कुमार संदीप

Tragedy

5.0  

कुमार संदीप

Tragedy

अजन्मी बेटी का माँ से प्रश्न

अजन्मी बेटी का माँ से प्रश्न

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ममता के गर्भ में फिर से बेटी ही थी। परिवार वालों को जैसे ही यह खबर पता चला के सभी एक बार पुनः दुःखी हो गए। परिवार के लोग बेटा होने के लिए आशा लगाए हुए थे। एक बेटी भगवान ने पहले ही दे दिया था, परिवार के लोग चाहते थे कि बेटा हो। ममता परिवार की आशाओं पर खरी नहीं उतरी इसलिए दुःखी थी। बेटी है यह खबर भी अल्ट्रासाउंड करवाने के बाद पता चला। घर में जन्म लेने से पूर्व ही बिटिया को गर्भ में ही मार देने का षड्यंत्र शुरू हो गया। सभी पारिवारिक सदस्यों ने सहमति दे दी बेबस होकर माँ को भी अपने बच्चे को गर्भ में मारने के लिए तैयार होना पड़ा। और फिर बिटिया को जन्म लेने से पूर्व ही गर्भ में डॉक्टर के द्वारा दी गई दवा खिलाकर मार दिया गया। अभी कुछ दिन ही बीते थे, कि एक रात सोते वक्त माँ के सपने में जिस बेटी को मार दिया गया था। वही बेटी माँ के सपने में आयी। बिटिया ने माँ से कुछ सवाल किए:---


माँ मैंने क्या अपराध किया था? जो डॉक्टर अंकल ने मुझे दुनिया में आने से पहले ही मार दिया!

माँ तू भी कैसे अपनी गुड़िया रानी को जन्म लेने से पहले ही हत्या करवाने के लिए तैयार हो गई? आखिर तू भी तो एक बिटिया ही है, माँ।

माँ क्या बेटी को जन्म लेने का जीवन जीने का अधिकार नहीं हैं?

माँ क्या पापा को अपने लाडो के जीवन में आना अच्छा नहीं लगा? वो भी मुझे हत्या करवाने के लिए सहमत हो गए।

माँ क्या केवल बेटे ही परिवार का नाम रोशन करते हैं?इसलिए तू मुझे गर्भ में ही मरवा दी कि मैं बेटा नहीं,बेटी थी।

माँ तू कैसे भूल गई कि पुत्र कुपुत्र हो सकते हैं,पर माता कुमाता नहीं हो सकती!

माँ क्या बेटी का जन्म लेना गुनाह है? मुझे जीने का हक नहीं।


सपने में बिटिया रानी ने माँ के समक्ष अनगिनत प्रश्न खड़े कर दिए, माँ की नींद सपने से टूट गयी। माँ रोए जा रही थी। अब ममता की आँखों में पछतावे के आँसू साफ-साफ दिखाई दे रहे थे। ममता मन ही मन सोचने लगी "हे ईश्वर कैसे सहन करूं ये पुत्री शोक उठा लें मुझे भी इस जीवन से या फिर दे ऐसा वरदान कि दुनिया की कोई माँ बेबस होकर पेट में ही मारने के लिए बाध्य न हो।"



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