ऐ जिंदगी...
ऐ जिंदगी...
कुछ तो ख्याल कर ऐ जिंदगी!
अब रहा भी नहीं जाता,
बेहिसाब दर्द दिए है तूने,
अब सहा भी नहीं जाता,
सिकुड़ सा गया हूँ तेरी सिलवटों में,
मायूस होकर खुद ही यहाँ,
सबको हँसाया भी नहीं जाता,
कुछ तो ख्याल ...
खामोश हो कर सहम सा गया हूँ मैं,
दास्ताँ-ए-दर्द अब किसी से कहा भी नहीं जाता,
कुछ तो ख्याल...
उजड़ भी रही है बस्तियाँ टूटे सपनों की,
आशियाँ अब दिलों का बसाया भी नहीं जाता,
कुछ तो ख्याल...
