STORYMIRROR

Aparajita Mishra

Abstract

3  

Aparajita Mishra

Abstract

अपना

अपना

1 min
370

पता नहीं वो अपना सा क्यों लगता है!

है अंजान,पर उम्मीदों के सागर सा वो लगता है।


कहता अंतरमन कि आज का नहीं यह परिचय,

पीछे कहीं छूटा कोई सपना अधूरा...यूँ लगता है।


मासूम हँसी उसकी, लाती खुशी मुझ तक है,

उसको मालूम, न ख़बर ..न एहसास कोई यह समझता है।


सुकूं का आईना है चेहरा उसका, है तलाश इसकी मुझे भी,

जाने कब वो आए ..इंतज़ार बस उस घड़ी की।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract