अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें
अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें
अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें जब शरीर साथ नहीं दे
माना कि अकेले लाचार बुजुर्ग क्या करें जब शरीर साथ नहीं दे लेकिन अगर वह समय से पूर्व सतर्क सावधान रहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं और ना चाहें तो कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
अगर वह पूर्व के जीवन काल में मान मर्यादा और अनुशासन के साथ साथ अपने और अपनों को साथ अनुशासित जीवन एवं अच्छी छवि के साथ जीवन निर्वाह किए हैं तो उसे कभी अकेले पन का महसूस नहीं होगा और जब भी वह नजर उठाकर देखेगा तो पाएगा की उसके आस पास स्वजनों का भिड़ लगा हुआ है और वह उनसे कह रहा हो आप अकेले नहीं हम सबों के साथ है।
जैसे कि कहा जाता है अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता और अगर गठरी हो साथ तो किसी का शान नहीं चलता अगर कोई गुस्ताखी करने का प्रयास करे तो उसे मुट्ठी भर श्मशान भी नसीब नहीं होता।
यह केवल कहावत नहीं सच्चाई है कि आप अ
पने जीवन में केवल धन ही अर्जित किए हैं या किसी का मन भी।
अगर धन अर्जित किए हैं तो धन जब तक है तब तक ही।
अगर मन अर्जित किए हैं तो इस दुनिया का दरवाजा सदैव आप के लिए खुला है और यह पुण्य शरीर आत्मा का भाव यह नहीं देखता है कि आप कौन हैं कहां से हैं किस प्रक्रम से है बस वह यह देखता है कि एक मानवतावादी विचारक हैं उस विचार और व्यक्तित्व को हारने नहीं देना है उसे निखार कर तृप्ती जग में फैलाना है इस नश्वर शरीर के लिए नहीं मानवता के लिए जीना और मानवता के लिए ही मरना है।
अर्थात आप अकेले लाचार और असमर्थ हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि इसका जिम्मेदार कोई और है सम्भवतः आप भी इसका जिम्मेदार हो सकते हैं
इसी लिए कहा गया है कि
कर्म प्रधान विश्व करी राखा
जो जस करही तष फल चाखा।