अनूठा बंधन
अनूठा बंधन
'बस करो समीरा और कितना खिलाओगी, पेट फट जाएगा मेरा।'
'तो फट जाने दो, अब कौन-सा तुमने लड़की पसंद करने जाना है।'
यह सब हंसी-मजाक रोज़ की आदत मेेेें शुमार था समीरा और सागर की जिंदगी में।
लेकिन उनकी जिंदगी हमेेेेेेशा ऐसी नहीं थी, बहुत उतार-चढ़ाव देेेेेखने के बाद ये खुशनुमा पल नसीब हुए हैैैं दोनों को।
आइए जानते हैैं समीरा और साागर की जिंदगी को थोड़ा और करीब से।
समीरा शहर में पली-बढ़ी एक हंसमुख स्वभाव की स्वाभिमानी लड़की थी।समीरा जब छोटी थी उसके पिताजी का देहांत हो गया था।समीरा की माँ ने अकेले ही माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाई।समीरा पेशे से इंटीरियर डिजाइनर थी तथा एक फर्म में नौकरी करती थी। वहीं उसकी मुलाकात सागर से हुई।
सागर थोड़ा अंतर्मुखी स्वभाव का लड़का था तथा गांव से शहर नौकरी की तलाश में आया था और उसकी ये तलाश उसी फर्म में आकर पूरी हुई जहाँ समीरा पहले से ही काम करती थी।
सागर ने वहाँ पर एक साईट इंजीनियर के तौर पर नौकरी ज्वाइन की थी।
समय बीतने के साथ-साथ घरवालों ने उनकी शादी के लिए रिश्ते ढूँढने शुरू कर दिए। समीरा शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे चिंता थी की शादी के बाद उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा।
सागर समीरा को पसंद करता था। एक दिन उसने समीरा से कहा- "क्या हम मिलकर माँ के प्रति जिम्मेदारी निभा सकते हैं?"
समीरा भी मन ही मन सागर को पसंद करती थी लेकिन उसे लगता था सागर भी बाकि लड़कों जैसा ही होगा, इसलिए अपने मन की बात कभी जुबान पर नहीं लाई।जब सागर ने समीरा को प्रपोज किया तो वो उसके विचारों से बहुत प्रभावित हुई और उसने हाँ कह दिया।
सागर के माँ-बाबा गाँव से समीरा को देखने आने वाले थे। उसे डर था वो लोग क्या जवाब देंगे क्योंकि एक तो समीरा नौकरी करती थी, उस पर हर तरह की ड्रेस पहनती थी।
सागर के माँ-बाबा उसकी शादी गाँव की ही किसी लड़़की से करवाना चाहते थे, जिसे घर का काम-काज अच्छे से संंभालना आता हो।
सागर ने समीरा से कहा, "समीरा जब तक माँ-बाबा यहाँ रहें तुम साड़ी ही पहनना।"
"हाँ ठीक है,मैं समझती हूँ,तुम चिंता मत करो।" समीरा ने उत्तर दिया।
माँ-बाबा के आने पर समीरा ने उनके पैर छुकर उनका स्वागत किया। माँ-बाबा को एक घरेलू लड़की जो नौकरी ना करती हो ऐसी बहू चाहिए थी, इसलिए माँ-बाबा को समीरा पसंद नहीं आई। वो दोनों पहले ही मन बनाकर आए थे। उन्होंने शादी से इंकार दिया और वापस गांव लौट गए।
समीरा से सागर ने अपने घरवालों के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था।
लेकिन दिन-ब-दिन बढ़ते काम के बोझ के कारण सागर अपने काम में ही व्यस्त रहता था तथा समीरा को भी समय नहीं दे पाता था।
एक दिन समीरा का एक्सिडेंट हो गया, उसको खोने के डर से सागर घबरा गया।
सागर ने ऑफिस से छुट्टी लेकर दिन-रात समीरा की सेवा की। समीरा के हंसमुख स्वभाव ने सागर के स्वभाव में भी परिवर्तन ला दिया था।
सागर को बचपन से लिखने का बड़ा शौक था, यह बात अब जाकर समीरा को पता चली जब उन्होंने इतना कीमती समय साथ में गुजारा। अपनी छोटी सी दुनिया में दोनों बहुत खुश थे, इस खुशी को बढ़ाने उनकी दुनिया में जिया और रमन (बेटी और बेटा) भी आ चुके थे।
सबकुछ अच्छे से चल रहा था कि,एक दुर्घटना में सागर ने अपना एक हाथ गवां दिया, जिसकी वजह से उसकी नौकरी भी चली गई। लेकिन समीरा के प्यार और विश्वास ने हमेशा सागर को प्रोत्साहित किया और कभी भी जीवन में हार नहीं मानने दी। समीरा के प्रयासों का ही फल था कि सागर ने अपना खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से पाया और एक नये सिरे से जीवन की शुरुआत की।
समीरा ने सागर के लिखने के शौक को बढ़ावा दिया और उसे लिखने के लिए खूब प्रेरित किया।
कल तक चुप-चुप रहने वाला सागर आज मुस्कुराना और जिंदगी जीना सीख गया था।
सागर का जिंदगी जीने का नज़रिया अब बिल्कुल बदल चुका था। समीरा का साथ पाकर अब सागर एक मशहूर लेखक के रूप में स्थापित हो चुका था। आज दोनों एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
दोस्तों जीवन कभी एक समान नहीं रहता, कभी धूप तो कभी छांंव इस जीवन का चक्र है। इसलिए हिम्मत का दामन कभी मत छोड़िए और हमेशा मुुुुुुुुुुस्कुराते रहिए।

