अतीत
अतीत
जरा संभलके रहना रैना, रोहित हमारे पूरे ग्रुप का हीरो है। ना जाने कितनी लड़कियो के दिल तोड़े है, तुमसे शादी करके। कहीं कोई फिर चुरा ना ले। "सुधीर (रोहित का दोस्त )ने रोहित की तारीफ मे कसीदे पढते हुये कहा।
"शादी के बाद सब बदल जाता है। ना अब वो लड़कियां आ रही रोहित के पीछे, और ना ही रोहित जा रहा। past is past अब तो रैना ही है, रोहित के लिये। "मधु (सुधीर की पत्नी)ने रैना के पास बैठते हुये कहा।
"ऐसे कैसे?आज भी हमारा चार्म कम नहीं है। शादी हो गयी तो क्या ?लड़कियां आज भी मरती है, हम एक नजर देख ले तो। तुम्हे याद है वो रिया ऑफिस वाली, और स्नेहा जो हमारी पड़ोसन थी कितना हाथ धोके पीछे पड़ी थी, लेकिन मैने ही भाव नहीं दिया। हां एक बार को सुरभि और गौतमी से थोड़ा सिरियस वाला अफेयर हो गया था, लेकिन वो बीवी और हाऊसवाईफ मटैरियल नहीं थी। पर टशन आज भी वही है हमारे "रोहित ने शेखी बघारते हुये कहा।
"हां वो तो है, तू है ही इतना हैंडसम। ये बात तो है आज भी कोई भी मर जाये तेरे ऊपर। रैना तुम्हे तो बहुत मेहनत करनी पड़ेगी इतने हैंडसम हसबैंड को सम्हालने के लिये। "सुधीर ने रोहित की ताल मे ताल मिलाते हुये कहा।
"तो इसमे क्या है?रैना भी कोई कम नहीं है, ये कम खुबसूरत है। ऐसा लगता है जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया है। रैना तुम्हारे शहर मे तो लोग दिल बिछा देते होंगे, जब तुम निकलती होगी। तुम भी तो बताओ किस किस ने prupose किया, किसने क्या क्या पापड़ बेले तुम्हारे लिये ?बोलो, शर्माओ मत। "कहते हुये जैसे मधु कुछ जताना चाह रही थी।
"हां मधु, आपको मै मधु बुला सकती हूं ना। "थोड़ा सकुचाते हुये बोली, क्योकि वो दोस्त रोहित के थे, रैना शादी के बाद दूसरी बार मिल रही थी उनसे, मधु ने रैना को रजामंदी हामी भर के दे दी। "पड़े तो बहुत थे पीछे, सबने अपने अपने हिसाब से कोशिश भी बहुत की। लेकिन मुझे शादी अपने पापा की मर्जी से करनी थी। he is always my ideal. इसलिये कभी किसी को भाव नहीं दिया। "
"अच्छा, लेकिन कोई तो होगा टीन ऐज वाला, या काॅलेज वाला जो दिल को छू के गया होगा। शादी नहीं करनी थी वो अलग बात है। "मधु रैना को कुरेदते हुये, रोहित और सुधीर के चेहरे के हाव भाव भी महसूस कर रही थी।
"हां वो एक....। " रैना ने मन की बात रखनी चाही, "बस रैना, तुम.तो खुलते ही जा रही हो। मधु छेड़ रही है और तुम.खामख्वाह इमोशनल हो रही हो। "रोहित ने रैना को रोकते हुये अपनी दोहरी मानसिकता का परिचय देते हुये कहा।
"क्यों अभी पांच मिनट पहले तुम अपने अफेयर, अपनी टाइमपास गर्लफ्रैंड, अपने पीछे पढने वाली, सब इतने आराम से डिस्कस कर रहे थे, और उस पर अपने हैंडसम होने की शेखी बघार रहे थे। हां, ये उम्मीद भी थी कि अभी भी चार्म बरकरार है तो आगे भी हो सकता है। तो फिर यही सब बीवी के लिये क्यो बर्दाश्त नहीं होता ?क्यों उसका पास्ट नहीं हो सकता?क्यों उसकी जिंदगी मे किसी की मौजूदगी, या शादी से पहले की अपनी पसंद नहीं हो सकती?तुम कुछ भी कर सकते हो और अपनी बीवी के आगे उनका नाम लेकर शेखी बघार सकते हो, लेकिन बीवी का कुछ नहीं हो सकता। "मधु ने रोहित के पुरुष अहम को चोट पहुंचाते हुये कहा।
"क्या मधु?ठीक है ना, नहीं पसंद करते आदमी अपनी बीवी के पास्ट को सुनना। "सुधीर ने मधु को रोकते हुये कहा।
"really ये तुम कह रहे हो सुधीर। हमारे बीच मे तो सब पास्ट, प्रैजेन्ट क्लीयर है हम दोनो का। तुम भी रोहित को सही कह रहे हो, जो आदमी रोहित जैसी सोच का हो उसे भी हक नहीं ना, कि वो अपने पास्ट की चर्चा करे अपनी शेखी बघारने के लिये। अगर पति का पास्ट हो सकता है तो पत्नी का क्यो नहीं?अगर वो उस बारे में खुल के बात कर सकता है तो पत्नी क्यो नहीं ?" कहते हुये मधु रैना और रोहित को सवालिया नजरो से देखने लगी। रोहित एक कश्मकश में था , तो रैना के अंदर एक पति और हमसफर की भूमिका का अंतर अंगड़ाई ले रहा था।
दोस्तों, यह एक ऐसी छुपी तस्वीर है हमारे समाज की, जिसे हम सब जानते है, लेकिन उसे उजागर करना हमारे लिये आसान नहीं होता। क्योकि हम एक औरत होने के नाते इस परिस्थिति से या तो भागते है, या उसे सहने को बाध्य होते है। लेकिन जो एक पुरुष के लिये इतना साधारण है वो एक औरत के लिये इतना असाधारण, इतना जटिल कैसे ?उत्तर अवश्य दीजियेगा।
