manish shukla

Drama

5.0  

manish shukla

Drama

कैब का इंतजार

कैब का इंतजार

3 mins
312


"ये कैब वालों के भी चर्बी चढ़ गई है। दो पैसे क्या कमाने लगे दिमाग ही खराब हो गए है। मुझे ही गणित समझा रहा है कि ज्यादा जल्दी हो तो बुकिंग कैंसल कर दीजिये। समझता क्या है अपने आप को? मैं पूरी रात रेलवे स्टेशन में साहब का इंतजार करूँ कि कब साहब आएँ और कब मैं घर जाऊँ"


राघव को कैब वाले के देर से आने की बात बहुत अखर गई थी। 12 घंटे ट्रेन का सफर और उस पर कैब ड्राईवर का नखरा। राघव ने झल्ला कर उससे बोल ही दिया कि तुम्हें सवारी न ले जानी हो तो खुद ही बुकिंग कैंसल कर दो। ये सुनते ही ड्राईवर ने अपनी तरफ से बुकिंग कैंसल कर दी और राघव का पारा यह देखकर सातवें आसमान पर पहुँच गया। गुस्से में उसने अपनी किस्मत को गरियाया और भगवान को कोसने लगा।


"पूरी दुनिया में ऊपरवाले को मैं ही मिलता हूँ परीक्षा लेने के लिए। इतनी गाडियाँ खड़ी है लेकिन सब इस रात में ब्लेकमेलिंग पर उतर आए है"


काफी देर तक खुद से बड़बड़ाने के बाद आखिरकार राघव खुद से हार मानकर दोबारा कैब बुक करके ड्राईवर को फोन लगाता है।


"हाँ, जी! कैब बुक की है, कितनी देर में आप पहुँच रहे है"


"सर, अभी आधा घंटा लग जाएगा, रास्ते में हूँ"


यह सुनते ही राघव का पारा एकबार फिर हाई हो जाता है।


"तुम लोग अपने को समझते क्या हो? कंपनी सर्विस का वादा करती है और तुम लोग मनमानी करते हो। देर रात कस्टमर को परेशान कर ब्लेकमेल करते हो" राघव नान स्टॉप ड्राईवर से फोन पर ही अपनी दिल की भड़ास निकालने लगता है।


"सर मैं जल्दी आने की कोशिश करता हूँ" यह कहकर ड्राईवर फोन काट देता है। राघव को ड्राईवर की ये हरकत नागवार गुजरती है। वो सोचता है कि "घर में मेरी पत्नी, बेटा हर्ष दुधमुंही बेटी ऋषिता सब इंतजार कर रहे है। सब सोच रहे होंगे कि कब मैं घर आऊँगा लेकिन ये कैब...." परिवार को याद करते- करते वो हर पल बेचैनी भरा जीता है। बीस मिनट बाद उसके सामने कैब आकर रुकती है और अधेड़ उम्र का ड्राईवर दरवाजा खोलता है। राघव कैब मैं बैठते ही सोचता है कि आज इसको जी भर के बातें सुनाऊँगा जिससे फिर कभी ये लोग सवारी को परेशान न कर सकें। वह इसी उधेड़बुन में लगा होता है तभी ड्राईवर ‘ओटीपी’ मांगने के बाद राघव का आभार व्यक्त करता है।


सर आप न मिलते तो मैं अपने बच्चों से न मिल पाता। पूरी रात सवारी के इंतजार में मुझे सड़क पर ही बितानी पड़ती। आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है। ऐसे में खाली हाथ भी घर जा भी नहीं सकता था। अब आप को घर छोड़ने के बाद सुकून से अपने बच्चों के साथ रात गुजार सकूँगा" यह कह कर वो एक बार फिर राघव का आभार प्रकट करता है और राघव ड्राईवर में अपना प्रतिरूप देखकर भावुक होकर जाता है और उसके कंधे पर अपना हाथ रख देता है।


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