अंतिम यात्रा
अंतिम यात्रा
एक अद्भुत मानसिक शान्ति का अनुभव है। इतना स्वस्थ ,इतना सुखी मैंने खुद को कभी महसूस नहीं किया।
जिस ताबूत में मेरा शरीर चिर निंद्रा में सो गया है उसके आसपास अभी भी लोग हैं। मेरे बारे में ही बातें कर रहे हैं।
जल्दी बाहर निकालो नहीं तो बदबू आने लगेगी। किसकी आवाज हैं ये होगा कोई।
भाईसाहब भले इंसान थे इतना छोड़कर गए हैं कि सब बच्चे बैठे बैठे खाएंगे। अब ये कौन बोला।
प्रॉपर्टी का सही से बँटवारा नहीं कर गए छोटे को ज्यादा दे दिया।एक और आवाज।
भाईसाहब ने पैसा तो काफी कमाया पर रहे कंजूस हमेशा बोलते रहे फिजूलखर्ची मत करो अब सब यही रखा रह गया।
क्या कोई वास्तव ने मेरे जाने से दुखी है ?
शायद है मेरा नौकर। अपना अंतिम समय सबसे ज्यादा इसी के साथ तो।जबसे बीमार हुआ इसने सबसे ज्यादा सेवा की मेरी। मैंने क्या किया इसके लिए बस बेटी की शादी के लिए कुछ पैसों की मदद।सबसे ज्यादा दुखी यही है।
अब ये कौन रो रहा है। ये तो वही है जिसके बेटे के इलाज में मैंने मदद की थी।
अच्छा ये भी आया है इसकी पढ़ाई के लिए फीस मैंने ही दी थी।ये भी दुखी लगता है।
मेरा कुत्ता बेचारा कल से उदास है किसी ने इसे खाना तक नई दिया। ये भी रो रहा है।
ये मुट्ठीभर लोग जिनकी मैंने थोड़ी भी सहायता की यही दिल से दुखी हैं।
जिनके लिए पूरा जीवन पैसा कमाया वो अभी भी मुझसे खफा है।
प्रभु बस एक प्रार्थना है अगले जन्म में ये दृश्य मुझे भूलने मत देना ताकि जीवन का वास्तविक मूल्य समझ सकूं।
