अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

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सरिता ऑफ़िस का काम निपटा कर 7:30 बजे सीधे सब्जी मंडी की ओर चल पड़ी, वह सोच विचारों में मगन सब्जी मंडी से सब्जी लेकर निकलती है तभी उसका पैर कुछ नीचे गिरे भटे-टमाटर पर रखा गया वह फिसल जाती है। वह 8 महीने के गर्भ से है, गिरते ही उसकी चीख निकल जाती है पेट के बल जो गिरी थी, और कुछ ही पल में वह बेहोश हो जाती है। उसे पता नहीं किस ने उसकी मदद की उसे रोड के किनारे किस सज्जन ने बिठाया और सारा सामान समेट कर उसके पास रखा और किसने उसके चेहरे पर पानी छिड़का उसे कुछ होश आया, तब पता चला कोई ओटो वाले से बात करके उसे सहारा देकर ओटो में बिठाया था और उससे पूछा गया "कहां जाना है तब उसने अपना पता बताया, कुछ रिश्ते अनकहे, अनजाने रिश्ते बन जाते है,जो भी वे सज्जन था जिसने उसकी मदद की आज भी उसको वह मन से ढूंढ रही है जिसने उसकी और उसके बच्चे की जान बचाई। वह उसको आज भी धन्यवाद देना चाहती है।



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