अच्छी लड़की की क्या परिभाषा
अच्छी लड़की की क्या परिभाषा
बहुत दिनों से संध्या के दिल दिमाग मे लडाई सी चल रही थी.. वो समझ नही पा रही थी क्या सही क्या गलत.. एक तरफ़ माँ बाप की खुशी दूसरी तरफ खुद के सपने... संध्या की इस मानसिक स्थिति को जानने के लिए सबसे पहले आपको संध्या को जानना होगा.. फिर उस वजह को जानना होगा जिसके कारण संध्या का ये हाल है...
संध्या एक मध्यम परिवार की लड़की जिसके सपने होते हैं पढ़ कर खुद के पैरों पर खड़े होना.. " माँ देखो मेरा स्नातक का परिणाम आया है..मै बहुत अच्छे नंबरों से पास हुई हूँ...! एक दिन संध्या बोली.
" बहुत अच्छी बात है बेटा पर अब घर के काम काज सीख क्योंकि अब तेरा ब्याह करना है!" माँ ने कहा.
" पर माँ अभी तो मुझे बैंकिंग के पेपर देने फिर बढ़िया सी नौकरी करनी तब सोचूँगी शादी की...!" संध्या बोली.
" तेरे बाद दो और है उनकी भी उमर होने को आई फिर पढ़ने बाद लड़का मिलना और मुश्किल... जो पढ़ ली बहुत है..!" माँ ने कहा और काम मे लग गई..
उधर संध्या के लिए लड़के की खोज शुरू हुई इधर संध्या ने खुद से बैंकिंग की तैयारी शुरू कर दी.. कुछ सहेलियों से मदद लेती... कुछ फोन से.. !
" कहाँ चली सुबह सुबह!" एक दिन उसे तैयार देख माँ ने पूछा.
" माँ आज बैंकिंग का पेपर है बस ये दे दूँ फिर जो कहोगी मंजूर... वैसे भी कोचिंग तो ली नही तो पास होने के चांस भी कम!" संध्या ने कहा.
" ठीक है..दे ले कर ले आखिर बार अपनी मर्जी....तेरे पापा बता रहे अगले महीने लड़के वाले आ रहे तुझे देखने अच्छा लड़का है.. यहाँ शादी हो जाए तो गंगा नहायें " माँ ने कहा.
अगले महीने...
" जी इससे पहले बात आगे बढ़ाएं लड़का लड़की आपस मे बात कर लें तो अच्छा है..!" संध्या को देखने आये लड़के की माँ ने कहा.
" जी बिल्कुल.. जा संध्या राजीव जी को छत पर घुमा ला..! संध्या की माँ बोली.
" संध्या जी मुझे ज्यादा कुछ नही कहना आप घरेलू लड़की हैं.. मुझे ऐसी ही लड़की चाहिए नौकरी वाली लड़कियाँ मुझे पसंद नही!" छत पर आ राजीव बोला.
" लेकिन नौकरी वाली लड़की मे खराबी क्या..!" संध्या ने पूछा.
" जी नही पसंद बस....!" राजीव ने कहा.
इससे पहले संध्या कोई जवाब देती नीचे से बुलावा आ गया.
" हम आपको घर मे सलाह कर खबर करते हैं..!" लड़के के पिता ने कहा.
" संध्या की माँ लड़के वालों का फोन था उन्हें संध्या पसंद है!" संध्या के पापा एक शाम बोले...
" ये तो बहुत अच्छी खबर दी आपने!" संध्या की माँ खुश होते हुए बोली.
तभी संध्या के मोबाइल मे मेसीज़ आया उसकी दोस्त का उसने बैंकिंग का पेपर सबसे ज्यादा नंबरों से पास कर लिया था.. अब संध्या कश्मकश मे है क्या करे.. क्योंकि एक तरफ उसका सपना है दूसरी तरफ शादी... उसने राजीव से बात करने की सोची...
" राजीव जी मैं आपसे मिलना चाहती हूँ.. क्या आप आ सकते हैं...!" संध्या ने राजीव से पूछा.
" जी लेकिन कही बाहर नही मैं आपके घर ही आता हूँ.. यूँ बाहर मिलना मुझे पसन्द नही!" राजीव ने उत्तर दिया.
संध्या को बड़ा अजीब लगा खैर उसने इस पर ज्यादा ध्यान नही दिया...
" बोलिये संध्या क्या बात है ऐसी जो आपको मुझे बतानी है...!" राजीव आकर बोला.
" राजीव जी आपसे रिश्ता होने से पहले मैने बैंकिंग के पेपर दिये थे उसका परिणाम आया है और मेरे नम्बरों को देखते मुझे बहुत अच्छी नौकरी मिल रही.. बस यही बात आपको बतानी थी!" संध्या ने कहा.
" पर रिश्ते से पहले नौकरी की कोई बात नही हुई थी..!" राजीव बोला.
" तब मुझे भी नही पता था मैं ये पेपर पास कर पाऊँगी पर अब जब हो गया तो....!"
" देखो संध्या तुम्हे नौकरी या शादी मे से एक चुनना होगा!"
" पर राजीव जी मैं आपको या घर वालो को शिकायत का मौका नही दूँगी!"
" संध्या जी मैने आपको एक अच्छी लड़की समझ आपसे रिश्ता जोड़ा था मैं नही जानता था कि.....!"
" अच्छी लड़की... राजीव बाबू आपकी नज़र मे अच्छी लड़की कौन होती... क्या मेरी संध्या बुरी है...!" चाय लाती माँ ने जब राजीव की बात सुनी तो वो बोली.
" देखिये आंटी जी नौकरी वाली लड़कियाँ मेरी नज़र मे अच्छी नहीं होतीं... वो सास पति की नही सुनती अपनी मर्जी करती है.. और बाहर जाने कितने लोगों से मिलती है..!" राजीव बोला.
" बहुत घटिया सोच है आपकी...और ऐसी सोच वाले से मैं अपनी बेटी की शादी नही कर सकती माफ़ कीजियेगा.. आपको बीवी नही एक गुलाम चाहिए.. जो आपके इशारों पर नाचे मेरी बेटी ऐसा नही करेगी वो इज़्ज़त दे सकती गुलामी नही कर सकती...!" संध्या की माँ बोली .
राजीव गुस्से मे चला गया... पर आज संध्या खुश थी क्योंकि अब उसके दिल दिमाग की जंग जो खत्म हो गई थी.
" मेरी अच्छी माँ.. लेकिन पापा का क्या....!" संध्या ने चिंता जताई.
" बेटा तेरे पापा भी तेरे साथ हैं...!" पापा की आवाज़ सुन संध्या ने दरवाजे की तरफ देखा.... " बाहर राजीव ने बताया मुझे.. नौकरी ना कराने की कोई वजह होती तो मैं मानता भी पर नौकरी वाली लड़की गलत होती ऐसी गलत सोच रखने वाला खुद कितना गलत होगा समझ आ गया मुझे...!" पापा ने संध्या को गले लगाते हुए कहा.
