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Seema Singh

Romance

4  

Seema Singh

Romance

अनकही मोहब्बत

अनकही मोहब्बत

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पहली मोहब्ब्त....ये शब्द सुनते ही बहुत कुछ आंखों के सामने एक खुबसूरत तस्वीर की तरह दिखाई देती है...पर हर किसी के नसीब में अपनी पहली मोहब्ब्त का प्यार और साथ नसीब नही होता। कुछ ऐसी ही अनकही मोहब्बत की एक कहानी.... सोना की है.....जिसकी मोहब्बत की चर्चा आज भी होती है।जब कभी कोई प्यार की मिसाल देते है तो यही कहते है.... प्यार हो तो सोना की तरह......


क्योंकि उसने मोहब्बत में सिर्फ देना सीखा था....लेना नहीं। तभी तो उसने अपने पहले प्यार को किसी और के लिए कुर्बान कर दिया।पर बदलें में क्या मिला...लोगे के ताने....पर तब भी वो मुस्कुरा कर रह लेती। प्यार तो दोनों लोग करते हैं पर सजा हमेशा सिर्फ़ एक को मिलती है....वो भी सिर्फ लड़की को.…क्यों???पर इस बार ऐसा नही था.... सोना की मोहब्बत.. जिसे वो प्यार से राज कह कर पुकारा करती थी.... एक नजर का जो प्यार होता है ना वहीं प्यार सोना राज से करती थी.... पहली बार राज को कब कहां देखा वो उसे याद नही पर जब भी देखा उसी पल से उससे मोहब्बत हो गई....वो भी बिना किसी शर्त के.....उसे तो ये भी पता नही था की राज उससे प्यार करता भी है कि नहीं।


पर सोना ने‌राज से अपने दिल की बात कहती हैं.... और राज क होता है "मैं तुम से प्यार नही करता.... मेरी जिंदगी में पहले से ही कोई है।माफ़ करना...पर ये ग़लत है।"


"पर ये ग़लत कैसे है,मैं तुम से प्यार करती हूँ ..पर कोई जरूरी तो नही कि तुम भी मुझसे प्यार करे पर करना ग़लत नही पर ग़लत इंसान से प्यार करना ग़लत है...जो की तुम वो नही हो... क्योंकि तुम ने अपनी दिल की बात कह दी.. जैसे मैंने कहीं..। सोना राज को कहती है


"पर तुम्हें गुस्सा नही आ रहा है.. मैंने तुम्हारा दिल तोड़ दिया।"राज कहता है।


"इसमें दिल तोड़ने वाली ऐसी कोई बात ही नही है... दिल तो तब टूटता जब आप का और मेरा दिल मिलता।पर मैं खुश हूं की मैंने अपनी पहली मोहब्ब्त का इजहार किया....कब से कब अपनी मोहब्बत जाहिर तो की..वो मुकम्मल होना या ना होना अपने अपने नसीब की बात है। मुझे जिंदगी से कभी कोई शिक़ायत नही होगी..की मेरे पास मौका था और मैंने उसे गंवा दिया। सोना की बात सुनकर राजा उसे देखते ही रह जाता है।


"राज....राज कहां खोये हुए हो आप में कब से आपको पुकारा रही हूँ ।"राज की पत्नी नंदिता राज को उसके अतीत से वापस लाते हुए कहती है।


"कुछ नही बस कुछ याद आ गया था... "तुम मुझसे पूछ रही थी ना कि ..... तुम्हारे सीने में किसका दिल धड़क रहा है.. किसने अपने दिल को दान करके तुम्हारी जिंदगी बचाई है।वो कोई और नहीं वो सोना थी..जिसका दिल तेरे सीने में धड़क रहा है।।आज जब डाक्टर से मैंने बहुत विनते की तब उन्होंने बताया कि ये लड़की सोना थी.. जिसने अपनी जिंदगी तुम्हें दी।वो भी बिना किसी शर्त के।जब उसे तुम्हारे बारे में पता चला तो... उसने बिना एक पल गंवाए...अपना दिल दान कर दिया...ये कहते हुए..." मेरी मोहब्बत पूरी ना हुई उसका कोई ग़म नही...पर मेरी मोहब्बत की मोहब्बत अधूरी नही होनी चाहिए। "


राज की आवाज भारी हो रही थी तभी नंदिता कहती हैं.... ये कैसी अनकही मोहब्बत है...जो ना कह के भी बहुत कुछ कह गई।

पहला प्यार पहला ही होता है.....


 


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