अतीत...एक सच (भाग - 3)

अतीत...एक सच (भाग - 3)

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अमन अपने घर आकर सोचता है कि सुनंदा को सारी बातों को बताना बेहद जरूरी है। यही सोच वह फिर सुनंदा के घर जाता है। अंकल- नमस्ते। तुम यहाँ क्यूँ आये हो ? मुझे बेटी ने सब कुछ बता दिया है तुम्हारे बारे में। तुम एक खूनी हो। नहीं, अंकल। ये सरासर झूठ है। मैंने किसी का कत्ल नहीं किया। इसी ग़लतफहमी को दूर करने आया हूँ। एक बार सुनंदा से मिल लेने दीजिए। मुझे सारी बात उसे भी बतानी है कि आखिर उस रात हुआ क्या था ? भगवान के लिए एक बार। फिर कभी दोबारा उससे नहीं मिलूंगा।

ठीक है। रुको यही पर। बुलाता हूँ। बेटी सुनंदा...यहां आना। आई पिताजी। (अमन को देख सुनंदा रूम में जाने की कोशिश करती है लेकिन अमन हाथ पकड़ कर रोकता है)

मेरी एक बार बात तो सुन लो सुनंदा उसके बाद जो कहना। (फिर सुनंदा रुक जाती है और अमन की बात मान उसे सुनती है)

तब अमन बताता है कि उस रात जब ये खून हुआ तो मैं और मोहित मुम्बई जानेवाले थे। इसके लिए हमने स्टेशन के लिए ऑटो पकड़ा। मोहित- यार, तेरी तो तैयारी ठीक होगी। इस बार तू ज़रूर निकाल लेगा। अमन- हाँ, यार कोशिश तो रहेगी। तेरा भी होगा। चिंता मत कर। यार, मोहित और बताओ। तुम्हारे भाई (विशाल) का क्या हाल है ? क्या बताऊँ अमन। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता। हमेशा लड़कियों के चक्कर में रहता है। उसकी आदत बहुत बिगड़ गई है। अपने कैरियर की कोई चिंता ही नहीं उसे। समझाओ तो बिगड़ जाता है। पापा-माँ भी परेशान रहते है। यही सब बातें होती है तभी, यार अमन मेरी एडमिट कार्ड कहाँ है ? बैग में ही रखी थी। कहाँ गई ? ओह...! मैंने दराज़ में रखी थी। लेना भूल गया। एक काम करो। तुम स्टेशन पहुँचो और मैं एडमिट कार्ड ले कर आता हूँ। (फिर, मोहित चला जाता है और अमन स्टेशन पहुँच जाता है) 

इधर जब मोहित होस्टल पहुँचता है तो देखता है कि उसका भाई (विशाल) और उसकी गर्लफ्रेंड (रजनी) दोनों में किसी बात को लेकर ज़बरदस्त झगड़ा होता है। (बातों से लगा कि रजनी, विशाल के बच्चे की माँ बननेवाली थी) झगड़ा इतना बढ़ गया कि विशाल नें रजनी को गोली मार दी और वहां से फरार हो गया। इधर मोहित का पर्स जल्दी में वारदात वाले स्थान पर ही गिर गया जिसमें उसका आईकार्ड था। फिर वह एडमिट कार्ड लेकर स्टेशन पहुँचा और मुम्बई चल पड़ा। मोहित, तुम इतने परेशान क्यूँ दिख रहे हो ? (अमन) कुछ नहीं यार। बस ऐसे ही। 

जब परीक्षा देकर दोनों आते है तो पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर लेती है। मर्डर वाले स्थान से मिले आईकार्ड के चलते मोहित और अमन दोनों से पूछताछ की जाती है। क्योंकि उस पर्स में अमन का भी फ़ोटो था। मोहित सब जानकर भी अपनें भाई को पकड़वाना नहीं चाहता था। इधर पुलिस दिन-रात खूनी को खोजने में लगी होती है। होस्टल के सभी कैमरा फुटेज को भी खंगालती है। तभी पुलिस को एक बहुत बड़ा सुराग हाथ आता है। उसी से पता चल जाता है कि आख़िर में रजनी का असली खूनी कौन है और वो खूनी कोई और नहीं बल्कि खुद मोहित के पिता "धनंजय चौहान" थे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ करती है। पूछने पर बताया कि उनको विशाल और रजनी के अफ़ेयर के बारे में पहले से ही मालूम था। वो विशाल की अय्याशी को जानते थे। उस रात जब रजनी का कत्ल हुआ उसके ठीक पहले विशाल घर आया था। बहुत घबराया हुआ था। जब मैंने पूछा तो विशाल नें सबकुछ बताया। उसने ये भी बताया कि रजनी उसे अब ब्लैकमेल कर रही है और 50 लाख भी मांग कर रही है। नहीं देने पर उसे बदनाम कर जेल भेजवाने की धमकी भी दी है। तब मैंने ठान लिया कि अब रजनी को मरना होगा। मैंने विशाल के बंदूक से गोली निकाल अपने बंदूक में लोड कर होस्टल की ओर चल दिया। विशाल को बोला कि वो घर पर ही रहे। लेकिन उसे ये मालूम नहीं था कि उसके बंदूक में गोली है ही नहीं । वारदात की जगह वो भी पहुँच गया और गोली चलाने की कोशिश भी की पर मेरी गोली से रजनी की मौत हुई। मैनें इस तरह पुत्र प्रेम में रजनी को मार डाला। 

सुनंदा इन सारी बातों को सुनकर खुशी से अमन के गले लग जाती है। अपने ग़लतफहमी का उसे एहसास होता है।

मुझे माफ़ करना अमन। (सुनंदा) अरे...! इसमें माफ़ी कैसी सुनंदा ? यही मेरा "अतीत" था जो बिल्कुल सच है। 

अब बोलो- मुझसे शादी करोगी ? (अमन)

बिल्कुल, करूंगी (सुनंदा) इतनी झट से जवाब पर तीनों हँस पड़ते है।



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