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Dr.Madhu Andhiwal

Tragedy

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Dr.Madhu Andhiwal

Tragedy

अपनी पहचान

अपनी पहचान

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मुझे बहुत दिन बाद अपने पुराने घर गांव में जाना हुआ. जब से मां पापा का देहान्त हुआ और उसी समय मेरे को यू एस का प्रोजेक्ट मिल गया बस मै यू एस क्या गयी एक तरह वहीं की निवासी हो गयी। भाईयों ने बहुत कोशिश की कि मै दूसरी शादी कर लूं पर मेरी भी जिद थी कि जब एक बार शादी तय होकर टूट गयी तब अब मुझे अपनी जिन्दगी अपने हिसाब से काटनी है। फ्लाइट के बाद गांव के लिये बस से जाना पड़ता था । मैने ओला बुक करा दी थी । 

 मै आराम से सिर टिका कर पुरानी यादों में खो गयी । पिताजी ने दादी के बहुत जोर देने पर शादी के लिये लड़के देखने शुरू कर दिये थे पर मै शहर जाकर आगे पढ़ना चाहती थी । गांवो का माहौल शहर से कुछ तो भिन्न होता ही है। पिताजी की गिनती गांव के धनवान व्यक्तियों में होती थी । पिताजी ने लड़के देखना शुरू किया और अकस्मात पिताजी के बचपन के मित्र जो बहुत पहले शहर में बस गये थे उनका बेटा एक सरकारी सर्विस में था उससे बात तय हो गयी । बस हां केवल मेरे पसन्द आने तक रूकी हुई थी । पिताजी के मित्र का शहरी परिवार मुझे देखने आया लड़का और उसकी बहन बिलकुल आधुनिकता में रंगे हुये थे । वह मुझसे लगातार प्रश्न पूछ रहे थे और कटाक्ष भी कर रहे थे । मेरे परिवार को पूरी उम्मीद थी कि रिश्ता हो जायेगा । उन लोगो ने कहा कि घर जाकर जवाब देंगे । घर जाकर जब उन्होंने कहा कि हमको कस्बे वाली से शादी नहीं करनी । पिताजी को तो बहुत दुख हुआ और बस पिताजी ने मेरी बात मान कर शहर पढ़ने भेज दिया । शहर जाकर मैने इंजिनियरिंग की तैयारी की और प्रवेश परीक्षा में आकर आई टी ब्रान्च में एडमीशन ले लिया । 

     इंजीनियरी की आखिरी साल में ही कैम्पस सलैक्शन में बहुत अच्छी कम्पनी मिली उसी समय एक साल के अन्दर मां पिताजी दोनों ही पूरे परिवार को रोता बिलखता छोड़ कर चले गये । मुझे एक बहुत अच्छा प्रोजेक्ट मिला मै यू एस चली गयी अचानक गाड़ी रुक गयी मैने पूछा ड्राइवर क्या हुआ वह बोला मैडम एक मोटर साइकिल वाला गाड़ी के आगे आगया और टकरा कर गिर पड़ा है। मै गाड़ी से उतर गयी देखा शायद पति पत्नी थे घबड़ा कर मोटर साइकिल फिसल गयी । पास जाकर देखा ये तो हमारे पिताजी के मित्र के शहरी पुत्र थे और एक साधारण सी महिला जो उनकी पत्नी थी । वह उसको बहुत ध्यान से देखते उठे और बोले तुम पहचानी सी लगती हो उसने कहा जी हां मै वही कस्बाई लड़की हूँ यू एस से लौट कर आई हूँ पहली बार और उनको अचम्भित छोड़ कर गाड़ी में बैठकर अपने कस्बे आगयी आज वह अपने को बहुत हल्का महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी अपनी एक पहचान थी ।


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