Anshu sharma

Inspirational

0.2  

Anshu sharma

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अतीत की ओर.... भविष्य

अतीत की ओर.... भविष्य

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भानु चप्पल बहार उतारो, सारा घर गंदा कर दिया। मम्मी हम पहले से ही घर में चप्पल लेकर आते हैं। आप जब से पूना आई हो, तब से उन लोगों की देखा देखी कहती हो। इसमें गलत क्या है बेटा ? कुछ चीजें अच्छी सीख ले तो बुराई क्या है ? पहले के लोग भी घर में आते हुए चप्पल उतारकर वही बाल्टी पानी की भरी होती थी। पैर हाथ मुंह धोकर ही करने आते थे, या यह कह लो तुम्हारी विज्ञान की भाषा में बैक्टिरिया घर में नहीं आते और वैसे भी घर साफ तो रहता है। क्या मम्मी टोका करती रहती हो?

शीतल, बच्चों के साथ क्यों उलझती रहती हो ? मंयक ने कहा।

तुम तो बचपन से ही ऐसी चप्पल लेकर ही आती थी। अब जब से पूना आई हो, तब शीतल तुनक कर रसोई की तरफ बढ़ गई। आप लोगों से तो कुछ कहना ही बेकार है।

शीतल याद है ना शाम को मिस्टर भल्ला और मिसेज भल्ला रहे हैं, हाँँ जी याद है। आप ऑफ़िस से वापस आते समय नाश्ता लेते आना। "हाँँ ठीक है 5:00 बजे मुझे फोन करके याद दिला देना" और यह कहते हुए मयंक घर से बाहर निकल गए।


भानु ,जरा बेटा पनीर का एक दो पैकेट ले आना, शीतल ने रसोई से आवाज़ देते हुए कहा। माँ,'मैं भी नहीं जा सकता, बाइक लेकर पापा चले गए हैं। 'अरे! तो साइकिल से ले आ। साइकिल से, भानु खीझते हुए बोला नहीं, मम्मी मैं साइकिल से नहीं जाऊंगा। कितनी शर्म आती है, साइकिल चलाने में, शाम तक रुक जाओ बाइक आ जाएगी तब ले आऊंगा। 

पता नहीं क्या हो गया है, आजकल के बच्चों को, पहले के लोग तो साइकिल से ही जाया करते थे। ठीक है कुछ और बना देती हूं, शीतल ने रसोई से ही कहा शीतल अपनी रोजमर्रा के कामों में लग गई।

शाम को मेहमान आने वाले थे। शाम को मेहमानों के समय उसने अपना तांबे के नए गिलास जो लाई थी, उसमें पानी दिया। अरे वाह ! शीतल आपका तो बहुत सुंदर तांबे के गिलास है। जी, अभी मैं नये ही लाई हूं, वैसे भी तांबे के पानी में पीने से आपका स्वास्थ्यवर्धक होता है। यह तो फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं। और वह भी बहुत ज्यादा ठंडा।

मैंने तो अपने लिए घड़ा रखा हुआ है। आप पीना पसंद करेंगी, मिसेज भल्ला ?

"अरे वाह ! घड़े का पानी मुझे बहुत अच्छा लगता है ,उसकी खुशबू, मुझे तो ज़रूर दीजिए।"

"हाँँ घड़ा रखा हुआ है मिसेज भल्ला फ्रिज का पानी मुझे सूट नहीं करता एकदम गला खराब हो जाता है।"

'भल्ला जी, सामने देखिए वो सामने वाला घर है बिल्कुल स्टैंडर्ड ही नहीं है ना डायनिंग टेबल है, नीचे बैठ कर खाना खाते हैं।


यहाँँ के लोगों में कुछ कंजूसी दिखती है 'मयंक ने सामने घर की ओर इशारा करते हुये कहा। शीतल ने तुरंत कहा यह कंजूसी नहीं है, पहले के लोग नीचे बैठकर ही खाते थे और हाथ से खाना खाते थे। यह सब हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा था पर हम लोग तो डाइनिंग टेबल पर खाते हैं जिससे हमारा पाचन सही नहीं होता। क्या शीतल तुम फिर शुरू हो गई पुरानी बातों को लेकर ?

भल्ला जी "शीतल को तो बस बहाना चाहिए पुरानी बातों को पकड़े रहती है।"

"अब देखिए जींस पहन के नीचे बैठा कैसे जाएगा ? और मोटापे में नीचे बैठ गए तो उठाने के लिए दो मददगार लगेंगे या नहीं" और सब खिल खिलाकर हँस ने लगे और शीतल मुस्कुराती हुई रसोई की तरफ चली गई नाश्ता लेने के लिए ।

वापस आते हुए बोली, यह लीजिए गरम गरम मोमोज और कार्न सैंडविच खाइये। खाइये अब ये तो नए जमाने के है। सब हसँने लगे हाँ हाँ क्यों नहीं ?

मिसेज भल्ला ने शीतल की तरफदारी करते हुए कहा "सही बात है भाई साहब शीतल बिल्कुल सही है। पहले कि अब देखिये ना प्लास्टिक बैग बंद हो गए और अब हर शॉप पर आपको कपड़े के सिले हुए बैग मिल रहे हैं जो कि पहले हमारी नानी, दादी कपड़ों से काट काट कर थैलै बनाया करती थी और प्लास्टिक ने कितना ही देश को खराब कर दिया है ।"

"मैं शीतल का साथ दूंगी। अब देखिए ना एक हफ्ते बाद, मेरी बेटी का जन्मदिन है आप सबको आना है। हम इसीलिए यहां पर आपको आमंत्रित करने आए हैं और अब आप बात चल ही गई है, तुम्हें बताऊं कि मैंने प्लास्टिक की क्रोकरी नहीं ली। लकड़ी के पेड़ के पत्तों की प्लेट और कटोरी ली है। नए स्टाइल से डिजाइन हुई है। हाइजीनिक लिए भी।"


मैं भी इन बातों को बहुत मानती हूँ और जो खाना बच जाएगा उसके लिए भी मैंने पहले से ही कुछ आश्रम है, अनाथालय जो हमारा खाना ले जाते हैं जो हमारा बच गया होता है। "अरे वाह ! मिसेज भल्ला आपको देखकर लगता नहीं आप इतना सोचती हो ? मैं तो थोड़े पुराने ख्यालों की हूँ ,तो सब मुझे यह सुनाते हैं और आपकी बातों से मैं बहुत प्रभावित हुई हूँ। हमारी खूब जमेगी।" शीतल ने तारीफ करते हुए मिसेज भल्ला को कहा।

"अब देखिए ना ! यह तो मेरी सुनते ही नहीं है, पहले जो चीजें थी वह अब समझ आती हैं, जैसे है दक्षिण को पैर करके नहीं सोते। वह सब नेगेटिव और पॉजिटिव पोल की वजह से अब समझ में आया है। हाथ से खाना खाने से पोरों में दवाब होता है पाचन अच्छा, मतलब एक तरह का एक्युप्रेशर होता है। यहाँँ तक कि हमारी चूड़ियाँ , कान की बाली, पायल इनका भी संबंध सब हमारे शरीर के अंगों से है।" शीतल बताने लगी। हाँ बिल्कुल मिसेज भल्ला ने कहा।

अब तो छुट्टियाँ आ रही है। इसमें तुम्हारा क्या प्रोग्राम है मयंक ? नहीं नहीं सोचा, कही चलो साथ कहीं चलते है। हाँ चलिए शिव जी का मंदिर चले बहुत अच्छा है। पास वाला क्या? यहाँँ पर नहीं जो पुराना मंदिर है वही चलेंगे शिव जी का मंदिर जाना है तो इतनी दूर टोकते हुये कहा। 


शीतल ने कहा। "नहीं ,जो पुराने मंदिर थे उनका निर्माण बहुत सोच-समझकर हुआ था और उसमें इतनी चुंबकीय शक्ति है, इसलिए पॉजिटिव वाइब्रेशन होती हैं , जो हमारे मस्तिष्क पर असर करती हैं उनका चक्कर लगाने से या वहाँँ पर बैठने से हमारी इंद्रियां जागृत होती हैं। सब पॉजिटिव सकारात्मक सोच बढ़ती है। पुरानी मंदिर की मान्यताएं ऐसे ही नहीं है। "

आजकल तो क्या है ? जहां ज़मीन देखी वहां पर बना दिया। प्राण प्रतिष्ठा यह सब कर के पुराने मंदिर जो बनते थे उनका असर हमारे दिमाग पर ज़रूर होता है।

मिसेज भल्ला ने शीतल की बात को कहा हाँ, "हाँ वही पुराना मंदिर, जहां पर पुराने बरगद के पेड़ भी हैं। हाँँ जी घूमने की भी जगह है पहाड़ों पर। वही ठीक है तो जब भी अगली छुट्टियाँ होंगी हम वहाँँ मंदिर में जाएंगे। साफ भी है। एक संस्था ने सफाई कार्य सभाँला हुआ है। पर आजकल वातावरण को सही रखने की जिम्मेदारी कुछ हमारी भी है" मिसेज भल्ला ने कहा ।

और आपको पता है नोयड़ा में , वाट्स एप पर कुछ तीस लोग मिले, यमुना के पानी से साफ की सब्जियों खाने से बचने के लिये, किराये पर ज़मीन ली है। और अपने आप उगा रहे है , कैमिकल फ्री खा रहे है , सब जागरूक हो रहे है।

मिस्टर भल्ला ने कहा पता है, मयंक पार्किंग से और ऑफ़िस की डिपार्टमेंट जाने के लिए अब रेंट पर साइकिल मिल रही है, पर किलोमीटर के हिसाब से मैं तो वही पार्किंग और डिपार्टमेंट बहुत दूर है तो मैं तो साइकिल से ही ऑफ़िस जा रहा हूं अच्छा बढ़िया है ! भल्ला जी पर यह एक अच्छी शुरुआत है, मयंक ने कहा। "चलो भाई मन नहीं भरेगा बातों से, संजना अकेली है घर पर। मिसेज भल्ला ने कहा पेपर है उसका। हाँ जी अच्छा लगा मिलकर ,खूब बातें की।जन्मदिन पर आइयेगा।" "जी हाँ जरूर।"

कुछ दिन बाद उस दिन बाद ऑफ़िस से फोन आया। मयंक की सीने में दर्द हुआ है और वह हॉस्पिटल में एडमिट है। शीतल पसीने से लगभग घबराई हुई ।कुछ समझ नहीं आ रहा था , अचानक क्या हो गया ? हॉस्पिटल पहुंची डॉक्टर ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है। माइनर अटैक था। मयंक सुन रहे थे। डॉक्टर समझाने लगे, यह बहुत हल्का सा अटैक था।

आपको अब सावधानी बरतनी होगी एक तो मोटापा हो गया है। उसकी वजह से आप थोड़ा वॉक करें ,एक्सरसाइज करें। सुबह साइकिल चलाएं। खाना खाने के बाद आप पानी ना पिए फ्रिज का पानी तो बिल्कुल बंद क्योंकि वह खाना नहीं पचाता है जितना हो सके खाना खाते समय आप ढीले कपड़े पहने आपका पौष्टिक आहार लें गुनगुना पानी पिए जो हेल्थ के लिए अच्छा है।

आपको सब वही करना होगा मिस्टर अब शीतल को बहाना मिल गया था। "खाने में सेंधा नमक शुरू करती हूँ,और सब वही ही जो मना करते थे आप। मैं तो पहले से ही कहती थी पर मेरी सुनता कौन है? भानु तुम भी अपनी सब लाइफ़स्टाइल सुधार लो। आगे जाकर यह सब परेशानियां झेलनी पड़े।" बेटे से कहा। जमाना बदल रहा है,अब लौट रहा है जो पुराना था । सब पुरानी चीजें ही हमारे स्वास्थ्य को सही रखते हैं। कुछ दिन के बाद मयंक वही कर रहे थे ,जो पहले शीतल कहा करती थी। जिन्हें साइकिल चलाने में शर्म आती थी। वह सुबह साइकिल चलाने के लिए निकल जाते थे। कुछ चीजें जो हमने अपनी आदतें बिगाड़ ली हैं। उनको समय पर सुधार लें तो बहुत अच्छा है।



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