अनुभव
अनुभव
शादी के दूसरे ही दिन सुबह सुबह मोबाइल पर अपनी माँ के नम्बर को देख रिया ने आलास छोड़ते हुए,तुरंत फोन उठाया दूसरी ओर से माँ ने उसे समझाते हुए कहा।"बेटा आज तुझे पहली बार अपने ससुराल की रसोई में कुछ बनाना होगा"।
माँ आगे कुछ कह पाती इससे पहले ही रिया ने उन्हें टोकते हुए कहा।"माँ आप भी ना, अब आपकी रिया कोई बच्ची नही है।मैंने कल ही बातों बातों में सबकी पसंद पूछ ली है,उसी के अनुसार गूगल की मदद से सब बना लूंगी।आप अब जरा भी चिंता न करें।"
इस पर उसकी माँ मुस्कुराते हुए बोली, "अरे मेरी एमबीए पढ़ी भोली बेटी, अपने ससुराल में पहले पहल कुछ मीठा बनाया जाता है।जिससे रिश्तों की ये मिठास ताउम्र कायम रहे",और इतना कहकर माँ अब रिया को स्वादिष्ट हलुआ बनाने की विधि समझाने लगी।
यह सब सुनते हुए आज पहली बार रिया के अंतर में माँ के कहे वह शब्द अचानक गूंजने लगे,कि "रिया ये गूगल तुम्हे सूचना तो दे सकता है, पर अनुभव नही क्योकि वो तो खुद परिस्थितियों से जूझने पर ही आता है।"
