STORYMIRROR

manish shukla

Drama

3  

manish shukla

Drama

अम्मा की निर्मूल आशंका

अम्मा की निर्मूल आशंका

3 mins
591

“अम्मा अब तुम्हें काम करने की क्या जरूरत है। सब कुछ तो है हमारे पास। तुम बताओ किस चीज की कमी है जो दिन रात अब भी काम करती रहती हो...” माँ के गले से लगकर श्याम ने बड़े ही प्यार से उनका हाथ पकड़ लिया और जिद करने लगा कि अब बस बहुत मेहनत कर ली। हमें इस लायक बना दिया, अब तो आराम करो। ये दूसरों का काम कब तक करती रहोगी।


“बेटा मैं जानती हूँ कि तू अपने पैरों पर खड़ा है। मेरी देखभाल कर सकता है लेकिन ये काम ही जिसने तेरे पिता के जाने के बाद मुझको सहारा दिया। तुझको इस लायक बनाने का जरिया बना, जिससे मैं गर्व महसूस कर सकूँ। मेरे लिए मेरा काम ही जीवन है। जिस दिन मैंने काम बंद किया, शायद मैं भी रुक जाऊँ“ माँ की बात सुनकर श्याम एकबार फिर खामोश हो गया।


जब से श्याम का रिश्ता तय हुआ था, उस दिन से माँ कुछ ज्यादा ही काम करने लगी थी। श्याम की माँ पूर्णिमा देवी जानती थी कि श्याम की नौकरी तबादले वाली है। एक न एक दिन वो अपनी पत्नी को लेकर अपने साथ चला ही जाएगा। उसकी पत्नी स्वतंत्र तरीके से अपना जीवन जीना चाहेगी और अपना भविष्य बनाएगी, ऐसे में अगर वो उनके साथ रहेगी तो अपने ही बेटे का पारिवारिक जीवन नर्क हो जाएगा। ऐसी ही आशंकाओं से घिरी पूर्णिमा जी किसी भी कीमत पर अपना घर और अपने ग्राहक खोना नहीं चाहती थी।


आखिरकार वो दिन भी आ गया जब पूर्णिमा जी की बहू घर आ गई। नए विचारों और शिक्षा से लैस श्याम की धर्मपत्नी बिलकुल वैसी ही निकली जिसकी पूर्णिमा जी को आशंका थी। उसके अपने सपने थे। वो तेजी से उड़ान भरना चाहती थी और अत्याधुनिक जीवन जीना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों की परीक्षा होनी बाकी थी। वो सास के काम में हाथ बंटाती थी लेकिन कभी भी उनको उनके काम से रोकने की कोशिश नहीं की। इसी बीच श्याम के तबादले की घड़ी आ गई। श्याम की पत्नी यह सुनकर बेहद खुश थी। उसे लग रहा था अब वो बड़े शहर के बड़े घर में रहेगी। इन तंग गलियों और गरीबी भरे जीवन से मुक्ति मिलेगी।


“माँ आखिरकार इनका तबादला हो ही गया। अब हमें इस पुराने घर में नहीं रहना पड़ेगा। हम नए और बड़े घर में सांस ले सकेंगे। मेरे पिताजी ने भी यही सोचकर इनके साथ शादी की थी कि हमारा सुखमय भविष्य होगा“


“हाँ बेटा, मुझे खुशी है कि तुम दोनों के सपने पूरे हो सकेंगे। तुम अपने मुताबिक जीवन जी पाओगी लेकिन छुट्टियों में मुझसे मिलने जरूर आया करना। फोन भी कर लिया करना"


श्याम दरवाजे के पीछे खड़े होकर अपनी माँ और पत्नी की बातें सुन रहा था। वो बेहद गुस्से में था लेकिन लाचार था। वो अपनी पत्नी के खिलाफ नहीं जा सकता था लेकिन अपनी बूढ़ी माँ को अकेला भी नहीं छोड़ सकता था। उसके पास कोई चारा नहीं था सिवाय हालात को स्वीकार करने के। तभी श्याम की पत्नी ने उसकी माँ को बीच में टोकते हुए कहा कि “अब तक आप काम करती रहीं मैंने आप को रोका नहीं! इसलिए अब आपको भी मेरी बात माननी होगी। आप भी हमारे साथ ही चलेंगी। साथ रहेंगी। जिस तरह हमारे बिना आप अधूरी हैं, उसी तरह से हम भी आपके बिना नहीं रह सकते है“


ये सुनते ही पूर्णिमा जी कि सारी आशंका निर्मूल हो गई और उनकी आँखों से खुशी के आँसू झलक आए। श्याम भी दरवाजे पर खुशी से उछल पड़ा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama