anju gupta

Abstract

2.5  

anju gupta

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अलविदा

अलविदा

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सात बजे का अलार्म के बजते ही नित्या रोज़ की तरह रसोई के काम निपटाने लग गयी। वह कॉलेज में प्रोफेसर थी और दिन में उसे सिर्फ दो या तीन लेक्चर ही लेने होते थे।आज उसका लेक्चर ग्यारह बजे था, सो आज आराम से घर के बाकि काम भी निपटा सकती थी। रोज उसकी कोशिश यही रहती थी कि कॉलेज जाने से पहले घर का सारा काम खत्म हो जाए ताकि घर आकर फिर से काम में जुटने का झंझट न हो।

पति राहुल को ऑफिस भेज कर वह सुबह-सुबह ही फेसबुक खोल कर बैठ गयी। फेसबुक पर कईं फ्रेंड रिक्वेस्ट आयीं हुईं थीं। उनमें से एक पर नजर पड़ते ही उसका दिल जोरों से धड़क उठा। जिस शख्स को ढूंढने बरसों बरस उसने पता नहीं कितनी दुआएं, कितनी मन्‍नतें मांगी थी, आज खुद उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी। आज, जब वह अपनी जिंदगी में रम गई थी, उसे भूलने लगी थी… समझ नहीं आया क्यों वह फिर से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा है।

दिल पर फिर से पुरानी यादें दस्तक देने लगीं। कॉलेज पास करके जब नित्या ने कोचिंग इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया, वो वहीं काम करता था। सांवला-सलौना रोहित ऑफिस के न जाने कितने दिलों की धड़कन था। चाहते न चाहते नित्या को कब उससे प्यार हो गया, उसे खुद भी पता ही न चला। रोहित को देखते ही नित्या के दिल की धड़कनें तेज हो जाती थीं। दिन में कितनी ही बार नजरें चुराकर उसे देख लेती थी। ऐसे में जब कभी रोहित की नजरें उससे टकरातीं, वह शरमा सी जाती। रोहित भी उस पर गहरी नजर डाल, मुस्कुरा देता था। लगभग एक साल तक यू हीं आँखों की आँखमिचोली चलती रही। फिर एक दिन जब वह शाम को घर जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रही थी, रोहित ने अपनी कार नित्या के सामने खड़ी कर दी। झिझकते हुए नित्या गाड़ी में बैठ गयी।

नित्या की आँखों में झांकते हुए रोहित बोला, "बहुत शर्मीली हो तुम, पर तुम्हारी आँखें बहुत बोलतीं हैं।"

जाने कैसे, पर धीमी आवाज में शरारत से नित्या बोली उठी, "क्या कहतीं हैं ये ?"

रोहित को नित्या से ऐसे प्रश्न की उम्मीद ही नहीं थी इसलिए यकायक उसे समझ नहीं आया कि क्या जबाब दे। फिर हसते हुए बोला, "यह कह रही हैं कि जिंदगी भर मेरे

ड्राइवर बने रहो। पसंद तो है न यह ड्राइवर ?"

नित्या ने शरमा कर नजरें झुका लीं। वो पांच मिनट का सफर नित्या की जिंदगी का यादगार सफर बन गया। बिन बोले ही दोनों एक दूसरे को बहुत कुछ बोल गए। सच ही कहा गया है , प्यार को शब्दों में ढालना कठिन होता है, यह तो एहसास है जो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। नित्या के प्यार पर रोहित ने अपनी मोहर लगा दी थी। अब ऑफिस के बाद वो दोनों अक्सर मिलने लगे थे। रोहित अपने करियर को लेकर अत्यंत सचेत था। उसके कहने पर नित्या ने पार्ट टाइम ऍम बी ए में एडमिशन ले लिया था। रोहित भी अपनी तरक्की के लिए पूरी कोशिश कर रहा था।

इधर कोचिंग इंस्टिट्यूट की नई शाखाएँ खुल रहीं थीं, रोहित के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। नई शाखा को चलाने की जिम्मेदारी देकर रोहित का ट्रांसफर दिल्ली से बैंगलोर कर दिया गया। रोहित ने भी नई शाखा को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिन प्रतिदिन तरक्की करता रोहित, अब बहुत आगे बढ़ गया था। मीलों की दूरियों के साथ-साथ, अब दिलों में भी दूरियां आने लगीं थीं। रोज होने वाली बातचीत अब हफ्तों में होने लगी थी। नित्या जब भी फ़ोन करती, रोहित उसे बिज़नेस मीटिंग या बिज़नेस पार्टियों में ही बिजी मिलता।

ऍम बी ए खत्म होते ही घर में भी नित्या की शादी की बात उठने लगी थी। उसके घर वाले भी रोहित के माता - पिता से मिलना चाहते थे , पर लगता था रोहित को अभी शादी की कोई जल्दी नहीं थी। शादी की बात वो अक्सर टाल जाया करता था। नित्या का दिल बैठने लगा था। एक - दो बार उसने सीधे - सीधे रोहित से पूछा भी , "क्या वह शादी नहीं करना चाहता या कोई और उसकी जिंदगी में है ?", तो रोहित ने मना कर दिया। पर जिस खूबसूरत एहसास ने 3 साल तक नित्या को अपने रेशमी पहलू में कैद कर रखा था, वो एहसास अब अपनी खुशबू खोने लगा था।

फिर एक दिन बातों ही बातों में रोहित ने नित्या को बताया कि वह विदेश जा रहा है। यह जानकारी उससे पीछा छुड़ाने का तरीका था या कुछ और, नित्या समझ ही ना पाई। पर इस दूरी के एहसास भर से उसका दिल तड़प गया। आँखों में बेबसी के जो आंसू छ्लके, तो मानों आंसुओं की बाढ़ ही आ गई। सिसकियों की आवाज बाहर तक ना पहुंचे , इस जतन में उसने तकिए में मुँह छुपा लिया। आज पहली बार उसका मन यह मानने को तैयार हुआ कि जिस रिश्ते की लाश वह 3 सालों से ढो रही थी वो तो जाने कब का मर चुका था। जाने कब तक वह सुबकती रही … रोहित के व्यवहार पर, अपनी बेबसी पर … ना जाने कब तक।

यह नियति थी या कुछ और? पर जो भी था, रोहित को भूल पाना नित्या के बस में नहीं था। इतना होने पर भी, दिल के हाथों मजबूर होकर नित्या कई बार सोशल मीडिया पर रोहित को तलाशती। उसके बारे में कोई खबर सुनने के लिए, उसकी झलक पाने के लिए।

खैर ! समय बहुत बलवान होता है। समय के साथ-साथ नित्या भी सच्चाई कबूल कर आगे बढ़ने लगी थी। उसके अंकल का बेटा निखिल उसे बहुत पसंद करता था। परिवारों की सहमति से दोनों की धूमधाम से शादी हो गई और रोहित एक भूली याद बन उसके दिमाग़ के किसी कोने में छूट गया।

सब ठीक चल रहा था पर आज ये फ्रेंड रिक्वेस्ट … सोचते - सोचते नित्या का सिरदर्द होने लगा। कॉलेज जाने में भी देरी हो रही थी, इसलिए पल भर के लिए सब भूल, वो कॉलेज चली गयी। घर वापिस पहुंचते ही फिर से वही सब याद आने लगा। उसने दुबारा से फेसबुक चैक किया। मेसेंजर में रोहित ने अपना नंबर भी भेज दिया था। बहुत सोच विचार कर नित्या ने फ़ोन उठा कर रोहित का नंबर डायल किया।

“हेलो” ,दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई।

इस आवाज़ को बहुत अच्छे से पहचानती थी। नित्या की आवाज कांपने लगी थी। "मैं ,, मैं नित्या बोल रही हूँ।" , बड़ी मुश्किल से वह बोली।

"कैसी हो ?" रोहित बोला।

"बहुत खुश हूँ, तुम अपनी कहो? आज इतने सालों बाद कैसे याद कर लिया ?" तल्खी से नित्या बोली।

"नादानी में मैंने तुम्हें बहुत दुःख पहुंचाया था। बस तुमसे अपने किए की माफ़ी मांगना चाहता हूँ।" रोहित बोला।

यह सुन कर नित्या फिर से अतीत की उन यादों में पहुंच गई जिन्हें उसने न जाने कहाँ दफना दिया था। उस तड़प, उस बेबसी को फिर से महसूस कर उसकी आँखों में आंसू आ गए। फिर थोड़ी देर के लिए दोनों में मौन पसर गया। अपनी आवाज को संयत करते हुए वो बोली , "अरे नहीं ! बल्कि मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ कि तुमने मुझे सिखाया कि लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी दूसरे का दिल तोड़ने से भी नहीं पीछे रहते। तुम्हारी वजह से मुझे एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर मिला। तुम्हारा तो जितना भी शुक्रिया अदा किया जाए, कम है।"

रोहित को नित्या से ऐसे जबाब की उम्मीद न थी। बुझी सी आवाज में बोला , "बहुत बदल गई हो नित्या।"

"तो क्या तुम और सुनना चाहते थे ?" नित्या की आंखों से फिर से वेदना और क्षोभ पिघलकर बहने लगा। "फर्क है रोहित, तुम कल की भावुक नित्या से नहीं बल्कि आज की मिसिज राहुल मल्होत्रा से बात कर रहे हो।" कुछ रुक कर वह फिर बोली, "वो नित्या बेवकूफ थी जो 6 साल तक तुम्हारा इंतज़ार करती रही , 3 साल तुम्हारे साथ और 3 साल तुम्हारे बिना। तुम्हारी शादी को तो 3 साल हो चुके हैं, पर तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ मैंने पिछले ही साल शादी की है। अगर बता देते तो तभी बधाई दे देती , पर कोई बात नहीं शादी की बहुत-बहुत मुबारक।"

"हालाँकि अब इस बात का कोई तुक नहीं हैं , फिर भी इक बात बताओगे रोहित ?" , नित्या बोली।

"हाँ ! पूछो ?" ,रोहित बोला।

"क्या तुमने मुझसे कभी प्यार किया था ?" नित्या बोली।

"हाँ ! मुझे तुम्हें देखते ही प्यार हो गया था और मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ही बिताना चाहता था।" रोहित बोला।

"फिर तुमने मुझे धोखा क्यों दिया ? रोहित को नित्या की आवाज बहुत दूर से आती हुई प्रतीत हुई।

"नित्या, तुम्हें तो पता ही है कि मैं जिंदगी में बहुत आगे बढ़ना चाहता था। शालिनी हमारी कम्पनी की वाईस प्रेजिडेंट थी, बाहर जाने के लिए इससे बढ़िया मौका शायद मुझे कभी ना मिलता। इसलिए आस्ट्रेलिया जाने से पहले मैंने उससे शादी कर ली।" रोहित की आवाज़ में पश्चाताप था।

"तुम मुझे बता तो सकते थे ? धर्मसंकट में पड़ गए थे शायद - एक तरफ़ तरक्की थी, तो दूसरी तरफ़ तुम्हारी मुहब्बत। तुम्हें किसी की पीड़ा से क्या मतलब ? तुमने वो चुना जो तुम्हे ज्यादा प्यारा था। तुम तो उन लोगों में से हो, जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। खैर ! अब इन बातों का कोई फायदा नहीं। हमेशा के लिए अलविदा रोहित।" दृढ़ निश्चय के साथ नित्या बोली।

और फ़ोन रखने के साथ ही नित्या रोहित का नंबर भी ब्लॉक कर चुकी थी।


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