटो से उतरे युवक को ऑटो चालक पचास रुपये का नोट देते हुए कह रहा था"तुम इसे रख लो मेरी तरफ़ से "
"नहीं नहीं तुम ले लो इसे "
"नहीं रहने दो रख लो"
"चलो तुम भी मेरे साथ मुशायरा सुन लो बड़ा अच्छा लगेगा"युवक ने ऑटो चालक से कहा ।
"पहले दिहाड़ी अपनी फिर कोई और काम" ऑटो चालक ने बड़े कड़े शब्दों में ये कहा।
"चले चलोगे तो क्या तूफ़ान आ जायेगा"
"तुम्हारा मुशायरा मेरा पेट नहीं भरेगा न मेरे बच्चों का।"
"कैसी बात करते हो, पेट तो ऊपर वाले ने भरने का वादा किया है सबसे"
"और मैंने अपनों से "ऑटो वाले के शब्दों में और रूखापन आ रहा था।
"तुम्हारा भी हक़ है भाई मनोरंजन करने का काम तो चलता रहता है"
उसी ऑटो में बैठने के लिए खड़ी दो लड़कियाँ भी उनकी बात सुन रही थीं। एक ने युवक की हाँ में हाँ मिलाया।
ऑटोवाले ने कहा" रात में आठ बजे के बाद मैं अपना कैसे मनोरंजन करता हूँ वो मैं जानता हूँ "
युवक ने पचास के नोट में तीस रुपये और मिलाकर ऑटो चालक को दिया अब उसने ले लिया।
और दोनों लड़कियों को बिठा कर ऑटो चला दिया।
अब फ़िरसे लड़की ने कहा" वो लड़के तुम्हारे जानने वाले थे ?"
"न मैडम !"
"तुम उन्हें जाते समय पैसे दे रहे थे"
दूसरी लड़की समझ चुकी थी सब वो बोल पड़ी"कम पैसे किराए का दे रहे थे वे "
"हाँ मैडम"अस्सी में बात हुई थी यहाँ आकर कहने लगे पचास ले लो "।