Sandeep Kumar

Others

4.0  

Sandeep Kumar

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छड़ी भगवान की

छड़ी भगवान की

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हाल फिलहाल की बात है हम अपने मित्र के साथ एक अस्पताल पहुंचे तो देखा कि वहां ढ़ेर सारी मरीज कई बेड़ पर लेटा हुआ है तभी एक गंभीर हालात से जुझता हुआ मरीज को उसके स्वजनों ने लेकर आया परन्तु अस्पताल वालों ने उसे देख कर भर्ती लेने से इंकार कर दिया.

  उसके स्वजनों ने विनती की तो मान गया और भर्ती ले लिया क्यों की उसे महसूस हुआ कि उसके स्वजन अशिक्षित, लाचार, बेबस बेचारा सा दिख रहा था तो अस्पताल वालों को लगा कि हम इनसे खुब कमाएंगे और कमाया भी जिस कारण से काफी प्रसन्न था.

  शायद भगवान को यह पसंद नहीं आया और उसी रात एक बड़ा ही दुखद धटना घटित हुआ, एक दूसरा मरीज का देहांत हो गया जिसके कारण उनके स्वजन आक्रोशित हो गया और तोड़ फोड़ के साथ-साथ मारपीट और थाना पुलिस कर दिया.

   जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने जो कमाया था उसकी भरपाई करने में हाथ आया जो पैसा पल दो पल में चला गया इसीलिए कहते हैं कि छड़ी भगवान की घूमती है तो इंसाफ होता है.

   उधर वह मरीज धीरे धीरे स्वस्थ हो गया उनके परिजन खुशी मना रहे थे कि अब किसी प्रकार का टेंशन नहीं है तभी अचानक खबर मिला की बिटिया रानी को देखने के लिए कुछ मेहमान आ रहे हैैं फिर वह तनाव में चले गया कि अब कैसे होगा अभी तुरंत बिमारी से उठे हैं हाथ में पैसा-कोड़ी है नहीं क्या करेंगे.

   परन्तु उन्होंने भगवान के भरोसे सब कुछ छोड़ दिया जो होगा देखा जायेगा और सोचने लगा जैसे तैसे कर सब कुछ हो जाएगा लेकिन हुआ उसके जस्ट सोच का उल्टा लड़के का पिताजी ने कहा हमें कुछ नहीं चाहीए आपकी पुत्री हमारी पुत्री है आप अभी तुरंत अपने इलाज में सारे पैसे खर्च कर दिए हैं तो क्या मेरे पास है न.

    इतना सुनते ही उन्होंने भगवान का नाम लेते हुए अपना सर झुका लिया और कहा कि भगवान अगर कुछ लेता है तो देता भी हैं भगवान कहीं और नहीं यही है इतना ही कहते हुए वह नतमस्तक हो गया।।


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