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Kunda Shamkuwar

Drama

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Kunda Shamkuwar

Drama

अनजानी दोस्ती

अनजानी दोस्ती

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रोज की तरह मैं ऑफिस जा रही थी।रास्ते मे मे दो महिलाएँ भी चलते जा रही थी।चलते हुए उसमे से एक ने मुझे कैंटीन का रास्ता पूछा।मैंने कहा, "मेरे साथ चलिए,मैं बता देती हुँ।मेरे ऑफिस की ही कैंटीन है।"और हम साथ साथ बात करते हुए चलने लगे। बातों बातों में मेरा ऑफिस भी आ गया।मैंने कहा,चलिए आज आप लोग मेरे साथ चाय पीजिए क्योंकि आज आप मेरे मेहमान है।हँसी और चाय के साथ बाते होने लगी।बातचीत में पता लगा कि वे दोनों महिलाएँ दिल्ली के बाहर की है और यहाँ पीएचडी करना चाहती है।अभी रजिस्ट्रेशन करने के लिए आयी है।

जाते समय वह काफी खुश लग रही थी क्योंकि दिल्ली जैसे बड़े शहर में इस तरह राह चलते लोगों के साथ प्यार से बात करना और बाद में फ्रेंड्स बनना उनके लिए बिलकुल नया और असंभव सा कार्य था। 

मेरे लिए भी एक सर्वथा नया अनुभव था।लेकिन एक बात इसमें जरूर पता लगी की दोस्त बनाने के लिए दिल का अपना कोई नियम या कोई तय फार्मूला नहीं होता है।दिल तो सहजता से कही भी किसी के साथ हिलमिल जाता है....


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