अंधविश्वास
अंधविश्वास
अंधविश्वास एक अभिशाप है!उमा जी एक अंधविश्वासी औरत थी हर कार्य मुहूर्त देखकर या शुभ अशुभ देखकर किया करती थी।उन्होंने अपने बेटे हरीश की शादी भी कुंडली मिलाकर की।शादी से लेकर हर छोटी से छोटी बात में मुहूर्त देखा। वह बाबाओं वह झाड़-फूंक को भी बहुत मानती थी।
बेटे की शादी को 4 साल हो गए थे। बहू रिचा का आठवां महीना खत्म होकर नवा महीना लगा ही था। रिचा के 9 महीने बहुत ही तकलीफ में गुजरे। दो बार मिसकैरेज होने के बाद परेशानी बनी रही।अबकी बार बड़ी मुश्किल से 8 महीने पूरे हुए हैं और डॉक्टर सख्त रूप से कहा था कि थोड़ी भी तकलीफ हो तो हॉस्पिटल चले आना नहीं तो दिक्कत हो जाएगी।
रिचा -"मां बहुत तेज दर्द हो रहा है लगता है हमें हॉस्पिटल चलना चाहिए आप हरीश को फोन कर दो मुझे डर लग रहा है।"
उमा "रिचा थोड़ा दर्द सहन कर लो अभी तुम्हारे डिलीवरी का समय दूर है आज बाबाजी ने झाड़ा लगाना है उसके बाद हम हॉस्पिटल चलेंगे" |
रिचा-"मां मुझे बहुत तकलीफ हो रही है आप हरीश को जल्दी से ऑफिस से बुला ले और मेरी मां को भी फोन करदें |"
उमा जी हरीश को वह रिचा के मां को फोन करके आने को कहती हैं।
हरीश -"रिचा तुम चिंता मत करो अभी हम 15-20 मिनट में हॉस्पिटल पहुंच जाएंगे सब ठीक हो जाएगा देखो तुम्हारी माताजी भी आ गई हैं|"
उमा जी- "हरीश झाड़ा भी लगवाना है नहीं तो अब की बार भी दो बार की तरह हमें ना उम्मीद ही मिलेगी इसलिए तुम जल्दी बाजी मत करो पहले बाबाजी के झाड़ा लगवा लेते हैं| और हर्ज भी क्या है हॉस्पिटल के रास्ते में ही बाबा जी का मंदिर है|"
रिचा की मां से रहा नहीं गया वह रिचा को दर्द से तड़पता हुआ देख रही थी उसने हाथ जोड़ते हुए हरीश की मां से निवेदन किया आपके अंधविश्वास मेरी बच्ची की जान को खतरा पैदा कर रहे हैं अतः आप को अगर ठीक न भी लगे तो भी मैं अपनी बच्ची को पहले हॉस्पिटल लेकर जा रही हूं आप मेरे साथ आइए|
हरीश- "मां आज जिद करने का समय नहीं है यह समय उमा की मम्मी सही कह रही हैं ऐसे समय में झाडा,मुहूर्त और नक्षत्र बाद में देखे जाते हैं ना -----कि"
"हरीश जल्दी चलो रिचा के बेहोशी आ रही है |" रिचा की मां ने सहमते हुए कहा|
तीनों रिचा को लेकर हॉस्पिटल रवाना हो गए हैं रीचा को इमरजेंसी में ले जाया जाता है डॉक्टर कहते हैं रीचा और बच्चे दोनों खतरे में हैं |ऑपरेशन तुरंत करना पड़ेगा आपने लाने में देर क्यों कर दी|देर बाद नर्स दौड़ती आती है वह बताती है कि हरीश के लड़का हुआ है लेकिन रिचा की हालत बहुत गंभीर है|
उमा- "मैं ना कहती थी एक बार बाबाजी का झाड़ा लगवा लेते तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता अब अगर रिचा के कुछ हो गया तो हरीश और बच्चे का क्या होगा ,लोगों ने ऐसे ही यह विश्वास नहीं बनाये|पर आजकल तो कौन इन बातों को मानता है ,फिर रीचा की जिंदगी की खुद रिचा की मां जिम्मेदार है "|
रिचा की मम्मी की आंखों में नमी है वह कुछ सोच नहीं पा रही हैं उन्हें बस ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि वह उनकी बच्ची को बचा ले|इतने में डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आती है और बताती है कि अब रीचा खतरे से बाहर है अगर वह 10 मिनट और लेट रिचा को हॉस्पिटल लाते तो शायद बच्चा व रीचा दोनों की जिंदगी नहीं बच पाती।
उमा जी यह सुनकर डर गई और वह रीचा की मां के गले लग गई कि उनकी एक गलती से आज कितना बड़ा नुकसान हो जाता |उनके बेटे की तो जिंदगी ही खत्म हो जाती| और उन्होंने निर्णय लिया कि किसी भी अंधविश्वास को इतना हावी न होने दें कि वह आप की वास्तविकता को भी नकार दें|
मेरी कहानी में उमा जी अच्छी सास भी हैं और मां भी हैं पर वह अंधविश्वास झाड़ फूंक मंत्र में अत्यंत विश्वास करती हैं वह समय के महत्व को नहीं समझ पा रही हैं ,की वस्तुस्थिति के लिए उन्हें पहले क्या निर्णय लेना चाहिए |हमेशा समय में जो वास्तविक आवश्यकता है उस को प्राथमिकता मिलनी चाहिए न की अंधविश्वास को|अंधविश्वास जीवन के लिए अभिशाप है।