शिक्षा

शिक्षा

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लक्ष्मण बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था और बारहवीं कक्षा में पूरे जिले में प्रथम आया था।


गाँव के मास्टर जी ने उसके माँ बाप से कहा -“बच्चा बहुत ही होनहार है। इसे आगे पढ़ाओ। ये तुम्हारा नाम रौशन करेगा। ”


निरक्षर पर समझदार माँ – बाप ने जी भी अपना सब कुछ दाँव पर लगा कर उसे उच्च शिक्षा के लिए शहर भेज दिया। इधर शहर पहुँचते ही लक्ष्मण पर शहरी हवा का असर होने लगा। होनहार, हीरो के माफिक दिखने वाला लक्ष्मण, जल्द ही लक्की कहलाने लगा। काफी दिनों तक उसकी खबर न आने से परेशान, उसके बूढ़े माँ – बाप उसे मिलने उसके कॉलेज पहुँच गये।


उनको देखते ही लक्की का रंग फक्क हो गया। दोस्तों के पूछने पर बोला – “दे आर ऑवर सर्वेन्टस। ”


उसकी फ़र्राटेदार अँग्रेजी सुन माँ- बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था।


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