Shilpi Goel

Children Stories Inspirational Children

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Shilpi Goel

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मदद का हाथ

मदद का हाथ

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एक गाँव में दो दोस्त रहते थे, मन्नू और शेखर। 

मन्नू चीनी का व्यवसाय करता था और शेखर नमक का। दोंनो का काम अच्छा चल रहा था।

मन्नू दिल का बहुत साफ लड़का था, उसकी आदत थी हर किसी की मदद करने की, चाहे किसी ने मदद माँगी हो या ना माँगी हो। उसकी यह आदत किसी के लिए वरदान बन जाती तो किसी के लिए मुसीबत।

इसलिए गाँव के कुछ लोग उसकी इस आदत के कारण उसका फायदा उठाने का मौका ढूँढ़ने लगे थे।

वही शेखर बेवजह कभी किसी के मामले में दखल नहीं देता था, हाँ, अगर कोई मदद के लिए बुलाता तो कभी मना भी नहीं करता था।

मन्नू और शेखर की आपस में बहुत बनती थी और शेखर मन्नू को हमेशा समझाता रहता था परंतु मन्नू ठहरा मस्तमौला इंसान वो कहाँ मानने वाला था।

शेखर को हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं किसी दिन मन्नू अपनी इस आदत के कारण मुसीबत में ना फंस जाए।

वही हुआ जिसका डर था, नरेश उनके गाँव का रहने वाला बड़ा ही चालाक व्यक्ति था, उसे पता था कि मन्नू अपने स्वभाव के कारण कभी उसकी मदद करने से मना नहीं करेगा।

नरेश,"मन्नू मुझे तुम्हरी मदद चाहिए, मेरा बहुत घाटा हो गया है मुझे कुछ पैसे उधार दे दो।"

मन्नू, "अभी पैसे तो नहीं हैं मेरे पास, तुम एक काम करो चीनी ले जाओ, इसे बेचकर तुम्हरा काम बन जाए तो देख लो।"

नरेश इसी तरह कम दामों में मन्नू से चीनी लेकर ज्यादा दाम में बेच दिया करता। धीरे-धीरे मन्नू को काफी घाटा होने लगा और उसका चीनी का व्यवसाय बंद होने की कगार पर आ गया।

मन्नू ने जब अपनी परेशानी शेखर को बताई तब शेखर ने एक तरीका निकाला मन्नू को समझाने का।

शेखर ने दो ढ़ेर बनाए, एक चीनी का और एक नमक का। "देखो मन्नू चीनी के ढ़ेर के पास कितनी सारी चींटी आ पहुँची और नमक के पास एक भी नहीं।"

फिर शेखर ने दो ढ़ेर और बनाए, एक चीनी का और उसके आस-पास नमक फैला दिया तथा दूसरा नमक का और उसके आस-पास चीनी को फैला दिया।

"मन्नू देखो अंदर चीनी होते हुए भी बाहर नमक होने की वजह से चींटी उससे दूर है और वहीं अंदर नमक होते हुए भी बाहर चीनी होने की वजह से सारी चींटी वहीं मंडरा रही हैं। "

"हाँ, वो तो मैं देख रहा हूँ शेखर पर तुम कहना क्या चाहते हो?"मन्नू ने कहा।

शेखर,"मैं यह कहना चाहता हूँ अपने अंदर मिठास रखो, किसी को सच में जरूरत हो तो उसकी मदद भी करो लेकिन हर वक्त मीठा बना रहने से गलत व्यक्ति भी इन चींटी की तरह तुम्हारे इर्द-गिर्द मंडराते रहेंगे और फायदा उठाते रहेंगे उस नरेश की तरह।"

मन्नू को शेखर की बात अच्छे से समझ आ गई, अब उसने बेवजह किसी की भी मदद करना बंद कर दिया।

सीख- "इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि, जरूरत से ज्यादा अच्छा होने पर दुनिया हमारा फ़ायदा उठाने लगती है।

जितना जरूरी हो उतना ही दूसरों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए।"


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