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Dr.Madhu Andhiwal

Tragedy

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Dr.Madhu Andhiwal

Tragedy

अलविदा

अलविदा

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सूनी सूनी आंखे जर्जर काया एक छोटा सा आश्रम जहां उनको जिन्दगी की आखिरी सांस लेनी है।

ये उनकी भाग्य रेखा है। कादम्बिनी को अभी 10 दिन पहले ही इस आश्रम की देखभाल के लिये नियुक्त किया है। कादम्बिनी भी एक मजबूर और बेसहारा युवती है। पति उसे छोड़कर एक धनवान का घर जंबाई बन गया ।

उसने इन बेसहारा बुजुर्ग महिलाओं की सेवा करना अधिक उचित समझा । धीरे धीरे वह इनसबके नजदीक आती चली गयी । सब बहुत अच्छी थी । हर एक की दर्द भरी कहानी थी जो अन्दर तक हिला देती थी । इन सबमें सबसे अधिक शिक्षित थी माया मां । वह सबको बड़ी अच्छी अच्छी बातें बताती थी । उनको एक इन्तजार था कि किसी ना किसी दिन उनका बेटा आयेगा और उनको ले जायेगा वह विदेश गया था उसका प्लेन हाईजैक होगया उन्होंने सब तरफ प्रयास किये पर उसका पता ना चला । आस पड़ोस वालों ने उनको इस आश्रम में भेज दिया जिससे उनका मन लगा रहे । बहुत बार रात के अन्धेरे में कादम्बिनी ने माया मां को पेड़ के नीचे बैठ कर रोते देखा पर वह केवल उन्हें दिलासा देती रही ।

सुबह सुबह आश्रम में एक अजीब सी हलचल थी । कादम्बिनी ने जल्दी से आकर देखा माया मां की सारी सखी बैंच पर गुमसुम सी बैठी सूनी सूनी पनियाली आंखो से माया मां के कमरे को देख रही थीं । कादम्बिनी ने भाग कर अन्दर जाकर देखा माया मां का निर्जीव शारीर ।माया मां इस संसार को अलविदा कह चुकी थी ।



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