हमसफर
हमसफर
सीमा और राकेश की आज पच्चीसवीं वर्षगाँठ है। राकेश ने बड़ी शानदार पार्टी रखी है, रखे भी क्यों ना आखिर शहर का जाना माना व्यापारी है और अपनी पत्नी से बहुत प्यार भी करता है। ना जाने शहर के कितने ही बड़े-बड़े लोग इस पार्टी में आमंत्रित थे, उनमें से एक था रजत।
रजत जो एक वक्त पर सीमा पर जान छिड़कता था और छिड़के भी क्यों ना सीमा थी ही इतनी प्यारी की कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए। हंसमुख स्वभाव उसके इस व्यक्तित्व में और भी चार चाँद लगा देता था। मगर सीमा ने कभी इन बातों की तरफ ध्यान नहीं दिया।
सीमा एक मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की थी और उसके लिए राकेश जैसे लड़के का रिश्ता आना उसके माता-पिता के लिए सौभाग्य की बात थी। उन्होंने सीमा की मर्जी जाने बगैर उसकी शादी राकेश से करवा दी। सीमा ने भी खुशी-खुशी इस रिश्ते को दिल से अपना लिया।
ना जाने क्या बात थी सीमा में कि चुपचाप सा रहने वाला राकेश भी उसकी तरफ आकर्षित हुए बिना ना रह सका। वह सीमा को बहुत खुश रखता था, उसे घुमाता, बाहर खाना खिलाकर लाता लेकिन जब भी बच्चे की बात आती तो राकेश टाल जाता। सीमा ने इसे भी अपना भाग्य समझकर स्वीकार कर लिया था, फिर एक दिन राकेश सीमा को अनाथ आश्रम लेकर गया और एक बच्चा गोद लेने के लिए कहा। सीमा हैरान होकर उसे देखने लगी परन्तु बहुत खुश भी थी।
सीमा ने राकेश से कभी अपने बच्चे के लिए कोई सवाल नहीं किया और ना ही राकेश ने कभी कुछ बताना जरूरी समझा कि उसने ऐसा क्यों किया। सीमा राकेश को किसी भी बात के लिए परेशान नहीं करना चाहती थी क्योंकि राकेश ने बिन माँगें ही सदा सीमा की हर ख्वाहिश का ध्यान रखा, उसे कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। सीमा अपनी गोद ली हुई बेटी के साथ बहुत खुश रहती थी। उसका सारा वक्त उसी की देखरेख में निकल जाता था।
"माँ", कहाँ खोई हो, यामिनी ने आवाज लगाई।
यामिनी, सीमा और राकेश की ग्यारह वर्ष की बेटी।
सीमा जो रजत को देखकर पुरानी यादों में खो गई थी, यामिनी के आवाज लगाने पर वर्तमान में वापिस लौट आई।
"कहीं नहीं, मेरी गुड़िया तो एकदम प्रिंसेस लग रही है।"
सीमा ने यामिनी से कहा।
वहीं दूर खड़ा रजत यह सब देख रहा था। वह सीमा के पास आया और हैलो किया, फिर उसने अपनी पत्नी काजल और बेटी मिशा से मिलवाया। यामिनी और मिशा एक दूसरे के साथ खेल में मस्त हो गए और सीमा उनसे बात करने में इतनी मशगूल हो गई कि उसे ध्यान ही नहीं रहा राकेश एक फोन आने पर पार्टी छोड़कर अचानक चला गया है।
जब केक काटने का समय आया तो राकेश कहीं नहीं था, सीमा ने बहुत फोन लगाया पर सिर्फ रिंग जा रही थी और राकेश फोन नहीं उठा रहा था। सीमा को बहुत घबराहट होने लगी, तभी एक अंजान नम्बर से उसको फोन आया, दूसरी तरफ राकेश बोल रहा था।
"सारी सीमा, मेरे एक दोस्त का एक्सिडेंट हो गया था मुझे यूँ अचानक आना पड़ा।" प्लीज तुम वहाँ पर सब संभाल लेना।
"कोई बात नहीं राकेश, तुम वहीं रहो, इस समय तुम्हारी वहाँ ज्यादा जरूरत है यहाँ मैं सब देख लूँगी।" इतना कहकर सीमा ने फोन रख दिया। फिर उसने यामिनी के साथ मिलकर केक काटा और सब मेहमानों को खाना खाकर ही वहाँ से जाने दिया।
अब रजत भी जाने की इजाजत लेने आया, तभी उसकी पत्नी को फोन आया कि उनकी बहन का एक्सिडेंट हो गया है और तुरंत हॉस्पिटल बुलाया है।
सीमा दोनों बच्चियों(अपनी और रजत की) को अपनी अम्मा की निगरानी में घर पर छोड़कर रजत और उसकी पत्नी के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ी।
वहाँ जाकर जो सीमा ने देखा उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, राकेश का वो दोस्त और कोई नहीं बल्कि रजत की छोटी साली ही थी जिसने राकेश से घरवालों के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था और इसलिए कोई भी राकेश के बारे में कुछ नहीं जानता था। राकेश और नीमा(रजत की साली) एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे लेकिन राकेश और नीमा के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, इसलिए राकेश ने सबसे छिपाकर नीमा से शादी की थी और उन दोनों की एक संतान भी थी, उनका बेटा सागर जो विदेश में रहकर पढ़ाई कर रहा था, जो यहाँ की हर बात से बिल्कुल अंजान था।
आज सीमा को अपनी और राकेश की कोई औलाद ना होने का कारण पता चल गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस त्रिकोणीय प्रेम को क्या अंजाम दे क्योंकि प्रेम में कसर तो राकेश ने सीमा के प्रति भी कोई ना रखी सिवाए अपनी संतान देने के और फिर इस रिश्ते पर अब यामिनी का भविष्य भी निर्भर करता था।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)