अनकहा रिश्ता!
अनकहा रिश्ता!


टिंग-टौंग, टिंग-टौंग घंटी बजती है। रामू काका जाकर दरवाज़ा खोलते हैं, "रोहन बाबा, मालकिन बाबा आ गए।" रामू काका किचन में चले जाते हैं। रामू काका रोहन के घर में नौकर हैं जो 15 साल से उनके घर में काम कर रहे हैं।
रोहन हाथों में खूब ढेर सारे गिफ्ट लेकर घर में आता है। रोहन की मां उषा आज बहुत खुश है। रोहन को अपनी जॉब की आज पहली सैलरी मिली है। उसी से सब के लिए गिफ्ट लाया है। उषा अपने लिए लाये हुए साड़ी और शॉल को देखकर फूले नहीं समाती। रोहन अपने पापा के लिए एक शर्ट और भाई के लिए घड़ी और बैट लाया है।
"रोहन तू मेरे लिए कितनी सुंदर साड़ी लाया है। यह कलर तो मुझे कितना पसंद है। मेरे पास ऐसी साड़ी थी भी नहीं।"
तभी रोहन के पापा भी वहां पर आ जाते हैं। अपने पापा को रोहन अपने हाथों से शर्ट देता है। वह भी आज खुश हैं, बेटे की कमाई की लाई हुई शर्ट देख कर। रामू काका पानी ला कर रख जाते हैं।
रोहन 1 महीने से मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहा है और उसे आज वहां से पहले सैलरी मिली है। उसकी पहली कमाई से आये गिफ्ट को देखकर पापा भी बहुत खुश हैं। उषा अपनी साड़ी और साल भी रोहन के पापा को दिखाती हैं "देखो कितना सुंदर सामान लाया है मेरा बेटा।"
रोहन अपने भाई शुभ जो कि ट्वेल्थ में पड़ता है, उसको आवाज़ देता है। शुभ भी दौड़ता हुआ आता है। उसे भी लगता है कि भैया मेरे लिए भी कुछ लाए होंगे। उसने अपने भाई शुभ को भी उसके लिए लाया हुआ सामान देता है। घड़ी देखकर भाई बहुत खुश होता है। "हां भाई मुझे यही चाहिए था। मैं बहुत दिन से यही लेने का मन था। मेरे फ्रेंड मानव के पास भी यही वॉच है।"
सब लोग अपना अपना गिफ्ट देखकर बहुत खुश है। तभी थोड़ी देर में रोहन के पापा बोलते हैं "रोहन तुम रामू काका के लिए कुछ नहीं लाए क्या बेटा?"
रोहन चुप हो जाता है। "रोहन बेटा रामू काका हमारे घर कितने सालों से काम कर रहे हैं। दिन भर यही रहते हैं। अपनी जिंदगी के 15 साल हम लोगों की सेवा में समर्पित कर दिये।" तभी उषा मुंह बनाकर कहती हैं "तो क्या हुआ, हम भी तो उनको खाना पैसा सब टाइम से देते हैं ना?"
रोहन के पापा कहते हैं "नहीं बेटा। उनको भी तो तुम्हारी खुशी से खुशी होगी। और इतने सालों से तुम लोगों को बड़ा होते वह देख रहे हैं। वह भी तो हमारे घर के सदस्य जैसे हो गए हैं। उन्हें भी तो हमसे अब लगाव हो गया होगा। अब हमें अपनी ख़ुशियों में उनको भी शामिल करना चाहिए। जब मम्मी सुबह से नानी के घर जाकर शाम को आती थी, तो दिन भर रामू काका ही तुम लोगों का ध्यान रखते थे। रामू काका ही दिन का खाना और शाम का दूध तुम लोगों को देते थे।"
उषा को भी लगा रोहन के पापा सही कह रहे हैं। कुछ सोचते हुए वह कहती हैं "मुझे याद आया कि मेरे पास एक नई पेंट शर्ट रखी है। वह रामू काका को ठीक आ जायेगी। मैं अभी लेकर आती हूं।"
उषा खुशी-खुशी पैंट शर्ट लेने चली जाती है। रामू काका चाय-नाश्ता लेकर आते हैं और रखकर जाने लगते हैं। तभी उषा पैंट शर्ट ले के आ जाती है। वह रोहन को सामान पकड़ा कर रामू काका को रुकने को कहती है। रामू काका क्या हुआ मेम साहब? रोहन तब पैंट शर्ट और ₹1000 रामू काका को देता है।
"रामू काका आज मेरी पहली सैलरी मिली थी। यह मैं आपके लिए लाया था।" रामू काका आश्चर्यचकित और आंखों में खुशी के आँसू लेकर पूछते हैं मेरे लिए।
रोहन कहता है "हां रामू काका! आप भी तो हमारे घर के सदस्य जैसे है। मैं भी तो आपके बेटे जैसा हूं।"
रामू काका की आंखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं। वह रोहन को खूब आशीष देते हैं। "खुश रहो बेटा, खूब तरक्की करो, आगे बढ़ो।" अपने लिए लाया सामान लेकर रामू काका खुशी-खुशी चले जाते हैं।
शाम को रामू काका बाजार से रोहन की पसंदीदा मिठाई लेकर आते हैं। रोहन रामू काका का स्नेह व खुशी देखकर भाव विह्नल हो जाता है।
आज उसको रामू काका से एक अनकहे से रिश्ते का अहसास हुआ। जिसे उसने शायद अभी तक कभी महसूस नहीं किया था।