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Anshu sharma

Inspirational

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Anshu sharma

Inspirational

अपशगुनी

अपशगुनी

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मोहन के घर  समायरा का जन्म हुआ कुछ समय बाद पता चला वो बोल नहीं सकती। जन्म के समय ही मोहन की कम्पनी को बहुत नुक्सान हुआ। कम्पनी में नुकसान होने से बैकं का लोन नहीं भर पाया और भरपाई में कम्पनी" जब्त "कर ली गईं। एक तो बेटी नहीं चाहिए थी बेटी हुई और कम्पनी में नुकसान हुआ। बस समायरा अपशगुनी हो गई। मोहन के लिए। घर मे गरीबी आई। बेटे विभु को भरपूर प्यार मिला बेटी को दुत्कार। लाड़ में बिगड़ा बेटा कभी नहीं सुधर पाया। जितना प्यार दिया उससे ज्यादा विभु ने माँ पिता के दुख दिया। विभु अपनी दुनिया में मस्त रहता। कोई चिंता ही नहीं घर परिवार कैसे चलेगा।

समायरा मे सीखने, सीखाने  का "जज्बा" था, हाथों में जादू पेंटिंग करती। "जुंबा" नहीं बोलती पर रंग सब कुछ कह जाते। घर खर्च के लिए उसने प्रदर्शनी लगाई। और सबको बहुत पसंद आई। दुगने दाम पर पेंटिंग खरीदी गई। और भी काम मिला।

माता पिता ने जिसे प्यार नहीं दिया। उसने ही माता पिता को मान सम्मान दिया।

आज समायरा जानी मानी पेंटर बन गयी। समायरा ने पिता को तोहफ़ा दिया उसकी अपनी नई कम्पनी। आज मोहन की कम्पनी फिर से जगमगा रही है।पिता की आँखों में पश्चयताप के आँसुओं का सैलाब बह रहा था। अब वो अपशगुनी, लक्ष्मी लग रही है।



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