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Mahima Bhatnagar

Inspirational

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Mahima Bhatnagar

Inspirational

अनूठा रिश्ता

अनूठा रिश्ता

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बिस्तर पर पड़ी कविता बेहद परेशान हो कर बड़बड़ाये जा रही थी।

"इतनी दूर से हमारे नाम पर इतने महँगे टिकट ले कर आयी है महारानी और हमारे पास ही नहीं बैठना, निकल गई बाजार घूमने।"

"अरे शांत हो जाओ अभी आ जायेगी, आलू, पूड़ी, खीर कितना कुछ तो खिला गई अब दोपहर में कुछ करने को नहीं था, तो घूम आने दो उसे।"

"अजी हाँ..मेरी बीमारी की वजह से राहुल ने आनन फानन उसे भारत भेजा, यहाँ आते ही उसने बाजारों में भटकना शुरू कर दिया। अभी दो चार दिन में ही वापस भी जाना है, इससे तो राहुल ही आ जाता, मुझे चैन पड़ जाता।"


तभी ढेर सारे पैकेट लिए नेहा चहकती हुईं आयी..

"हाँ भैया, यहाँ पर खोल कर फिट कर लिजिए "

माँ देखिए आप के लिए व्हील चेयर है, अब आप थोड़ा बाहर तक घूम पायेंगी। ये सूती गाउन है..आपको आराम मिलेगा इसमे।

बाबू जी ये ज्यूसर है, मेरे वापस जाने के बाद आपको ही ज्यूस निकाल कर देना होगा।

माँ, ये बटन दबाते ही रसोई में घंटी बज जायेगी और रम्मो आ जायेगी... उसे आवाजें लगाने की अब आपको जरूरत नहीं होगी। और हाँ माँ..ये भी तो देखिए..."

उधर उत्साहित नेहा बोले जा रही थी इधर कविता नम आँखों से बहू की बलैया ले रही थी।



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