अपनी शान तिरंगा
अपनी शान तिरंगा


शहर के भीड़ भाड़ वाले सबसे व्यस्त चौराहे पर लाल बत्ती के कारण रूकी गाड़ियों के आगे पीछे दौड़दौड़ कर एक छोटा बच्चा चक्कर लगा रहा था।
स्वतंत्रता दिवस पर फहराने के लिए तिरंगा ले लो। उसके हाथ में प्लास्टिक की स्टिक पर लिपटा, रस्सी की जगह छोटी सी चमकती चैन से बँधा छोटा सा तिरंगा बड़ा खूबसूरत लग रहा था।
मेरी आटो के सामने आते हुए मैडम तिरंगा ले लो दस रूपएदस रूपए। क्या नाम है तुम्हारा ?आजाद। तिरंगा तो हमारा राष्ट्र ध्वज हैं हम सब का मान हैं इसे भी कोई बेचता हैं। मैडम क्या करें पापी पेट का सवाल हैं भीख मांगने से तो अच्छा हैं मौके के हिसाब से कुछ कमा कर खा लिया जाए।
छोटे से आजाद के मुँह से यह सब सुन कर मैं गहन सोच में डूब गई लेकिन निरुत्तर।