अंग्रेजी मैम
अंग्रेजी मैम
शालिनी कौशिक एक अंग्रेजी की शिक्षिका हैं जो सरकारी स्कूल में नौकरी करतीं हैं। शालिनी काफी मिलनसार हैं लेकिन उनके ज्यादा दोस्त नहीं बन पाते... (चलिए इसका कारण जानते हैं)
शालिनी एक निम्न मध्य वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं और वो बचपन से ही काफी मेधावी और मेहनती छात्रा रहीं हैं। शालिनी के पिता एक सामान्य व्यवसायी है मगर बेटी की पढ़ाई में कभी कोई किंचित मात्र कमी नहीं की। समाज में ऐसे पिताओं की बहुत आवश्यकता है जो बेटियों को महत्व देते हैं। शालिनी कौशिक धीरे-धीरे अपने जीवन में आगे बढ़ते हुए सरकारी नौकरी में अपनी जगह बनाई और वह अपने घर के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी सम्हालती रही ।
शालिनी जी की पहचान अपनी स्कूल में भी काफी अच्छी है। उनके पढ़ाए गये पाठ बच्चों को आसानी से समझ में आते थे। वो भी अपने ड्यूटी के प्रति काफी जागरूक थी। वो अच्छी अंग्रेजी बोलने और लिखने में भी माहिर थी। शालिनी ने कभी भी किसी का अपमान नहीं किया लेकिन फिर भी कोई शिक्षक या शिक्षिका उससे बात करने में झिझकते थे।
शालिनी भी इन बातों को समझती थी कि शायद लोग उसके अंग्रेजी से डरते थे या फिर कोई कटोक्ति भी पीछे से कर देते थे। शालिनी का विश्वास कभी नहीं डिगा और वो अपनी डिग्रियां बढ़ाती रही।
अब शालिनी की उम्र भी हो चली थी और उसका विवाह भी करवाना था, ये उसके पिता के लिए एक बड़ी चुनौती है। बिटिया इतनी पढ़ी लिखी है सरकारी स्कूल में शिक्षिका है, लेकिन ढंग का रिश्ता नहीं मिल पाता।
रिश्ते जब अपने ही जाति के भीतर देखें जाते तो आधे लड़के अशिक्षित मिलते, कभी कोई पढ़ा लिखा मिलता तो वो अंग्रेजी मैम से शादी करने से इनकार कर देता। कोई भी स्कूल का शिक्षक मिलता तो भी शालिनी से बात करते ही समझ जाता कि इस लड़की को सम्हालना उनके वश की बात नहीं। शालिनी की डिग्रियां और उसकी फर्राटेदार अंग्रेजी उसकी शादी में रूकावट थी......
क्या सच में शालिनी की अंग्रेजी और डिग्रियां और सफल कैरियर उसके लिए बाधा है?
क्या समाज उन्मुक्त हुआ है अपने विचारों से, क्या और क्यों का उत्तर ढूंढना क्या सचमुच इतना मुश्किल है?
(चलिए बदलते हैं, खुद को ताकि हमारी बच्चियां सफल बने, सपना देखें और अपने सपने पूरा करें, किसी की मोहताज नहीं बनें, कभी नहीं)
