अच्छे-विचार ।
अच्छे-विचार ।
एक बार एक नाव में कुछ आदमी जा रहे थे। एक मस्त फकीर भी बैठे हुए थे। सिर मुँड़ाये हुए थे। और भी लोग -बाग उस नाव में बैठे हुए थे। किसी को सूझी एक चपत उनकी चाँद में लगा दी। उन्होंने देखा तो दूसरे ने भी लगा दी। इस तरह लोग उनके साथ ऐसा व्यवहार करने लगे, हँसने लगे। जब ऐसे ज्यादा देर हो गई, तो ऊपर से आवाज आई, भाई ये तेरे साथ बहुत अन्याय कर रहे हैं, तू कहे तो नाव डुबो दूँ। बोले नहीं ऐसा नहीं। फिर वह चलता ही रहा, लोगों ने उनके साथ ज्यादती की तो फिर आवाज आई तू कहे तो नाव डुबो दूँ।
कहने लगे नहीं, अगर आप मेरे ऊपर स्नेह करते हैं तो उनको मेरी जैसी बुद्धि दे दीजिए, इन लोगों का कल्याण कर दीजिए। इनमें "अच्छे विचार" भर दीजिए।
संतों का स्वभाव ही ऐसा होता है। जब उन लोगों ने महात्मा का यह व्यवहार देखा तो सब के सब उनके चरणों में गिर पड़े और क्षमा याचना करने लगे। उन महात्मा ने उन सबको क्षमा कर दिया।
"गुरू कृपा ही केवलम्।