अमर जवान
अमर जवान


मेघा छत पर बेसब्री से टहल रही थी। सर्दियों की ठंडी रात थी ,सनसनाती ठंडी हवा चल रही थी। मेघा बार बार घड़ी में टाइम देख रही थी। रोज रात 9:00 बजे रोहन का उसको फोन आता था और वह अपनी कुशलक्षेम भेजता था। इस समय ढोकलाम में उसकी ड्यूटी थी और आतंकवादियों का खतरा वहां पहले से ज्यादा बढ़ गया था। बढ़ती ठंड में आतंकवादियों की घुसपैठ कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती थी। सीमा पर जैसे हालात होते हैं ,उससे मेघा हर समय डरी रहती।
एक साल पहले ही उसकी शादी सेना में कैप्टन रोहन से हुई थी और पिछले महीने बेटी के जन्म होने से पहले ही छुट्टी लेकर रोहन आया हुआ था और नामकरण करा कर दस दिन पहले ही वापस ड्यूटी पर गया था। मेघा का दिल हमेशा धड़कता रहता,बेचैनी रहती जिस तरह की खबरें हर तीसरे दिन सीमा से आती रहतीं लेकिन एक सैनिक की पत्नी होने का फर्ज वह बखूबी निभा रही थी। अपनी चिंता अपने दिल का दर्द वो किसी के सामने जाहिर नहीं करती। सारे दिन निकल जाने के बाद जब रात को 9:00 बजे रोहन का फोन आता तो मेघा को सुकून आता। लेकिन आज साडे़ नौ में हो गए थे लेकिन उनका फोन नहीं आ रहा था और मेघा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। तभी नीचे से रोहन की मां की आवाज आई ,बिटिया रो रही थी और मेघा भागती हुई नीचे चली गई ।
लखनऊ की रहनेवाली बी. ए. पास मेघा की शादी छोटे से गांव के एक साधारण से परिवार के कैप्टन रोहन से हुई थी। उसने जाकर बेटी को छाती से लगाया और दूध पिलाने लगी। बेटी चुप हो गई लेकिन मेघा के दिल में हलचल मची हुई थी। कुछ अनहोनी की आशंका जैसे उसको अंदर से तड़पाए जा रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा था, वैसे वैसे मेघा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। उससे रहा नहीं गया तो अपनी सास के पास पहुंच गई, बेटी सो चुकी थी।
मम्मी आज उनका फोन नहीं आया, कहते कहते उसकी आंखें भर आई और आवाज भर्रा गई। सास ने उसकी मनोदशा समझ प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराया और ढाढस बंधाया।
कोई नहीं बेटे कई बार हो जाता है,फुर्सत नहीं मिलती, ड्यूटी ही ऐसी है...आ जाएगा...।
कहने को तो मां ने कह दिया लेकिन जी मां का भी नहीं लग रहा था। अंदर अंदर वो भी घबराई हुई थीं क्योंकि रोज मेघा पति का फोन आने पर उनसे बात कराती थी। वह भी बेटे की आवाज सुन तसल्ली कर लेती। आज वह बेटे के बचपन के किस्से सुना मेघा का जी बहलाने लगी। पति के किस्से कहानी सुनने के बाद मेघा का मन कुछ बहला और फिर दोनों सास बहू सोने के लिए चली गईं। आजकल रोहन के जाने के बाद सास बहू और पोती एक ही कमरे में सो रहे थे। नवजात बेटी की देखभाल अधिकतर दादी ही किया करती। मेघा में अभी उतनी समझ ही कहां थी,बाइस की ही तो अभी पिछले महिने हुई थी। बच्ची के नहलाने मालिश से लेकर शुशूपौटी का ख्याल दादी ही रखती आखिर पोते-पोतियों में ही तो दादा-दादी की जान बसी होती है विशेष जब बेटा बाहर नज़रों से दूर हो वो भी देश की रक्षा में तैनात।
सुबह जब मेगा उठी तो बेचैन ही थी। रात को भी वह पूरी तरह सो नहीं पाई थी। हर पल लगता जैसे अब उनका फोन आएगा,कहीं सुनाई ना दिया तो....यह सोच सोच कर झपकी लिया करती, बीच-बीच में उसने कई बार खुद भी फोन मिलाने की कोशिश की लेकिन फोन एक भी बार नहीं लगा, मानो ऑफ हो।
तभी उसके ससुर उठ कर आ गए और उन्होंने न्यूज़ देखने के लिए टी.वी.खोला। सबसे पहले जो ब्रेकिंग न्यूज़ थी ---
रात 12:00 बजे से डोकलाम में आतंकवादियों और सैनिकों के बीच में मुठभेड़ चल रही है। आसपास के इलाके में आतंकवादी छुपे हुए हैं और रह रह कर फायरिंग हो रही है। इसमें अभी तक 3 सैनिक और 2 आतंकवादी मारे गए हैं। सुनते ही पिता का कलेजा धक् हो गया। एंकर जो खबर दे रहा था उसका लाइव टेलीकास्ट भी देने लगा।
सैनिक यहां वहां मोर्चा ले रहे थे । वह फौजियों के चेहरे तलाशने लगी । सभी एक जैसे दिख रहे थे, इनमें कोई रोहन भी होगा शायद...
उसकी धड़कनें तेज हो गईं। जरूर इसीलिए फोन नहीं आया और उसका जीवन शायद खतरे में है। एंकर बार -बार यह जानकारी दे रहा था कि कल रात 8:00 बजे खुफिया सूत्रों को पता लगा था कि आतंकवादी एक बड़े हमले की तैयारी में हैं और तब से ही सेना उनकी खोजबीन में लग गई थी और पता लगते ही उस जगह को घेर लिया गया था। रात 12:00 बजे से मुठभेड़ लगातार जारी थी जो अभी तक चल रही थी। खाना पीना छोड़ सब टी.वी .के आगे बैठ गए । अब फोन करने का तो कोई मतलब ही नहीं था। अंदर ही अंदर सबके दिल धड़क रहे थे। कहीं मरे हुए सैनिकों में रोहन का नाम ना आ जाए। तभी एंकर फिर से आया और उसने फिर से जानकारी देना शुरू किया।
तभी लाइव रिपोर्टर खबर बताने लगा और फिर उसने उन सैनिकों का नाम बताया जो अब तक शहीद हो चुके थे। सुनते ही सब के कलेजे में जैसे ठंडक पहुंची, उनमें रोहन का नाम नहीं था लेकिन क्योंकि मुठभेड़ जारी था इसलिए डर अभी भी दिल पर भारी था। रोहन के पिता ने उसकी मां और पत्नी को शांत किया।
"सब कुछ ठीक रहेगा,तुम लोग अपने काम करो,कोई ऐसी बात नहीं है। फौजियों के जीवन में तो ये दिन आते ही रहते हैं। भगवान का ध्यान करो ,प्रार्थना करो ,सभी के लिए ..सब कुछ ठीक रहे...। "
मन में एक डर लिए मेघा काम में लग गई और उसकी सास भी। बीच-बीच में बच्ची रोए जा रही थी जैसे ही वो रोती, मेघा को तब ऐसा लगता आज कहीं कुछ अपशगुन तो नहीं होने वाला लेकिन फिर वह अपने मन को मनाती और बार-बार ईश्वर को याद करती कि"
हे!ईश्वर उसके सुहाग की रक्षा करना। "
लेकिन होना वही होता है जो ऊपर वाले ने लिखा होता है 11:00 बजे फिर से खबर आई कि सैनिकों और आतंकवादियों में जबरदस्त मुठभेड़।
आतंकवादियों ने भागने के लिए हैंड ग्रेनेड का प्रयोग किया और सैनिकों की तरफ उन्होंने अंधाधुंध हैंड ग्रैंनेड फेंके जिसमें 10-15 सैनिक चपेट में आए और गम्भीर रूप से घायल हुए हैं। अभी यह पता नहीं लग पाया है कि उनमें से कितने घायल हैं और कितने स्वर्ग सिधार गए। अभी उनको उस जगह से निकाला जा रहा है। 10 आतंकी मारे गए हैं जबकि तीन चार भागने में कामयाब हो गए । मुठभेड़ समाप्त हो चुकी है और अब घायलों को अस्पताल ले जाया जा रहा है।
मेघा को लगा मानो उसका कलेजा निकलने वाला हो। रोहन की मां भी आंसू भरी आंखों से भगवान को मना रही थी।
"हे !भगवान सबकी रक्षा करो, जो भी घायल है उनको जीवन बख्स, सबने अपने बेटे तेरे हवाले कर दिये। "
खबरें सुनते हुए पूरा दिन गुजर गया,ना किसी ने कुछ खाया ना पिया। गांव वाले भी पास आकर बैठे थे और उनको ढांढस बंधाते रहे। सभी प्रार्थना कर रहे थे कि मरने वाले सैनिकों में रोहन का नाम ना और जो भी घायल हुए हैं ठीक हो जाएं। शाम को 8:00 बजे जो खबर आई उसमें उनको इतना पता लगा कि रोहन का नाम उन घायलों में है जो गंभीर हालत में है और जिसकी एक टांग विस्फोट की वजह से उड़ गई है।
घटनास्थल से रिपोर्टर बता रहा था.. जब कैप्टन रोहन अपनी टीम के साथ आतंकवादियों को घेरते हुए आगे बढ़ रहे थे और आतंकवादियों ने अपने को जब बिल्कुल घिरा हुआ देखा तो उन्होंने उनकी तरफ कई सारे हैंड ग्रैंनेड फेंके ताकि वह भाग सकें और उनमें से एक ग्रेनेड रोहन के पैरों के पास आकर लगा जिसकी वजह से वह तुरंत घायल हो गए और उनके साथ वाली टीम भी गंभीर रूप से घायल हुई। आतंकवादियों ने भागने की पूरी कोशिश की लेकिन फिर भी घायल सैनिकों ने साहस नहीं छोड़ा और उनको रोकने की कोशिश की तब तक पीछे की टीम ने आकर उनको काबू में किया लेकिन फिर भी इस अफरा- तफरी में दो-तीन में आतंकवादी निकलने में कामयाब हो गए।
मेघा की जान ही जैसे निकल गई। बेहोश होकर गिर पड़ी। मां भी मां थी लेकिन एक सैनिक की मां भी थी जिसका दिल तो था लेकिन साहस भी था, उसने अपने दिल को कड़ा किया और बहू को संभाला ।
सभी घायल सैनिकों को इलाज के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा दिल्ली लाया गया। इधर मेघा भी अपनी सास ससुर और बेटी को गोद में लेकर पहुंच गई । रोहन की हालत बहुत गंभीर थी। सिर्फ एक व्यक्ति को उसे देखने की इज़ाजत थी। सास ससुर ने बहु को मिलने के लिए भेजा । वे जानते थे कि इस समय उसका रोहन से मिलना ज्यादा जरूरी है ।
मेघा सामने खड़ी थी रोहन क्षत-विक्षत हालत में बैड पर मानो अंतिम सांसे ले रहा था। मेघा ने अपने धड़कते दिल को काबू में किया ,रोहन का हाथ अपने हाथों में लिया ।
"आप चिंता मत कीजिए, सब ठीक हो जाएगा। " आंखों में आंसू मचल रहे थे पर गिरने की इजाज़त नहीं थी।
रोहन ने जैसे अपनी समस्त हिम्मत जुटाकर बोलने की कोशिश की ," मैं बीच रास्ते में तुम्हें छोड़कर जा रहा हूं,जिंदगी भर तुम्हारा साथ निभाने का वादा निभा नहीं पाया और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी पूरी तरह निभा नहीं पाया....
बीच रास्ते में जा रहा हूं ,देश को अभी हमारी जरूरत थी....। "
"आप ऐसा मत कहिए,सब ठीक हो जायेगा। आपने अपना फर्ज बहुत अच्छी तरह निभाया है ।
रोहन अपनी आंखों से मेघा से क्षमा मांग रहा था।
"अगर मेरा कोई और भाई या बेटा होता है तो वह मेरे पीछे देश सेवा में चला जाता लेकिन....
मेघा उसका मतलब समझ गई और उसने उसका हाथ दबाते हुए भरोसा दिलाया,"आप चिंता मत कीजिए आपके पीछे मैं सारे फर्ज निभाऊंगी और आप अपनी आंखों से देखोगे, बस आप ठीक हो जाइए। "
रोकते रोकते भी दो बूंद आंसुओं की रोहन के हाथों पर गिर पड़ी।
रोहन ने उन आंसुओं को अपनी आंखों से लगाया और मेघा का हाथ दवा मानो आश्वस्त हुआ। अब बोलने की शक्ति समाप्त हो चुकी थी और वह पुनः बेहोश हो चुका था और फिर वापस वो कभी होश में नहीं आया।
पति की इच्छा को ध्यान में रखते हुए मेघा एन.डी.ए .की परीक्षा की तैयारी में लग गई। उसके सामने बस एक ही लक्ष्य था पति की अन्तिम इच्छा को पूरा करना। ना दिन देखा ना रात हर समय वह परीक्षा की तैयारी में लगी रहती । बेटी को बस दूध पिलाती और अपने लक्ष्य में जुट जातीऔर आखिर में उसने परीक्षा उत्तीर्ण कर ही ली।
इसके बाद तीन वर्षीय ट्रेनिंग के लिए चली गई। ममता ने दिल को कमजोर तो किया पर पति को दिये वचन ने उसे मजबूत किया। सासु मां के हाथों बेटी को सोंफ वह निश्चिंत हुई आखिर साल की बेटी को ऊपर का दूध पिलाने की आदत वह डाल चुकी थी। दिन रात की कड़ी मेहनत निष्ठा और लगन से पूरी कर आज मेघा परमानेंट कमीशन ऑफिसर के रूप में नियुक्त हो गई है और 15 अगस्त के समारोह में एक फाइटर के रूप में भाग ले रही है।
मेघा ने पति की अंतिम इच्छा का मान रखा देश के नाम अपना जीवन कर दिया। देशभक्त और राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत युवाओं ने ही हमारे देश को सिर उठाकर जीने का रास्ता प्रदान किया है।
हमे़ इन जाबांज युवाओं पर गर्व है क्योंकि ये हम सब की प्रेरणा हैं और आने वाली पीढ़ियों के आदर्श हैं। गांववालों ने रोहन स्मृति में एक शहीद स्मारक स्थापित किया है जिस पर अमर जवान लिखा हुआ है। एक ट्रस्ट का गठन रोहन के नाम पर किया गया है। हर वर्ष वहां पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। देश पर हुए शहीदों के परिवारों की मदद की जाती है जहां उनके पीछे उस परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं है और इस ट्रस्ट के संस्थापक रोहन के उनके पिता हैं।