अनहोनी
अनहोनी
प्रीतम सिंह आज जब अपनी ट्रक लेकर घर से निकल रहा था तो मनप्रीत ने कहा रात के दस बज गए हैं इतनी रात तो मत जाओ और देखो मेरी हालत।अब किसी भी समय पर प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है। प्रीतम ने उसकी तरफ देखते हुए कहा यह तो मेरी नौकरी है मुझे जब भी मालिक का हुक्म होगा तब सामान लेकर ट्रक से निकलना ही पड़ेगा पर तुम्हारे पास यहां करतार है न वह तुम्हारी मदद करेगा। मनप्रीत का नौवां महीना लग गया था और सुबह से आज उसकी तबीयत भी ठीक नहीं थी इसलिए वह चाहती थी कि प्रसव के समय प्रीतम उसके पास रहे पर प्रीतम तो नौकरी का हवाला दे चल पड़ा।अभी प्रीतम को गए चार घंटे ही हुए थे कि मनप्रीत को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उसने कराहते हुए करतार को आवाज दी।करतार बाहर वाले कमरे में सो रहा था।उसके पास ही उसका बड़ा बेटा हरप्रीत सो रहा था। बार-बार पुकारने के बाद भी जब करतार नही आया तो उसने बेटे का नाम पुकारना शुरू किया। दीवार का सहारा लेते हुए वह उस कमरे में गई तो देखा करतार नशे में धुत सो रहा है।हरप्रीत आंख मलता हुआ पास आकर पूछा -"क्या हुआ "?वो इतना छोटा था कि प्रसव पीड़ा उसके समझ से बाहर थी। अब वह कैसे समझाती जिस घड़ी का वह इंतजार कर रहा था वह आ गई थी।उसने हरप्रीत को ऑटो लाने भेज दिया और हॉस्पिटल जाने के लिए जरूरी सामान रखने लगी।
प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि वह धम से चारपाई पर गिर पड़ी। इतनी देर में हरप्रीत ऑटो लेकर आया और मां को सहारा देते हुए उस में बिठा दिया। प्रीतम की गाड़ी अभी चार-पांच किलोमीटर ही आगे बढ़ी थी कि मूसलाधार बारिश शुरू हो गई।एक घने पेड़ के नीचे उसने ट्रक रोक दी और साथ बैठे मनन को आसपास किसी ढाबे के बारे में पता लगाने को कहा मनन ने कहा -यहाँ पास में एक ढाबा है पर इतनी रात वहां खाना मिलेगा कि नहीं यह संदेह है। दोनों ट्रक घुमा कर उस ढाबे पर पहुंच गए।रात के एक बज रहे थे। ढाबा बंद था और सब सो रहे थे।दोनों को जोर की भूख लगी थी पर ढाबे में कुछ न मिला। तभी वहां रखे बिस्किट पर प्रीतम की नजर गई उसने इस समय वही खाना उचित समझा और ढाबे वाले को उठाकर बिस्किट खरीद ली। ट्रक में वापस आकर दोनों बिस्किट खा आगे की यात्रा शुरू कर दी।काली भयावह रात और मूसलाधार बारिश की वजह से चारों ओर डरावना महसूस हो रहा था।कुछ दूर जाने के बाद है उसे ट्रक की रोशनी में सड़क पर एक भयानक सांप दिखा जो सड़क के एक तरफ से दूसरी तरफ जा रहा था उसने अंधेरे में देखने की कोशिश की तो पता चला कि ये तो लगभग आठ फुट का काला नाग है।उसने तुरंत ब्रेक लगाई पर ब्रेक लगने से पहले ही वह चक्के की नीचे आ गया था। प्रीतम बहुत डर गया।
उसने मनन को उतरकर देखने के लिए कहा। मनन भी डर गया था वह अकेले नीचे उतरना नहीं चाहता था।उसने कहा -"आप भी मेरे साथ चलो, दोनों नीचे जाकर देखते हैं क्या हुआ है"। दोनों ने दूसरे की हिम्मत बढ़ाई और ट्रक से उतर सांप के पास पहुंचा।सांप तब तक मर चुका था।प्रीतम ने गौर से देखा तो वह नाग नहीं नागिन थी और गर्भवती भी थी। अब तो उसे बहुत अफसोस होने लगा।इस घटना को बीते पांच मिनट ही हुए थे फोन की घंटी बज उठी फोन उसके बेटे का था। उसने खुशखबरी दिया की उसका भाई हुआ है।आप जल्दी वापस आ जाइए। प्रीतम नागिन के मारे जाने के सदमे से निकल न पा रहा था। उसने आगे जाना उचित न समझा और ट्रक घर की तरफ मोड़ लिया। एक तरफ मन में बेटे होने की खुशी, दोबारा पिता बनने की खुशी तो दूसरी तरफ नागिन के मरने का अफसोस लिए वो हॉस्पिटल पहुँचा।डॉक्टर साहब ने उसे बताया मां और बेटा दोनों स्वस्थ है पर बच्चा....। "क्या हुआ मेरे बच्चे को"?"आप खुद ही देख लो "।कंपते दिल से प्रीतम मनप्रीत के कमरे में गया।पास सोये बच्चे पर नजर पड़ी तो डर गया। उस बच्चे का पूरा साँप के निशान से भरा था सिर्फ चेहरा मनुष्य जैसा था गले पर भी नाग साफ के निशान जैसा ही एक निशान था।उसे देखते हैं प्रीतम को रात की घटना याद आ गई। यह मात्र संयोग था या कुछ और? वह समझ नहीं पा रहा था।उसने आज तक किसी भी बच्चे के शरीर पर ऐसे सांप के निशान नहीं देखे थे फिर यह क्यों हुआ ? उसने मनप्रीत की तरफ देखा जो बेफिक्र हो गहरी निद्रा में सो रही थी। वह अपने बेटे को देख अपराध बोध में आकंठ डूबता जा रहा था।
