SUSHMA SHAILY

Drama

4.7  

SUSHMA SHAILY

Drama

नुक्कड़ वाली देवी

नुक्कड़ वाली देवी

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"दीदी, कहाँ हो तुम घर के भीतर कदम रखते हुए कुलदीप ने आवाज़ लगाई ,"

रसोई के तरफ़ से किरण ने कहा "हाँ भाई यहीं हूँ क्यों शोर मचा रखा है आज क्या ताज़ा ख़बर लेकर आ गया विद्यालय से ?"

"दीदी आज वो कटहल बेच रही है ,कल आम बेच रही थी परसों खिलौने बेच रही थी "

"कौन वही तेरी नुक्कड़ वाली "

"हाँ दीदी वही!"

"कल पूछुंगा कि वह ऐसा क्यों करती है'

किरण ने हँसते हुए कहा "ठीक है बाबा पूछ लेना ये बैग उतार हाथ मुँह धो ले कुछ नाश्ता कर ले पहले ,"

दूसरे दिन फ़िर शाम को कुलदीप दीदी को पुकारता हुआ घर में प्रवेश करता है उसे देखते ही किरण पूछ बैठती है "आज क्या बेच रही है तेरी नुक्कड़ वाली ?"

आज, आज न पूछो दीदी आज शनि देव पर चढ़ाने वाला सरसों का तेल बेच रही है।"

"अच्छा!"कहकर किरण चुप हो गयी।

दूसरे दिन शाम को कुलदीप बाज़ार गया

फ़िर नुक्कड़ वाली महिला की तरफ़ देखा आज वो महिला छोटे बच्चों की जुराबें व टोपी बेच रही थी, कुलदीप कुछ दूर गया होगा कि वापस आया कुछ दृढ़ संकल्प करके और महिला के सामने बैठ गया और धीरे से पूछा "काकी ! आप रोज बदल बदल कर सामान क्यों बेचती हैं सब तो ऐसा नहीं करते ?"

महिला हल्के से मुस्करा कर बोली 

"बेटा ,जो बिकता वही बेचती हूँ।

जिससे घर चल सके मेरा।"

कुलदीप को लगा ये महिला महिला नहीं नुक्कड़ वाली देवी है जिससे वो बात कर रहा है।महिला फ़िर कहती है-

"बेटा, मैं तो सामान बदलती हूँ पर तुम तो भाव बदलते हो।"


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