Sandeep Kumar

Romance Tragedy Inspirational

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Sandeep Kumar

Romance Tragedy Inspirational

एक जिंदगी बसने से पहले उजड गयी

एक जिंदगी बसने से पहले उजड गयी

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कहानी, एक जिंदगी बसने से पहले उजड़ गयी


रानीगंज की एक घटना जो जम कर वाइरल हो रहा है, उसका संबंध एक प्यार की दर्द भरी कहानी से हैं, जो किसी हिर- राझा , लैला- मजनू से कम नहीं हैं.......

   वहां कि एक लड़की जो अपने सहेली के साथ पढ़ने के लिए क्लास जाती थी , उसे एक लड़के से सम्पर्क था, जिसे की इस लड़की की सहेली बहुत पसंद थी, जिस कारण से वह लड़का उस लड़की से कहा कि तुम अपनी सहेली से हमें बात कराओ तो यह लड़की प्रयास की लेकिन पहले दो चार महीना तक तो बात नहीं बन पाई परन्तु लगातार प्रयास का परिणाम है कि कुछ दिन के बाद सफल रही ,जो झिझक सामने आया करता था वह सब सामान्य हो गया और आपसी तालमेल बैठ गया, बात करने लगी......

    जैसा कि हमारे समाज का रिती रिवाज रहा है कि किसी के कारण कोई सफलता मिलता है तो हम उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं ठीक उसी प्रकार वह लड़का भी उस लड़की के कारण मिली सफलता का कृतज्ञ था, इसके लिए उसे लाख लाख दुआएं ,बधाई दिया करता था, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे जिंदगी में मोड़ आ रहा था, समय दो- ढाई वर्ष बीत चुका था तो गुद-बुदी लगी रहती थी कि आगे का क्या कार्यक्रम हो लेकिन उस पल का इंतज़ार मिटा, बादल छटा और एक दीन उस लड़की की भाभी उस लड़के को फोन पर आमंत्रित किया, भोला भाला लड़का ना कुछ सोच ना कुछ समझा भागे-भागे उस लड़की की भाभी से मिलने के लिए........

    लेकिन वहां के षड्यंत्रों से अनभिज्ञ लड़का उतावलेपन में उसके यहां आ पहुंचा, जैसे ही उसे वहां देखा सभी फौरन एक्टिव हुआ और उसे पकड़ धकड़ कर एक रूम में बंद कर दिया, तथा दूसरे रूम में उस लड़की को. और फिर जो ना होना चाहिए था वहीं हुआ, उस लड़के को सहमा - सहमा कर बेरहमी से मार डाला, बेचारी लड़की अपने प्रेमी को मारते - मरते देख तड़प - तड़प कर नहीं मर पा रही है और ना जी पा रही हैं पर उसे इस बात का बड़ा पश्चाताप हो रही है कि, उसने जो मना किया था अगर वह मान जाता तो आज यह दिन देखना ना पड़ता, आज हम भी होते वह भी होता किसी को तड़पना तो किसी को प्राण देना ना......

    समय हुआ पोस्टमार्टम हुआ, अब बारी आई अंतिम संस्कार कि , की क्या किया जाए मुख अग्नि किसे देना चाहिए, बात विचार चल ही रही थी कि लड़की ने साहस और कही मैं दूंगी मैं इसे अपना पति मान चुकी हूं, दिल में इसका धर बना चुकी हूं तो मैं इसकी अविवाहित ही सही लेकिन मैं इसकी अर्धांगिनी हूँ, इस बात को सुनकर दोनों के प्यार के सामने सभी नतमस्तक हो गया, एक जिंदगी जो बसने से पहले उजड़ गई इस बात का पीड़ा, दर्द सबों को होने लगा.....

  और सभी आपस में गुदगुदाने लगा कि सभी एक जैसे नहीं होते हैं कुछ प्रेम करने वाले राधा, तो कुछ सती अनुसुइया जैसे होते हैं मरते दम तक फर्ज अपना निभाते हैं ना कि ढोंग रच कर अपने जाल में फंसाते हैं और जिस्म का सौदा कर रोड़ पर मरने के लिए छोड़ देते हैं...।।


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