Vinay Panda

Drama Tragedy

5.0  

Vinay Panda

Drama Tragedy

अरमान जब जले थे...

अरमान जब जले थे...

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घटना मेरे विद्यार्थी जीवन की, जब मेरे अरमान जले थे। उस समय मैं अपनी किशोरावस्था की दहलीज़ पर था। अचानक मेरी उससे एक दिन मुलाक़ात हो ही गयी, जो अपनी जान से भी ज़्यादा हमें चाहती थी। ये बात अलग थी मेरे प्रति उसका प्यार एक तरफ़ा था।


उस दिन साथ में उसकी बड़ी बहन भी थी, हमे लगा जैसे आज बहुत बड़ी मेरे प्यार की पंचायत हो। चाय पानी की कौन पूछे वहाँ सिर्फ प्रश्न पे प्रश्न पूछे जा रहे थे। हमें घर और समाज की लोक-लाज भी था। घण्टों चली बहस मगर मैं उनकी बातों से सहमत नहीं था। आखिरकार अंत में फैसला हुआ कि बीती बात भूलकर आप मेरे सब ख़त और अपने प्यार की पहचान को जला देंगे।


किसी तरह शाम को उनकी पंचायत से फुरसत मिली और हम अपने घर आ गये। दूसरे दिन सुबह-सुबह जब मैंने उसकी हर याद ख़त, फोटो आदि सब इकट्ठा किये और बग़ैर किसी के देखे चोरी से मैंने सब जला दिया।

वह घटना और खतों की लौ आज भी चमकती है दिल में जब कभी याद आता है। आग आज भी धधकती है सीने में उसके प्यार की क्योंकि आज भी वह मुझसे बेपनाह मुहब्बत करती है।


काश हम मान लिए होते उसकी बातों को तो आज ये सुलगने की नौबत ही नहीं आती। आज हम दोनों शादी शुदा जीवन में एक दूसरे के साथ के लिए तड़पते है।


मेरी कुछ मजबूरी थी जिसे वह आज तक नहीं सूनी-समझी, बस मुझे ही दोष देती है! आज भी प्यार है मेरे दिल में उसके प्रति मगर दूसरे की अमानत समझ मैं हमेशा इसी बात को उसे समझाता रहता हूँ।


आँखों से आज भी आँसूं झरते है उसके कभी-कभी जब बाते होती है।


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