अनजान ढाबा
अनजान ढाबा
आज सुबह से ही मन में कुछ बेचैनी सी हो रही है ; ऐसा अनुज ने अपने बड़े भाई अशोक से कहा।
अशोक और अनुज दोनों एक बहुत बड़े बिल्डर थे। इनके कई शहरों में मॉल्स, होटल्स और कई अप्पार्टमेन्ट हैं जो इनकी कंपनी ने बनाये हैं। दोनों का काम बहुत ही अच्छा चल रहा है। दोनों भाई मिलकर अपने पिताजी की बनाई कंपनी को एक बहुत ऊंचे मकाम तक ले गए हैं। इनको अक्सर एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ता था।
पर आज अनुज को अजीब सी बेचैनी हो रही थी। अनुज ने अपने बड़े भाई से कहा : भैया क्या आज हमारा जयपुर जाना ज़रूरी है?
अशोक : हाँ भाई । तुम्हें तो पता ही है कि वहाँ हमारा होटल का काम चल रहा है और वो साइट हमें जल्द से जल्द त्यार कर के देनी है।
अनुज : पर भैया हम पहले ही लेट हो चुके हैं
दरअसल दोनों भाईओं को काम करते करते शाम हो गयी थी जबकि उनका प्लान था कि वो दुपहर को ही जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगे
समय मिलते सार ही दोनों भाई जयपुर के लिए रवाना हो गए। चूँकि देर काफी हो चुकी थी और सर्दी की रात में उन्होंने बस अपनी गाड़ी दौड़ाई। अशोक को एक पल कि लिए ऐसा लगा कि शायद वो रास्ते खो गए हैं और एक मोड़ पहले ही मुड़ गए हैं। पर इस बात को नज़र अंदाज़ करते हुए बस गाड़ी चला रहा था और उनका था कि सुबह होने से पहले वो किसी तरह जयपुर पहुँच जाएँ।
रात के करीब 2:30 बजे अनुज ने कहा, भैया भूख लग रही है। आप भी कार चलाते चलाते थक गए होंगे, क्यों न कहीं ढाबे पर रोक कर कुछ खा लें और चाय पी लें। उन्होंने ऐसा ही किया, एक ढाबे पर अपनी गाड़ी रोकी और देखा ढाबा एक बहुत ही सुनसान सी जगह पर था। वहां एक बल्ब जल रहा था और एक आदमी था जो वहां सोया हुआ था । उन्होंने उस आदमी को उठाया और चाय के लिए कहा। वो चाय पी ही रहे थे कि उन्होंने देखा एक आदमी बहुत तेज़ी से उनके आगे से निकला और आगे जा कर गायब हो गया। फेर थोड़ी देर बाद एक औरत अपने दो बच्चों के साथ उस सामने से तेज़ निकली और अचानक गायब हो गयी। वो ये सब देख कर हैरान हो गए और भौचक्के रह गए। खैर उन्होंने सोचा कि शायद आगे को गांव का मोड़ होगा शायद वो वहां मुड़ गए। तभी एक मोटरसाइकिल बहुत तेज़ी से निकला इससे पहले वो कुछ और देख पाते वो मोटरसाइकिल सामने आ रही गाड़ी में जा बजा। दोनों भाइयों को बहुत अजीब लगा।
अशोक ने कहा देखा तभी कहते हैं कि धीरे गाड़ी चलनी चाहिए। अभी उसने ऐसा कहा ही था कि अचानक से एक एम्बुलेंस न जाने कहाँ से आयी उसमे से २ वार्ड बॉय निकले उन्होंने मोटरसाइकिल वाले आदमी को उठाया और एम्बुलेंस में बिठा कर गायब हो गए। तब अनुज ने कहा भैया मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। क्यों न हम जल्दी से चलें।
दोनों ने ढाबे वाले को पैसे दिए और जयपुर के लिए रवाना हो गए और करीब सुबह 5:30 पे वो अपने होटल पे पहुंचे। जैसे ही वो होटल पे पहुँचे, उन्होंने अपने साथ घटित रात की घटना अपने मैनेजर अनिल को बताई। अनिल ने हैरानी से पूछा आप किस रास्ते से आये हैं?
जैसे ही अनुज ने उस रास्ते का नाम लिया। अनिल ने बड़े ही हैरान हो कर कहा सर कौनसा ढाबा?? सर उस रास्ते पर दूर दूर तक कोई ढाबा नहीं है।
अशोक और अनुज के पाँव तले ज़मीन निकल गयी। उस घटना से वो इतना डर गए थे कि कई महीनों तक उन्होंने रात में सफर नहीं किया।

