Jyotiramai Pant

Drama

4.8  

Jyotiramai Pant

Drama

अधूरी सृष्टि

अधूरी सृष्टि

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435



सुबह के काम निपटा कर नीरा बालकनी में बैठी ही थी कि मोबाईल बज उठा। उसने उठाया तो आश्चर्य चकित हुई बड़ी जीजी की आवाज़ सुनकर। बहुत समय बाद उनका फोन आने से वह खुश भी हुई पर मन आशंकित भी हुआ की अपनी आदत के अनुसार वो कब ,किस बात पर उससे कुछ ऐसा कह दे कि उसका मन उद्वेलित हो जायेऔर उम्र का लिहाज़ रखते हुए वह कुछ बोल भी न सके। 

      जीजी की आवाज़ कुछ उदास और घबराई हुई सी लगी तो  नीरा ने पूछा -

''क्या हुआ जीजी ? सब ठीक तो है ? ''

''नहीं छोटी! कैसे---क्या बताऊँ? क्या मैं तुमसे मिलने आ सकती हूँ ?

''अरे ! आओ न पूछने की क्या बात है ?''


आधे घंटे बाद जीजी के आने पर उन्होंने जो हाल बयां किया नीरा को तो यकीं ही नहीं हुआ। जो जीजी अपने बेटों पर सदा गर्व महसूस करती थी और बेटियों के नाम से चिढती थी वही आज बेटों और बहुओं के हाथ प्रताड़ित हो रही थी। जीजा जी के निधन होते ही परिवार में उनका स्थान और महत्त्व घटने लगा। अब बेटे उन्हें साथ रखने से कतराने लगे थे. घर के काम काज करने तक ही उनकी उपस्थिति मान्य थी ।बेटे सभी अलग शहरों में थे ।उन्होंने जीजी का घर बिकवा दिया। जब सदा से आत्मसम्मान में जीने वाली जीजी का उनके साथ रहना मुश्किल हो गया तो वो आज अपने शहर वापस लौट आईं। अब किसी वृद्धाश्रम की तलाश में हैं।


''वहाँ भावी जीवन बिताने से पहले तुमसे मिलने आई हूँ छोटी ! अपनी उन तमाम बातों के लिए क्षमा माँगनी है जो मैंने तुम्हें कही कि 'बेटों के बिना कोई सुख नहीं बेटे होने ही चाहिए '. 

आज अपनी भूल पता चल गयी।

तो माँफ करेगी न ?''

''जीजी! कुछ न बोलो। अगर तुम चाहती हो मैं तुम्हें माँफ कर दूँ तो तुम्हें हमारे साथ रहना होगा। मेरी बेटियों को अपना का प्यार देकर देखना बेटों को तो उनके हिस्से का प्यार मिल चुका। ''   जीजी के उत्तर की प्रतीक्षा में वो अतीत में गुम हो गयी।  


आस पड़ोस और रिश्तेदारों के ताने उलाहने तो नीरा सह भी लेती पर जब अपनी ही बड़ी बहन उसे हमेशा जली कटी सुनाती तो उसका गला रूँध जाता और जवाब दे नहीं पाती थी। वो बेशक भाग्यशाली थीं तीन बेटों की माँ थीं। नीरा अगर बेटियों को ही जन्म दे रही थीं तो क्या सिर्फ अकेले वो ही दोषी थी ? उसने निश्चित कर लिया कि वह अपनी बेटियों को इतना सक्षम बनाएगी की लोग बेटियों को कहने लगें अपना गर्व। आखिर बेटियों के बिना तो सृष्टि अधूरी ही रहेगी न ?बेटियाँ तो वरदान होती हैं।  


तभी जीजी ने उसे गले लगा लिया ''हाँ छोटी ! मुझे भी बेटियों का प्यार मिलना ही चाहिए न ?उनके बिन तो मैं अधूरी ही थी न ?

आज फिर दोनों बहनों का संगम हो रहा था। 

           


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